6 माह की परीक्षा 2 माह में, सिलेबस पूरा होना तो दूर, पास होना ही चुनौती

अधिकतर कॉलेजों में अब तक नहीं लगी कक्षाएं

6 माह की परीक्षा 2 माह में, सिलेबस पूरा होना तो दूर, पास होना ही चुनौती

हाड़ौती में खुले 4 नए सरकारी कॉलेजों में विद्यार्थियों का भविष्य अधर में।

कोटा। हाड़ौती में खुले 4 नए कॉलेजों के विद्यार्थियों का भविष्य अधरझूल में है। दिसम्बर में बीए फर्स्ट ईयर के प्रथम सेमेस्टर एग्जाम होने हैं लेकिन अभी तक कई कॉलेजों में कक्षाएं ही प्रारंभ नहीं हुई है। ऐसे में आगामी 2 माह में सिलेबस पूरा होना तो दूर विद्यार्थियों का पास होना ही चुनौतिपूर्ण है। दरअसल, मुख्यमंत्री बजट घोषणा में सत्र 2024-25 में सरकार ने कोटा, बूंदी व झालावाड़ में कुल 4 नए राजकीय कला महाविद्यालय खोले  हैं। इनमें प्रवेश प्रक्रिया ही 30 सितम्बर तक जारी रही है।  वहीं, कागजों में एक अक्टूबर से कक्षाएं प्रारंभ कर दी गई लेकिन वास्तविकता में कुछ कॉलेजों में विद्या संबल की फेकल्टी के लिए आवेदन ही 5 अक्टूबर तक निकाले गए हैं। ऐसे में बिना फेकल्टी के कक्षाएं कैसे लग सकती है। वहीं, कुछ महाविद्यालय तो ऐसे हैं, जहां आवंटित सभी विषयों के शिक्षक ही नहीं आए हैं। 

टेबल-कुर्सियां तो दूर, बिछाने को दरी पट्टी तक नहीं 
संभाग के चारों नवीन राजकीय महाविद्यालयों में कुल 447 विद्यार्थियों ने एडमिशन लिया है। इनमें लाखेरी, चेचट व डग महाविद्यालय में विद्यार्थियों को बिठाने के लिए टेबल कुर्सियां तो दूर जमीन पर बिछाने के लिए दरी पट्टियां तक नहीं है। चेचट कॉलेज में 153 तो डग में 96 स्टूडेंट्स कक्षाओं में दरी पट्टी बिछाकर जमीन पर बैठते हैं लेकिन लाखेरी कॉलेज में 132 प्रवेशित छात्र-छात्राओं को बिना दरी पट्टी के जमीन पर बैठना पड़ता है। अव्यवस्थाओं के कारण  नियमित कक्षाएं नहीं लग पा रही है। 

जमीन पर बिठाकर पढ़ा रहे विद्यार्थी 
सरकार की अनदेखी से कॉलेजों में उच्च शिक्षा का मखौल उड़ रहा है। दीगोद को छोड़कर चेचट, डग व लाखेरी सहित तीनों कॉलेजों में विद्यार्थियों को बिठाने के लिए फर्नीचर तक नहीं है। मजबूरी में प्रवेशित प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को जमीन पर बिठाकर पढ़ाया जा रहा है। वहीं, कुछ कॉलेज में तो नल, लाइट  पंखें की व्यवस्था तक नहीं है। ऐसे हालात में विद्यार्थियों को क्वालिटी एजुकेशन मिलने की उम्मीद नहीं की जा सकती। 

2 माह में कैसे होगा कोर्स पूरा
शिक्षाविदें का कहना है, सरकार ने संभाग में 4 नए कॉलेज खोले हैं। जिनमें कोटा में चेचट, दीगोद, बूंदी में लाखेरी व झालावाड़ में डग महाविद्यालय   शामिल हैं। सेमेस्टर स्कीम के तहत दिसम्बर में कोटा यूनिवर्सिटी द्वारा प्रथम सेमेस्टर के एग्जाम करवाए जाने हैं, लेकिन अभी तक सभी महाविद्यालयों में शिक्षण कार्य प्रोपर रूप से शुरू नहीं हुआ है। वहीं, अक्टूबर से दिसम्बर तक सरकारी व साप्ताहिक अवकाश को मिलाकर कुल 27 दिन की छुट्टियां हैं। ऐसे में 6 माह की सेमेस्टर परीक्षा  की तैयारी 2 माह में करवाना संभव नहीं है। इस बीच एग्जाम से पहले मिर्ड टर्म भी करवाए जाने हैं, वह कैसे होंगे। सरकार की अव्यवस्थाओं से शिक्षक व विद्यार्थी दोनों ही हैरान हैं। 

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क्या कहते हैं प्राचार्य
कॉलेज अभी अस्थाई रूप से पुराने अस्पताल भवन में संचालित हो रहा है। यहां बड़ी संख्या में मेडिकल वेस्ट व कचरा-गंदगी के ढेर लगे थे। जिसे साफ करवाने में ही 8 दिन लग गए। करीब 10 ट्रॉली से ज्यादा कचरा निकला है। कक्षाएं  एक अक्टूबर से ही शुरू करवा दी गई है। अभी नल, लाइट, बिजली व फर्नीचर की व्यवस्थाएं कर रहे हैं।
- पवन  शर्मा, नोडल अधिकारी, राजकीय चेचट महाविद्यालय

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दीगोद कॉलेज में 75 विद्यार्थियों का एडमिशन हुआ है। बुधवार को ही खादी ग्रामोध्योग से विद्यार्थियों व स्टाफ के लिए फर्नीचर खरीदे हैं।  कक्षाएं आयुक्तालय के निर्देशानुसार विद्या संबल पर शिक्षक नियुक्त कर 1 अक्टूबर से ही शुरू करवा दी गई है। रही बात एग्जाम से पहले कोर्स पूरा करवाने की तो एस्ट्रा क्लासें लगवाकर सिलेबस कम्पलीट करवाया जाएगा। विद्यार्थियों के बेहतर अध्ययन व सुविधाओं के लिए माकूल बंदोबस्त किए जा रहे हैं। आयुक्तालय के दिशा-निर्देशानुसार आगे भी कार्य जारी रहेंगे। 
- प्रो. रोशन भारती, प्राचार्य, नोडल राजकीय कला महाविद्यालय कोटा

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क्या कहते हैं विद्यार्थी
चेचट कॉलेज पुराने जर्जर अस्पताल भवन में चल   रहा है। यहां अस्पताल का मेडिकल वेस्ट के ढेर लगे हैं, जिसकी सफाई करवाने में ही कॉलेज प्रशासन को 8 दिन लग गए। बैठने के लिए टेबल-कुर्सियां नहीं है, जमीन पर दरी पट्टियां बिछाकर बैठना पड़ता है। कागजों में तो 1अक्टूबर से कक्षाएं लग रही हैं लेकिन हकीकत में सातों विषय की कक्षाएं नहीं लग रही। यहां नल, बिजली व पंखे तक की व्यवस्था नहीं है।
- कुशलपाल, छात्र 

हम कॉलेज विद्यार्थी हैं, लेकिन हमारी हालात सरकारी स्कूल के बच्चों से भी बदहाल है। स्कूल के बच्चे  दरी पट्टी बिछाकर बैठते हैं लेकिन हमारे लिए जमीन पर बिछाने के लिए दरी पट्टियां तक नहीं है। धूल जमे फर्श पर ही बैठना पड़ता है, कपड़े खराब हो रहे हैं। यह उच्च शिक्षा के साथ मजाक है। सरकार, टेबल-कुर्सियां नहीं दे सकती तो कम से कम बैठने के लिए दरी पट्टियां ही दे दे।
- कुलदीप कुमार (परिवर्तित नाम), छात्र 

कॉलेज स्कूल की पुरानी बिल्डिंग में संचालित हो रहा है। सुविधाएं तो छोड़िए, यहां पढ़ाने के लिए अभी तक शिक्षक नहीं लगे हैं। कक्षाएं ही शुरू नहीं हुई। जबकि, दिसम्बर में प्रथम सेमेस्टर के एग्जाम प्रस्तावित है। ऐसे में अक्टूबर से दिसम्बर तक सरकारी व साप्ताहिक करीब एक माह की छुट्टियां है। 2 महीने में शिक्षक कोर्स कैसे पूरा करा पाएगी और हम कैसे समझ पाएंगे। यहां एडमिशन लेकर गलती  कर दी, ऐसा महसूस हो रहा है।
- पुष्पेंद्र कुमार (परिवर्तित नाम), छात्र राजकीय महाविद्यालय डग 

इनका कहना है
चौमेहला कॉलेज में प्रतिनियुक्ति निरस्त करवाने, स्थाई शिक्षकों की पोस्टिंग व डग के नवीन महाविद्यालय में फर्नीचर सहित अन्य शैक्षणिक व्यवस्थाओं के लिए मैंने आज ही उच्च शिक्षा मंत्री एवं उप मुख्यमंत्री  प्रेमचंद बैरवा से बात की है। उन्होंने जल्द  ही समस्याएं दूर करने का भरोसा दिलाया है।
- कालूराम मेघवाल, विधायक डग झालावाड़

संभाग के सभी नवीन महाविद्यालयों में कक्षाएं 1 अक्टूबर से शुरू करवा दी गई हैं। हमारी कोशिश निर्धारित समय पर सिलेबस पूरा करवाने की रहेगी। इसके लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगाने की जरूरत  पड़ी तो लगाई जाएगी। विद्यार्थियों के हित में बेहतर अध्ययन व्यवस्था बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे हैं।
- डॉ. गीताराम शर्मा, सहायक क्षेत्रिय निदेशक कॉलेज आयुक्तालय कोटा

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