सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को जोड़कर भविष्य खराब कर रहे हैं बदमाश
गैंगस्टरों के लिए साजिश और वारदात का बड़ा हथियार बन रहा ‘सिग्नल’
लॉरेंस गैंग से जुडे बदमाश करते थे सिग्नल एप का उपयोग पूछताछ में खुलासा: एक महिला भी गैंग से जुड़ी जो हथियारों और रुपयों का करती थी लेन-देन
जयपुर। प्रदेश में लूट, हत्या, अपहरण और फिरौती मांगने के लिए गैंगस्टरों ने बातचीत करने के लिए सिग्नल ऐप को बड़ा हथियार बना रखा है। ज्यादातर बदमाश सिग्नल ऐप के मार्फत ही बात करते हैं और अपनी साजिश को अंजाम दे रहे हैं। इसका खुलासा हाल में संजय सर्किल थाना पुलिस की ओर से गिरफ्तार किए गए चार बदमाशों ने पूछताछ में किया है। आरोपी इन्स्ट्राग्राम से लॉरेंस के भाई अनमोल बिश्नोई और गुर्गे रोहित गोदारा के सम्पर्क में आए और उसके बाद सिग्नल ऐप के जरिए बातचीत करने लगे। इसके जरिए ही अपने गिरोह में शामिल लोगों से टास्क देते थे। जांच में सामने आया है कि लॉरेंस गैंग अपने गिरोह में उन्हीं युवाओं को शामिल करता है जो एक तरफा बात सुनकर उनकी बात पर अमल करते हैं। इससे पहले उन्हें छोटे-मोटे टास्क देकर चैक किया जाता है। यदि वे इनकी परीक्षा में खरे उतरते हैं तो बड़ा टास्क सौंप दिया जाता है।
हथियार का दिया था टास्क : योगेश सैनी समेत अन्य इंस्ट्राग्राम के जरिए लॉरेंस के भाई अनमोल बिश्नोई और रोहित गोदारा से जुडे थे। इन्होंने इनकी मानसिक स्थिति को भांपकर पहले हथियार लाने के लिए मध्यप्रदेश के खण्डवा भेजा। वहां से योगेश सैनी हथियार लाकर जयपुर आ गया। इन हथियारों का भुगतान लॉरेंस गैंग के गिरोह के लोगों ने ही किया।
अब जोकर से होगी पूछताछ : पंजाब के भटिण्डा जेल में बंद जोकर की मुलाकात दीपक सैन से हुई। जोकर और दीपक ने सिद्धू मूसेवाला की हत्या करने वाले बदमाशों को शरण दी थी। जोकर ने ही दीपक को अपराध करने के लिए उकसाया था। अब पुलिस जोकर को भटिण्डा जेल से प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार करेगी। इसके बाद दीपक और जोकर से आमने सामने पूछताछ करेगी। पकड़े गए योगेश सैनी, दीपक, अकील और हरेन्द्र बिश्नोई के साथ एक सीमा नाम की महिला शामिल थी। सीमा गिरोह के लिए रुपयों का लेन-देन करती थी। अनमोल के अमेरिका में गिरफ्तार होने से पांच दिन पहले योगेश सैनी ने उससे बात की थी। योगेश कलर पेंट, दीपक फाइनेंस और अकील कैफे चलाता था।
सिग्नल एप क्यों करते हैं उपयोग : सिग्नल ऐप से बातचीत और चैटिंग करने के दौरान तुरंत ही डिलीट हो जाते हैं। भविष्य में उन मैसेज की रिकवरी करना भी एकबारगी बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में बदमाश इसका उपयोग करते हैं।
इनका कहना है
सभी युवाओं से अपील है कि रील लाइफ को रियल ना समझें। सोशल मीडिया पर गैंगस्टर या बदमाश से ना जुडे। एक बार यदि किसी अपराधी से जुड़ाव हो जाता है तो उससे बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। हाल में प्रदेश में कई ऐसे गिरोह सक्रिय हैं जो युवाओं को भ्रमित कर अपराध से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। इन गिरोह से सचेत रहें और अपना भविष्य खराब ना करें।
-बजरंग सिंह शेखावत, एडीसीपी नॉर्थ द्वितीय
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