देखे राज-काज में क्या है खास
चिंतन ने बढ़ाई चिंता
झीलों की नगरी उदयपुर में हाथ वाले दल के बड़े लोगों ने तीन दिन चिंतन-मंथन क्या किया, कइयों की चिंता बढ़ गई। उनकी रातों की नींद और दिन का चैन उड़ा हुआ है।
चिंतन ने बढ़ाई चिंता
झीलों की नगरी उदयपुर में हाथ वाले दल के बड़े लोगों ने तीन दिन चिंतन-मंथन क्या किया, कइयों की चिंता बढ़ गई। उनकी रातों की नींद और दिन का चैन उड़ा हुआ है। उड़े भी क्यों नहीं, दिल्ली वाली गौरी मैम ने शुक्र को इशारों ही इशारों में जो मैसेज दिया, वह उनके मनमाफिक नहीं है। बेचारों ने अपने मकसद को पूरा करने के लिए पसीने भी बहाए थे, उन्होंने न दिन देखा था और न ही रात। राज का काज करने वालों में खुसरफुसर है कि पार्टी ने बहुत कुछ दिया है, तो अब कर्ज भी ब्याज समेत चुकाने वाले मैसेज को समझने वाले समझ गए, ना समझे अनाड़ी हैं।
मैसेज के मायने
जोधपुर वाले अशोक ने शुक्र को जो विक्ट्री साइन दिखाया, उसके बाद से चर्चाओं का बाजार गर्म है। भाईसाहब ने भी विक्ट्री साइन उस समय दिखाया, जब सूबे में अफवाहों का दौर जारी है। खबरनवीसों के बीच दिखाए इस विक्ट्री साइन के कई मायने निकाले जाने लगे हैं। निकाले भी क्यों नहीं, भाईसाहब की बॉडी लैंग्वेज तक बदल गई। उनके चेहरे की मुस्कान भी बिना पूछे ही सबकुछ बता रही है। अब भाई लोग चाहे कुछ भी अर्थ निकाले, लेकिन भाईसाहब ने विक्ट्री साइन से मैसेज दे दिया कि ऑल इज वैल।
इंतजार आंख फूटने का
सरदार पटेल मार्ग स्थित भगवा वालों के दफ्तर में एक किस्सा जोरों पर है। वहां आने वाले हर किसी को चटकारे लेकर सुनाया जाता है। हमें भी भाईसाहब ने सुनाया तो हंसे बिना नहीं रह सके। भाईसाहब ने सुनाया कि आजकल यहां तू मेरी आंख फोड़, मैं तेरी फोडू वाला किस्सा चल रहा है। गुजरे जमाने में तिगड़ी ने बेनीवाल के खिलाफ आवाज उठाई थी तो, भाईसाहबों ने भिण्डर का अड़ंगा ला दिया था। अब फिर दोनों खेमे एक-दूसरे की आंख फोड़ने के इंतजार में हैं।
फिर मचा भंवरी का आतंक
सूबे में आजकल फिर से भंवरी के आतंक का भूत आया हुआ है। उसके नाम से ही खादी के साथ खाकी को भी पसीना बहाना पड़ रहा है। वैसे सूबे में भंवरी का आतंक नया नहीं है। 39 साल पहले भी भंवरी के आतंक ने सूबे को हिला कर रख दिया था। दोनों भंवरियों में फर्क सिर्फ इतना सा है कि 39 साल पहले वाली ने गांव के पंचों को सबक सिखाया था और दूसरी भंवरी ने राजनीति का गढ़ माने जाने वाले परिवार लपेटे में लिया था। अब नई भंवरी के फेर में बेटे की आड़ में फंसे किशनपोल वाले भाईसाहब से न निगलता बन रहा है और न ही उगलता।
मिला बड़बोलेपन का प्रसाद
चिंतन शिविर में आए चर्चित आचार्य का बड़बोलापन उन्हीं को उल्टा पड़ गया। हाथ वाले वेटिंग पीएम की बहन जी के काफी नजदीकी होने का दावा करने वाले आचार्य ने राजस्थान को लेकर मीडिया के सामने कुछ ज्यादा ही मुंह खोल दिया। न्याय और अन्याय होने की बढ़चढ़कर बातें की और अब न्याय होने की उम्मीद भी जताई। लेकिन गुप्तचरों से 30 मिनट में ही सारा गुड़ गोबर कर दिया। बात बहन तक पहुंची, तो आंखें लाल होना लाजमी थी। सो आनन-फानन में आचार्य जी को हिदायत दी गई कि भविष्य में जुबान खोलने से पहले अपना आगा-पीछा भी सोच लें।
(यह लेखक के अपने विचार हैं)
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