सरकारी डाक्टर ने फोन पर ही किया इलाज, बालिका ने दम तोड़ा

अब क्या शिकायत करूं? किस से करूं? मेरी बेटी तो चली गई

 सरकारी डाक्टर ने फोन पर ही किया इलाज, बालिका ने दम तोड़ा

कलक्टर ने दिए डाक्टर की भूमिका के जांच के आदेश

कोटा। कोटा जिले के मंडाना थाना क्षेत्र में सोमवार को एक मासूम ने गफलत में ही दम तोड़ दिया। मासूम के बीमार होने पर सरकारी चिकित्सक ने फोन पर ही उपचार लिखकर अपने कर्तव्य की इति श्री कर ली। कुछ देर बाद बालिका की मौत हो गई। इस बीच विधायक कल्पना देवी ने इस मामले को लेकर जिला कलक्टर से मुलाकात की। कलक्टर ने डाक्टर की भूमिका की जांच कराने का आश्वासन दिया है।


जानकारी के अनुसार रामगंजमंडी थाने में तैनात कांस्टेबल बनवारीलाल की छह वर्षीय बेटी आरोही को रविवार देर रात एक बजे किसी कीट ने काट लिया था, जिससे उसकी तबीयत खराब हो गई। परिजन बालिका को लेकर सरकारी अस्पताल मंडाना गए। वहां पर ताला लगा हुआ था। आवाज देने पर एक कार्मिक आया और उन्होंने अपनी बेटी की तबीयत तथा काटे के निशान की जानकारी उसे दी। वहां पर मौजूद कंपाउंडर ने चिकित्सक को फोन किया। इसके बावजूद बच्ची  गंभीर होने पर भी चिकित्सक नहीं आई और ड्यूटी चिकित्सक ने फोन पर ही सारी दवाएं लिखवा दी।
कंपाउडर ने भी पर्चा बना कर दवाएं लिख दी। इसके बाद वह लोग बच्ची को लेकर घर आ गए। घर पहुंचने से पहले ही बच्ची की तबीयत और बिगड़ने लगी तो परिजन रात को ही कोटा के लिए रवाना हुए। इस बीच उनकी पुत्री ने कोटा पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया।

कलक्टर ने दिए डाक्टर की भूमिका के जांच के आदेश
पीड़ित कांस्टेबल बनवारी लाल ने बताया कि मन में मलाल रह गया, अगर समय पर चिकित्सक आकर उसकी बच्ची को देख लेती तथा उसे कोटा ले जाने की सलाह देती तो शायद रात को ही बच्ची को कोटा ले जाता और उसकी जान को बचाया जा सकता था। सुबह कमरे में सर्प निकलने से पता चला कि बच्ची को शायद सर्प ने ही काटा है। अब रिपोर्ट दर्ज कराने से क्या फायदा है। पूर्व में भी तीन मौतें यहां अस्पताल में चिकित्सकों  की लापरवाही के कारण हो चुकी हैं।

बेटी ने कहा थ बुक लेकर आना
बनवारी ने बताया मेरी बेटी फर्स्ट क्लास में पढ़ती थी। उसने कहा था- पापा मेरे लिए बुक लेकर आना। अब मैं किसके लिए बुक लेकर आऊं। अब क्या शिकायत करूं? किस से शिकायत करूं? मेरी बेटी तो चली गई। लापरवाही ने मासूम की जान ले ली।

डॉक्टर बोलीं- कीड़े-मकोड़े काटने की बात बताई थी
ड्यूटी डॉ. निराली कलवार ने बताया- इमरजेंसी में ऑन कॉल ड्यूटी पर आ जाते हैं। मैं हॉस्पिटल परिसर स्थित क्वार्टर में ही थी। रात के समय बच्ची को हॉस्पिटल लाया गया था। उस समय परिवार के साथ वह आराम से खड़ी थी। परिजन भी स्पष्ट नहीं बता सके कि किसने काटा है। हॉस्पिटल में मौजूद नर्सिंग स्टाफ ने जैसी कंडीशन बताई, उस हिसाब से दवा बताई। ये इमरजेंसी केस नहीं लगा। बच्ची की मौत का मुझे भी दुख है। लापरवाही का आरोप गलत है। हम 24-24 घंटे ड्यूटी कर रहे हैं। एक भी दिन का ऑफ नहीं लिया है। वो किसी को नहीं दिख रहा।

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