पार्थ अपार्टमेंट योजना का मामला कोर्ट की चौखट पर
कलेक्टर,यूआईटी सचिव,अधीक्षण अभियंता को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
शहर की स्थाई लोक अदालत ने आर्थिक रुप से कमजोर और अल्प आय वर्गों के लोगों के लिए बनाई गई पार्थ अपार्टमेंट योजना के 5 वर्ष बाद भी पूर्ण नहीं होने के मामले में सुनवाई करते हुए कलेक्टर ,यूआईटी सचिव ,यूआईटी अधीक्षण अभियंता को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया ।
कोटा । शहर की स्थाई लोक अदालत ने आर्थिक रुप से कमजोर और अल्प आय वर्गों के लोगों के लिए बनाई गई पार्थ अपार्टमेंट योजना के 5 वर्ष बाद भी पूर्ण नहीं होने के मामले में सुनवाई करते हुए कलेक्टर ,यूआईटी सचिव ,यूआईटी अधीक्षण अभियंता को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया । मामले की सुनवाई 8 जून 2022 को होगी ।
इस मामले में एडवोकेट लोकेश कुमार सैनी ने न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर करते हुए बताया कि यूआईटी कोटा द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर और अल्प आय वर्गों के लोगों के लिए एक आवासी योजना पार्थ अपार्टमेंट के नाम से बनाई गई थी । यह योजना 5 साल में भी पूरी नहीं हो पाई। इस योजना में आवेदन करने वाले 300 परिवार अपने घर का पिछले 5 वर्ष से इंतजार कर रहे हैं । यूआईटी द्वारा देवली अरब रोड पर पार्थ अपार्टमेंट नाम से आवासीय योजना पांच साल पहले लांच की गई थी । मुख्यमंत्री जन आवास योजना के अंतर्गत वर्ष 2015 में बनार्ई योजना में आर्थिक रूप से कमजोर और अल्प आय वर्ग के परिवारों को आवास उपलब्ध कराना था, इस योजना में बड़ी संख्या में लोगों ने आवेदन भी किए जिसकी लॉटरी भी निकाली गई, परंतु इसके बावजूद यूआईटी के अधिकारियों ने इस योजना की तरफ देखा तक नहीं है ।
जिन लोगों के नाम लॉटरी में निकाले गए थे वह यूआईटी अधिकारियों और कर्मचारियों के चक्कर काट - काट कर थक चुके हैं, परंतु यूआईटी के अधिकारी केवल भरोसे ही देते रहते हैं । मकान नहीं दिए जा रहे हैं, इस योजना में 296 मकान बने हैं इनमें से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 216 और अल्प आय वर्ग के लिए 80 मकान शामिल हैं । योजना में जी - प्लस 3 योजना की तरह मकान बने हैं । यूआईटी ने तत्कालीन चेयरमैन राम कुमार मेहता व सचिव मोहन लाल यादव के समय में 2017 में यह योजना लांच की गई थी । गरीबों की लाखों रुपए की राशि से यूआईटी ने कमाई तो कर ली, पर आज तक उन्हें मकान नहीं दिए गए। उन्हें अभी तक अपने आशियाने को प्राप्त करने का इंतजार है । यूआईटी सचिव ,कलेक्टर और अधीक्षण अभियंता की अनदेखी के कारण यह योजना खटाई में पड़ गई है । इस मामले में सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कलेक्टर यूआईटी सचिव , यूआईटी अधीक्षण अभियंता को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है ।
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