भूमि डायवर्जन ने रोकी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट की राह

5 माह से केन्द्र सरकार के पास अटका है मामला

भूमि डायवर्जन ने रोकी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट की राह

कोटा में नए एयरपोर्ट की मांग लम्बे समय से की जा रही है। उसकी फाइल केद्र सरकार तक भी पहुंच गई है। लेकिन भूमि का डायवर्जन नहीं होने से प्रस्तावित ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट की राह आगे नहीं बढ़ पा रही है।

कोटा । कोटा में नए एयरपोर्ट की मांग लम्बे समय से की जा रही है। उसकी फाइल केद्र सरकार तक भी पहुंच गई है। लेकिन भूमि का डायवर्जन  नहीं होने से प्रस्तावित ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट की राह आगे नहीं बढ़ पा रही है। शैक्षणिक नगरी कोटा में जहां पूरे देशभर से विद्यार्थी मेडिकल व इंजीनियरिंग की कोचिंग के लिए  आ रहे हैं। वहीं अधिकतर लोगों को कोटा में हवाई सेवा शुरू नहीं होने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कोटा से बाहर जाने के लिए भी लोगों को यहां से सीधी हवाई सेवा नहीं मिल पा रही है। कोटा वालों को पहले जयपुर, दिल्ली या मुम्बई जाना पड़ रहा है। वहां से अन्य शहरों के लिए हवाई सेवा की सुविधा मिल रही है। उसी तरह से बाहर से कोटा आने वालों को पहले जयपुर या दिल्ली जाना पड़ रहा है। वहां से रेल व सड़क मार्ग से कोटा आना पड़ रहा है। ऐसे में बाहर से कोटा आने और कोटा से बाहर जाने में समय अधिक लग रहा है।

इस समस्या को देखते हुए कोटा में सीधी हवाई सेवा शुरू करने की मांग की जा रही है। उस मांग को देखते हुए कोटा के दोनों जनप्रतिनिधि  लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला व स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल अपने-अपने स्तर पर प्रयास भी कर रहे हैं। उसी का परिणाम है कि एयरपोर्ट की फाइल दिल्ली तक पहुंच गई है। संभागीय आयुक्त दीपक नंदी ने गत दिनों नगर विकास न्यास व एयरपोर्ट अथोरिटी आॅफ इंडिया के अधिकारियों की बैठक लेकर इस मामले का शीघ्र निस्तारण करवाने के निर्देश दिए थे। केन्द्र के पाले में मामला जाने से पहले फाइलों में ही इधर से उधर घूम रहा था। हालाकि एयरपोर्ट अथोरिटी आॅफ इंडिया की टीम दो बार कोटा में प्रस्तावित एयरपोर्ट की भूमि का तकनीकी सर्वेक्षण कर चुकी है।

राज्य सरकार ने नि:शुल्क भूमि दी
राज्य सरकार ने शम्भूपुरा के पास  ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के लिए एयरपोर्ट अथोरिटी आॅफ इंडिया को करीब 500 हैक्टेयर(1250 एकड़) जमीन नि:शुल्क देने की स्वीकृति भी जारी कर दी है। उस भूमि में से नगर विकास न्यास की मात्र 33.4 हैक्टेयर भूमि है। जबकि शेष 466 हैक्टेयर भूमि वन विभाग की है।

वन विभाग की भूमि का होना है डायवर्जन
एयरपोर्ट के लिए सरकार ने जो जमीन दी है। उसमें से अधिक जमीन वन विभाग की है। उस जमीन का डायवर्जन होना है। डायवज़न का अधिकार केवल केन्द्र सरकार को है। वन विभाग की भूमि  का डायवर्जन करने का पत्र राज्य सरकार द्वारा दिसम्बर 2021 को भेजा जा चुका है। करीब 5 माह से यह मामला वहीं अटका हुआ है। नगर विकास न्यास के अधिकारियों का कहना है कि न्यास की भूमि तो बहुत कम है। अधिकतर भूमि वन विभाग की है। एयरपोर्ट अथोरिटी आॅफ इंडिया भी पूरी जमीन एक साथ ही लेना चाहती है। जबकि न्यास की भूमि उन्हें देने में कोई परेशानी नहीं है। वन विभाग की भूमि का डायवर्जन होने के बाद एक साथ ही पूरी भूमि एएआई को हैंडओवर की जाएग़ी।

राज्य सरकार डायवर्जन शुल्क देने पर भी सहमत
वन विभाग की भूमि का डायवर्जन होने पर उसका करीब 45 करोड़ रुपए शुल्क देना होगा। उस शुल्क को देने के लिए भी रा’य सरकार सहमत है। स्वायत्त  शासन मंत्री शांति धारीवाल ने गत दिनों कोटा प्रवास के दौरान एक कार्यक्रम में कहा था कि जब सरकार जमीन नि:शुल्क दे सकती है तो केन्द्र सरकार से वन विभाग की भूमि के  डायर्वजन की जितनी भी राशि की डिमांड आएगी उसे सरकार जमा करवाने को तैयार है।

इनका कहना है
ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के लिए सरकार ने जमीन दे दी है। उसमें से वन विभाग की भूमि के डायवर्जन का मामला केन्द्र सरकार को भेजा हुआ है। करीब 5 माह हो गए हैं। वहां से डायवर्जन होने के बाद ही इस मामले में आगे प्रगति हो सकेगी।
- हरिमोहन मीना, जिला कलक्टर कोटा

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