जन केन्द्रित गवर्नेंस की अप्रोच के साथ आगे बढ़ा 21वीं सदी का भारत : मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा अमृत महोत्सव सिर्फ 75 वर्षों का उत्सव नहीं बल्कि हमारे नायक-नायिकाओं ने आज़ाद भारत के जो सपने देखे उन्हें सेलिब्रेट करना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि 21वीं सदी का भारत जन केन्द्रित गवर्नेंस की अप्रोच के साथ आगे बढ़ा है और ये हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है कि हम खुद जनता तक पहुंचे और हर पात्र व्यक्ति को पूरा लाभ पहुंचायें। मोदी ने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत वित्त एवं कंपनी मामलों के मंत्रालय द्वारा आयोजित विशेष कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुये कहा ।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि 21वीं सदी का भारत जन केन्द्रित गवर्नेंस की अप्रोच के साथ आगे बढ़ा है और ये हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है कि हम खुद जनता तक पहुंचे और हर पात्र व्यक्ति को पूरा लाभ पहुंचायें। मोदी ने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत वित्त एवं कंपनी मामलों के मंत्रालय द्वारा आयोजित एक सप्ताह के विशेष कार्यक्रम का यहां शुभारंभ करते हुये कहा कि पहले के समय सरकार केन्द्रित गवर्नेंस का देश ने बहुत बड़ा खामियाजा उठाया है। लेकिन आज 21वीं सदी का भारत जन केन्द्रित गवर्नेंस की अप्रोच के साथ आगे बढ़ा है। ये जनता ही है, जिसने हमें अपनी सेवा के लिए यहां भेजा है। इसलिए हमारी ये सर्वोच्च प्राथमिकता है कि हम खुद जनता तक पहुंचे, हर पात्र व्यक्ति तक पहुंचना, उसे पूरा लाभ पहुंचाना, ये दायित्व हम पर है।
इस मौके पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, कंपनी मामलों के राज्य मंत्री राव इंद्रजीत ङ्क्षसह, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी और वित्त राज्य मंत्री भगवत कृष्ण राव कराड भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर सरकार की क्रेडिट ङ्क्षलक्ड योजनाओं के पोर्टल जन समर्थ पोर्टल का शुभारंभ भी किया। उन्होंने इसके साथ ही एक रुपया, दो रुपये, पांच रुपये , 10 रुपये और 20 रुपये के विशेष सीरीज के सिक्के भी जारी किये। श्री मोदी ने कहा कि ये नए सिक्के देश के लोगों को निरंतर अमृतकाल के लक्ष्य याद दिलाएंगे, उन्हें राष्ट्र के विकास में योगदान के लिए प्रेरित करेंगे। अगले एक हफ्ते में अनेक कार्यक्रम विभाग के द्वारा होने वाले हैं। इस मौके पर एक डिजिटल प्रदर्शनी भी शुरू हुयी जिसमें रुपये के सफर का भी प्रदर्शन किया गया है।
8 वर्ष के कार्यकाल का उल्लेख करा
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज़ादी का ये अमृत महोत्सव सिर्फ 75 वर्षों का उत्सव मात्र नहीं है, बल्कि आज़ादी के हमारे नायक-नायिकाओं ने आज़ाद भारत के लिए जो सपने देखे थे, उन सपनों को सेलिब्रेट करना, उन सपनों को परिपूर्ण करना, उन सपनों में एक नया सामथ्र्य भरना और नए संकल्प को ले करके आगे बढऩे का ये पल है। उन्होंने कहा कि किसी ने सत्याग्रह का रास्ता अपनाया, किसी ने अस्त्र-शस्त्र का रास्ता चुना, किसी ने आस्था और आध्यात्म का रास्ता चुना, तो किसी ने बुद्धिमता से आज़ादी की अलख को जगाने में अपनी कलम की ताकत का उपयोग किया। किसी ने कोर्ट-कचहरी में मुकदमे लड़ करके देश की आजादी में एक नई ताकत भरने का प्रयास किया। इसलिए आज जब हम आज़ादी के 75 वर्ष का पर्व मना रहे हैं, तो प्रत्येक देशवासी का कर्तव्य है कि वो अपने-अपने स्तर पर, अपने-अपने विशिष्ट योगदान राष्ट्र के विकास में जरूर जोड़े। मोदी ने अपने आठ वर्ष के कार्यकाल का उल्लेख करते हुये कहा कि भारत ने बीते आठ वर्षों में अलग-अलग आयामों पर नित्य नूतन कदम उठाए हैं, नवीन काम करने का प्रयास किया है। इस दौरान देश में जो जनभागीदारी बढ़ी, उन्होंने देश के विकास को गति दी है, देश के गरीब से गरीब नागरिक को सशक्त किया है। स्वच्छ भारत अभियान ने गरीब को सम्मान से जीने का अवसर दिया। पक्के घर, बिजली, गैस, पानी, मुफ्त इलाज जैसी सुविधाओं ने गरीब की गरिमा बढ़ाई, नागरिकों के आत्मविश्वास में एक नई ऊर्जा भर दी और साथ-साथ सुविधा भी बढ़ाई। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में मुफ्त राशन की योजना ने 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को भूख की आशंका से मुक्ति दिलाई। देश की आधे से अधिक आबादी जो देश के विकास के विमर्श से, फॉर्मल सिस्टम से वंचित थी, उसका समावेशन मिशन मोड पर किया गया। वित्तीय समावेशन का इतना बड़ा काम, इतने कम समय में दुनिया में कहीं नहीं हुआ है। और सबसे बड़ी बात, देश के लोगों में अभाव से बाहर निकलकर सपने देखने और सपनों को साकार करने का नया हौसला हमें देखने को मिला।
आज़ादी के 7 दशक बाद आया बड़ा परिवर्तन
उन्होंने कहा कि आज़ादी के 7 दशक बाद ये जो इतना बड़ा परिवर्तन आया है, उसके केंद्र में जन केन्द्रित गवर्नेस है, बेहतर प्रशासन का लगातार प्रयास है। एक समय था, जब देश में नीतियां और निर्णय सरकार केन्द्रित होते थे। उस समय किसी योजना के शुरू होने के बाद ये लोगों की जिम्मेदारी थी कि वे सरकार तक पहुंच कर उसका लाभ उठाएं। इस तरह की व्यवस्था में सरकार और प्रशासन, दोनों की ही जिम्मेदारी कम हो जाती थी। अब जैसे किसी गरीब छात्र को पढ़ाई के लिए आर्थिक मदद की जरूरत होती थी, तो पहले वे अपने परिवार, अपने रिश्तेदारों या अपने दोस्तों से मदद लेने के लिए मजबूर था। इसी काम के लिए सरकार की जो भी योजनाएं थीं, उसमें इतनी ज्यादा प्रक्रियाएं होती थीं, कि वे उस मदद को पाने के लिए आगे ही नहीं बढ़ता था, उस प्रक्रिया में ही थकान महसूस करने लगता था।
जन समर्थ पोर्टल का शुभारंभ
प्रधानमंत्री ने कहा कि अलग-अलग मंत्रालयों की अलग-अलग वेबसाइटों के चक्कर, उसे लगाने से बेहतर है कि वे भारत सरकार के एक पोर्टल तक पहुंचे और उसकी समस्या का समाधान हो। आज जनसमर्थ पोर्टल लॉन्च किया गया है, वो इसी लक्ष्य के साथ बनाया गया है। अब भारत सरकार की सभी क्रेडिट ङ्क्षलक्ड योजनाओं, अलग-अलग माइक्रोसाइटों पर नहीं बल्कि एक ही जगह पर उपलब्ध होंगी। ये जनसमर्थ पोर्टल छात्रों का, उद्यमियों का, व्यापारियों-कारोबारियों का, किसानों का जीवन तो आसान बनाएगा ही, उन्हें अपने सपने पूरे करने में भी मदद करेगा। जनसमर्थ पोर्टल के माध्यम से अब देश के युवाओं को, मध्यम वर्ग को पूरी सेवाओं का एक बड़ा प्लेटफॉर्म मिला है। जब लोन लेने में आसानी होगी, कम से कम प्रक्रियाएं होंगी तो ये भी स्वभाविक है कि ज्यादा से ज्यादा लोग लोन लेने के लिए आगे आएंगे। ये पोर्टल, स्वरोजगार को बढ़ाने में, सरकार की योजनाओं को सभी लाभार्थियों तक ले जाने में अहम भूमिका निभाने वाला है। प्रधानमंत्री ने बैंकरों से भी जनसमर्थ पोर्टल को सफल बनाने की अपील करते हुये कहा कि युवाओं को लोन मिलना आसान बनाने के लिए बैंक भी अपनी भागीदारी ज्यादा से ज्यादा बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि कोई भी सुधार हो, अगर उसका लक्ष्य स्पष्ट है, उसके क्रियान्वयन को लेकर गंभीरता है, तो उसके अच्छे नतीजे भी आना तय है। बीते आठ वर्षों में देश ने जो सुधार किए हैं, उनमें बड़ी प्राथमिकता इस बात को भी दी गई है कि देश के युवाओं को अपना सामथ्र्य दिखाने का पूरा मौका मिले। युवा अपनी मनचाही कंपनी आसानी से खोल पाएं, वे आसानी से उद्यमी बन पाएं, उन्हें आसानी से चला पाएं। इसलिए 30 हजार से ज्यादा अनुपालनों को कम करके, डेढ़ हजार से ज्यादा कानूनों को समाप्त करके, कंपनी कानून के अनेक प्रावधानों को गैरअपराधीकृत करके ये सुनिश्चित किया गया है कि भारत की कंपनियां न:न सिर्फ आगे बढ़ें बल्कि नई ऊंचाई को प्राप्त करें।
सरलीकरण पर फोकस
उन्होंने कहा कि सुधार के साथ ही जिस बात पर फोकस किया गया है वे है सरलीकरण। केंद्र और राज्य के अनेक टैक्सों के जाल की जगह अब जीएसटी ने ले ली है। और इस सरलीकरण का नतीजा भी देश देख रहा है। अब हर महीने जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपए के पार जाना सामान्य बात हो गई है। ईपीएफओ पंजीयन की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सुधार, सरलीकरण से आगे बढ़कर अब हम सुगम व्यवस्था का निर्माण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जेम पोर्टल पर भी खरीद का आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपए को पार कर रहा है। आज देश में निवेश करने के लिए कहां-कहां संभावनाएं हैं, वो जानकारी इंवेस्ट इंडिया पोर्टल के माध्यम से आसानी से उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि आज अनेक तरह की क्लियरेंस के लिए एकल खिड़की पोर्टल है। इसी कड़ी में ये जनसमर्थ पोर्टल भी देश के युवाओं, देश के स्टार्ट अप को बहुत मदद करने वाला है। आज हम सुधार, सरलीकरण, सुगमता की शक्ति के साथ आगे बढ़ते हैं तो सुविधाओं का नया स्तर प्राप्त होता है। सभी देशवासियों को आधुनिक सुविधाएं देना, उसके लिए नित नए प्रयास करना, नए संकल्प लेकर उन्हें सिद्ध करना हम सभी का दायित्व है।
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