धधकती धरती जीवन के लिए खतरे का संकेत
तापमान 33.1 डिग्री सेल्सियस तक चला गया
देश में बढ़ते तापमान के प्रकोप को हम भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों की नजरों से देखें, तो इस वर्ष 2022 के मार्च माह में देश का औसत अधिकतम तापमान मार्च माह में ही 33.1 डिग्री सेल्सियस तक चला गया था, जिसके चलते वर्ष 1901 के बाद इतिहास में पहली दफा मार्च माह को सबसे गर्म महीने के रूप में रिकॉर्ड किया गया।
देश में बढ़ते तापमान के प्रकोप को हम भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों की नजरों से देखें, तो इस वर्ष 2022 के मार्च माह में देश का औसत अधिकतम तापमान मार्च माह में ही 33.1 डिग्री सेल्सियस तक चला गया था, जिसके चलते वर्ष 1901 के बाद इतिहास में पहली बार मार्च माह को सबसे गर्म महीने के रूप में रिकॉर्ड किया गया। देश में यह आंकड़े तापमान विचलन के पैमाने को दर्शाते हैं। देश-दुनिया के लिए वर्ष दर वर्ष धधकती धरती जलवायु परिवर्तन के द्वारा लगातार दुनिया में तेजी के साथ बढ़ते हुए तापमान के संकेत बार-बार देना का कार्य कर रही है। लेकिन हम लोग सब कुछ समझने के बाद भी धरती की इस चिंताजनक हालात पर एक उस कबूतर की तरह आंख बंद कर के बैठे हुए हैं, जो बिल्ली को देखकर अपने बचाव में आंख बंद करके बैठकर अपने आपको सुरक्षित मानने की गलतफहमी पाल लेता है और अंत में बिल्ली का शिकार बन जाता है, ठीक उसी तरह हम लोग भी अभी विज्ञान के द्वारा जनित साधनों के दम पर अपने आपको धधकती धरती की आग के अंतिम परिणाम से सुरक्षित मान रहे हैं, जो कि भविष्य में हम लोगों की एक बहुत बड़ी भूल व कल्पना मात्र ही साबित होगी। आज धरातल पर बन रही स्थिति को ध्यान से देखें तो दुनिया का कोई भी महाद्वीप बढ़ते तापमान के चलते वहां पर हो रहे जलवायु परिवर्तन से अछूता नहीं बचा है, हालात यह हो गए हैं कि हर वक्त बर्फ की मोटी चादर में लिपटे रहने वाला अंटार्कटिक महाद्वीप में भी अब जलवायु परिवर्तन के चलते बहुत ज्यादा परिवर्तन हो रहे हैं, यहां पर तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि होने के चलते दिन प्रतिदिन अंटार्कटिक की बर्फ की चादर पिघलने के कारण से कम होती जा रही है। अब तो दुनिया के हर महाद्वीप में मौसम में वैश्विक स्तर पर बड़े परिवर्तनों के दुष्प्रभाव वर्ष दर वर्ष एक नया भयावह रूप लेकर के आने लगे हैं।
भारत की बात करें तो इस वर्ष 2022 में देश के बहुत सारे हिस्सों के निवासियों को वसंत ऋतु का आनंद ही नहीं मिला पाया, शरद ऋतु समाप्त होने के बाद मात्र चंद दिनों तक ही वसंत ऋतु रहने पश्चात, इस वर्ष ग्रीष्म ऋतु जैसे हालात शुरू हो गए। मार्च माह में पड़ी भीषण गर्मी ने इस बार वर्षों पुराने रिकॉर्ड को तोड़ने का कार्य किया है। जिसका प्रकोप मई-जून के माह में भी निरंतर जारी है, देश के विभिन्न स्थानों पर हीट वेव के चलते बढ़ते तापमान के नित-नए कीर्तिमान बना रहे हैं और हम इस स्थिति से निपटने के लिए प्रकृति के सामने एकदम बेबस लाचार नजर आ रहे हैं। देश में बढ़ते तापमान के प्रकोप को हम भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों की नजरों से देखें, तो इस वर्ष 2022 के मार्च माह में देश का औसत अधिकतम तापमान मार्च माह में ही 33.1 डिग्री सेल्सियस तक चला गया था, जिसके चलते वर्ष 1901 के बाद इतिहास में पहली दफा मार्च माह को सबसे गर्म महीने के रूप में रिकॉर्ड किया गया। देश में यह आंकड़े तापमान विचलन के पैमाने को दर्शाते हैं, जिसने देश के अधिकांश हिस्सों में मार्च के महीने में ही प्रभावी ढंग से गर्मी बढ़ाने का कार्य किया था।
हालांकि इस पर मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि हवा के पैटर्न में असामान्य बदलाव को जलवायु संकट से जोड़ा जा सकता है। इसका कारण इन क्षेत्रों में वर्षा की कमी को भी माना जा सकता है। वैसे भी इस बार मार्च के महीने में हीट वेव की घटनाएं शुरू हो गई थी, देश में एंटी-साइक्लोनिक सर्कुलेशन की वजह से पश्चिम की ओर से उत्तर और मध्य भारत में गर्मी बढ़ी थी। इस बार मार्च माह के दूसरे पखवाड़े में उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में 15 दिन लू का चलना दर्ज किया गया था, जो कि अपने आप में एक अप्रत्याशित हादसा है। देश में सिर्फ मार्च माह ही नहीं, बल्कि पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ने का कार्य इस वर्ष किया है। (आईएमडी) के विश्लेषण के अनुसार उत्तर पश्चिम और मध्य भारत के लिए सबसे गर्म माह था और देश ने पिछले 122 वर्षों (1901 से 2022) में तीसरा सबसे गर्म माह देखा है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार देश के कुछ भागों में 21 दिन तक लू चली थी। वहीं मई-जून के माह में भी लगातार देश के विभिन्न क्षेत्रों में हीट वेव का प्रकोप देखने के लिए मिल रहा है, मई माह में भी 15 दिन लू का जबरदस्त प्रकोप रहा था। देश्-दुनिया में वर्ष दर वर्ष जिस तरह से तापमान में वृद्धि जारी है, वह स्थिति भविष्य में हमारी धरा पर किसी भी प्रकार के जीवन के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
देश में हीट वेव चलने का प्रभाव वनस्पति, जीव-जंतुओं व मानव जीवन पर भी स्पष्ट रूप से अब तो नजर आने लगा है। हीट वेव से आम जनमानस की जीवनशैली भी प्रभावित हो रही है। हालांकि फिलहाल देश में अच्छी बात यह है कि भारत में गर्मी की लहरों के कारण होने वाली मौतों की संख्या में पिछले कुछ वर्षो में कमी आई है, लेकिन वैज्ञानिकों की शोध से यह पता चलता है कि अत्यधिक तापमान से हम लोगों की सामान्य शारीरिक क्षमता और मानसिक स्थिति तक भी काफी प्रभावित हो जाती है। गर्मी के प्रकोप से जहां एक तरफ तो हमारे स्वास्थ्य, जीव-जंतु, वनस्पतियों आदि पर बुरा प्रभाव पड़ता है, वहीं दूसरी तरफ मानव, जीव-जंतु, वनस्पति व सम्पूर्ण कृषि क्षेत्र की पानी पर निर्भरता अधिक बढ़ जाती है, जबकि पानी का मुख्य स्रोत बारिश होना कम हो जाता है। जिसकी वजह से गर्मी के भीषण प्रकोप के चलते देश के बहुत सारे हिस्सों को सूखे जैसी परिस्थितियों से जनित भिन्न-भिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उस वक्त पानी की एक-एक बूंद अनमोल होती है, लेकिन पानी की कमी के चलते सभी का जीवन प्रभावित हो जाता है।
- दीपक कुमार त्यागी
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
Comment List