विश्वबंधुत्व का आधार बन गया है योग

योग से करोड़ों लोगों की जीवनशैली में बदलाव आया

विश्वबंधुत्व का आधार बन गया है योग

शरीर, मन, विचार, समाज और आपसी मेल-मिलाप के बेहतरीन असर का परिणाम यह हुआ है कि करोड़ों लोगों की जीवनशैली में बदलाव आया है। जीवनशैली में आया बदलाव दुनिया की तमाम समस्याओं को कम करने में मददगार साबित हुआ है।

योग का दुनिया में फैलाव के बाद इसके शरीर, मन, विचार, समाज और आपसी मेल-मिलाप के बेहतरीन असर का परिणाम यह हुआ है कि करोड़ों लोगों की जीवनशैली में बदलाव आया है। जीवनशैली में आया बदलाव दुनिया की तमाम समस्याओं को कम करने में मददगार साबित हुआ है। भारतीय परंपरा में योग के अनगिनत स्वरूप देखने में आते हैं। क्रियायोग, राजयोग, सहजयोग के अलावा मंत्रयोग, हठयोग लययोग योग के ही अलग-अलग स्वरूप हैं। इनमें एक बात कॉमन है-से सभी शरीर, मन, आत्मा, प्रकृति और ईश्वर के साथ एकता स्थापित करने की बात करते हैं।


श्व योग दिवस की इस बार की थीम ‘मानवता के लिए योग’ रखा गया है। योग से ऊर्जा, विश्वबंधुत्व की भावना, प्रतिरक्षा प्रणाली की मजबूती और भाईचारे की भावना को मजबूत करने के साथ शारीरिक, मानसिक, आत्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी हैं। 27 दिसंबर 2014 में पहली बार जब भारत द्वारा विश्व योग दिवस मनाने के प्रस्ताव को संयुक्त राष्टÑ संघ द्वारा मंजूरी मिली और 21 जून 2015 से जब पहली बार योग दिवस मनाया गया, तब से लेकर अब तक, दुनिया में योग का विस्तार दो सौ से अधिक देशों में हुआ। भारत की इस प्राचीन आध्यात्मिक परंपरा को आज दुनिया में पहचान बन चुकी है। लेकिन योग उतना पुराना है जितने कि वेद। वेद में योग के बारे में विस्तार से जिक्र किया गया है। जिसके बारे में ऋषि पातंजलि ने योगदर्शन में उसके शारीरिक, प्राणिक, मानसिक और आत्मिक संबंधों, उपयोगिता और असर को दर्शाया है। वेद के मुताबिक तप के जरिए सिद्धियां हासिल करने की बात हो या साधना के जरिए आत्मा-परमात्मा के मिलन की बात हो, योग ही उसका आधार है। दरअसल, योग दुनिया में आसन, प्राणायाम, व्यायाम, ध्यान, तक सीमित नहीं रह गया है, यह मंथन, विचार-विमर्श, सांस्कृतिक आयोजन और आनंद का उत्सव भी बन गया है। यही वजह है कि इसकी तैयारी चार महीने पहले ही दुनिया के तमाम देशों में होने लगती है। चीन, जापान, अमेरिका, जर्मनी और दूसरे तमाम देशों में इसकी लोकप्रियता घर-घर तक हो चुकी है। यही वजह है तमाम देशों में योग पर अलग से शोध कार्य की शुरुआत हो चुकी है। मेरे जानने वाले अमेरिका में योग प्रशिक्षण देने वाले योग-मित्र ने दावा किया कि तमाम अमेरिकी योगाभ्यास के जरिए अपनी जीवनशैली में बदलाव करते हुए वे धूम्रपान, शराब, मांस और अंडा खाना छोड़ चुके हैं। आज दुनिया में आपसी प्रतिद्वंद्विता का दौर चल रहा है। रूस-यूक्रेन आपस में पिछले सौ दिनों से ज्यादा से आपस में उलझे हुए हैं। इससे दुनिया पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। ऐसे दौर में योग के विश्वबंधुत्व का मानवता के कल्याण का संदेश, मकसद व महत्व और भी बढ़ जाता है। अंतरराष्टÑीय योग दिवस आयोजन के बाद दुनिया के देशों के नजरिए में कई बदलाव देखने को मिले हैं। दिमाग और शरीर, प्रकृति और इंसान, सेहत और संयम की एकता (योग) कराने का कार्य योग के जरिए आगे बढ़ रहा है। जिस तरह से इंसान ने अपने स्वार्थ में कुदरत को कई तरह से असंतुलित करने का कार्य किए हैं और उससे ग्लोबल वार्मिंग, सुनामी, ग्रीन हाउस गैसों का बढ़ता विनाशकारी असर, तुचक्र में बदलाव और जीव-जंतुओं की गड़बड़ाती सेहत ने मानव सभ्यता के सामने सवाल खड़े किए हैं, ऐसे में योग का अपरिग्रह, संयम, शाकाहार और सुचिता का संदेश व महत्व बढ़ गया है। आज तमाम समस्याओं का समाधान योग के जरिए दुनिया के तमाम देशों में होने लगे हैं। सबसे बड़ी बात यह है लोगों में वैदिक परंपरा के प्रति विश्वास पुख्ता हुआ है। गौरतलब है योग वैदिक परंपरा का ही अभिन्न हिस्सा है। इससे वेद-शास्त्रों के प्रति लोगों के नजरिए में बदलाव आया है। योग का दुनिया में फैलाव के बाद इसके शरीर, मन, विचार, समाज और आपसी मेल-मिलाप के बेहतरीन असर का परिणाम यह हुआ है कि करोड़ों लोगों की जीवनशैली में बदलाव आया है। जीवनशैली में आया बदलाव दुनिया की तमाम समस्याओं को कम करने में मददगार साबित हुआ है। भारतीय परंपरा में योग के अनगिनत स्वरूप देखने में आते हैं। क्रियायोग, राजयोग, सहजयोग के अलावा मंत्रयोग, हठयोग लययोग योग के ही अलग-अलग स्वरूप हैं। इनमें एक बात कॉमन है-से सभी शरीर, मन, आत्मा, प्रकृति और ईश्वर के साथ एकता स्थापित करने की बात करते हैं। इसलिए दुनिया में जो लोग आत्मा, ईश्वर या तप वगैरा में यकीन नहीं करते वे भी अपनी शरीर, मन, इंद्रियों और विचारों को बेहतर बनाने के लिए योगाभ्यास करते हैं। इसी तरह जो लोग हिंदू नहीं हैं वे भी सेहतमंद रहने और जीवनशैली में संतुलन बनाने के लिए योग करते हैं। हालाँकि लोगों ने अपने मुताबिक मनमाने तरीके से योग के नियम के खिलाफ जाकर इसका अभ्यास करना शुरू कर दिया और उसके विपरीत असर से भी उन्हें रू-ब-रू होना पड़ा है। लेकिन जो जानकार योग-गुरुओं की देखरेख में योग का अभ्यास करते हैं, उन्हें बेहतर परिणाम मिले हैं। योग दिवस का महत्व इसलिए है कि यह उन लोगों को भी जोड़ने का कार्य करता है, जो व्यस्तताओं की वजह से सेहतमंद जिंदगी के लिए वक्त नहीं निकाल पाते। योग आतंरिक जीवन में उत्सव का माहौल बनाने का कार्य करता है। दुनिया के प्रत्येक आदमी की जिंदगी में उत्सव का माहौल कायम हो जाए तो जितनी भी शरीर, मन, बुद्धि, इंद्रिय और विचारों के जरिए होने वाली समस्याएं और बीमारियां है वे काफी हद तक खत्म की जा सकती हैं। योग को जो बेहतर तरीके से इस्तेमाल करते हैं और इससे पूरे मन से जुड़ने की कोशिश करते हैं वे जानते हैं, योग जिंदगी तक ही सीमित नहीं है बल्कि मानवता को सुखी बनाने के लिए इससे बेहतर और फायदेमंद दूसरा कोई जरिया नहीं है। कोविड 19 कोरोना काल में जिन लोगों ने योगसाधना के जरिए खुद को सेहतमंद और संतुलित बनाए रखने के लिए इस्तेमाल किया, उन लोगों को किसी तरह की समस्या हुई ही नहीं, यदि हुई भी तो वे दो-चार दिन में ठीक भी हो गए। गौरतलब है 2021 में विश्व योग दिवस की विषयवस्तु (थीम) ‘घर पर योग तथा परिवार के साथ योग’ रखा गया था। दुनिया के करोड़ों लोगों ने घर पर रहकर परिवार के साथ योग ही नहीं किया बल्कि इसके जरिए खुद के साथ परिवार को कोरोना से सुरक्षित भी रखा। भारत में कोरोना का भयावह असर न होने की वजह, घर पर परिवार के साथ रोजाना योगभ्यास करते रहना देखा गया।

वैदिक षि परंपरा का यह (योग) वरदान आज दुनिया को सुखी, संतुलित, सेहतमंद, मूल्यपरक और एकता के सूत्र में बाधने का कार्य कर रहा है। पिछले आठ सालों में योग ने लोगों को कई स्तरों पर प्रभावित किया है। लोगों को भीतरी और बाहरी दोनों तरह से सेहतमंद रहने में जितनी मदद योग विद्या ने की है आज तक और किसी के जरिए नहीं मिली है। कोरोना के असर से दूर रहने के लिए डाक्टरों ने लोगों को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की सलाह दी। इसमें भारतीय शाकाहार जीवनशैली के साथ योग ने बेहतर भूमिका निभाई। दरअसल, भारतीय जीवनशैली में योग जिंदगी का उसी तरह का पार्ट माना जाता है जिस तरह ईश्वर की भक्ति और पूजा करना। देखा जाए तो, भक्ति और भजन दोनों में योग-ध्यान, आधार-भूमि जैसे हैं। इसलिए चाहे खुद से जुड़ना हो, खुद को सेहतमंद बनाए रखने की बात हो या ईश्वर व प्रकृति से जुड़ने की इच्छा हो, योग के बगैर संभव ही नहीं है। पातंजलि ने योग के जिन आठ अंगों के जरिए योग को पूर्णता दी गई है, उसमें वे सभी बातें और कवायदें शामिल हैं, जिनकी जरूरत हमारी जिंदगी में रोजाना होती ही है।


  योग का मकसद है ‘सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दु:ख भाग भवेत् तो है ही, ‘यत्र विश्वं भवति एकनीडम्’ भी है। यानी सभी सुखी हों, सभी निरोग हों, सभी एक दूसरे के प्रति बेहतर व्यवहार करें और किसी को दुख का हिस्सा न बनना पड़े। यह योग के जरिए ही संभव है। वैदिक दृष्टि सारे विश्व को एक परिवार मानने की रही है। यह दृष्टि वेद से दुनिया को मिली। योग इस दृष्टि को मूर्तरूप देने का कार्य करता है। मतलब यह है योग इंसान को ऐसी दृष्टि देता है, जिससे सभी तरह के भेदभाव, अंधविश्वास, पाखंड, मकड़जाल, कुरीतियों और नकारात्मकता को खत्म करने का संकल्प दृढ़ होता है। आज दुनिया के विकसित और विकासशील देशों में योग का ‘महानाद’ गूंजायमान हो रहा है। और प्रत्येक व्यक्ति को सम्यक्-दृष्टि, सम्यक्-संकल्प और सम्यक्-कर्म करने के लिए प्रेरित कर रहा है। यही वजह है कि अमेरिका, जर्मनी, जापान, फ्रांस और चीन जैसे तमाम देश योग को अपने देश की शिक्षा के पाठ्यक्रमों में ही नहीं शामिल कर रहे हैं बल्कि एक लोगों को सेहतमंद रहने के लिए अभियान के रूप में आगे बढ़ा रहे हैं।
 

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