जरा सी बरसात नहीं झेल पाई यूआईटी की बनाई करोड़ों की सड़कें
डामर सड़कों पर हुए बड़े-बड़े गड्ढ़े, तीन माह भी नहीं चली , करोड़ों रुपए गए पानी में, अब टाट के पैबंद की तरह पेचवर्क से बिगड़ेगी शहर की सूरत
शहर में अधिकतर जगहों पर बनी डामर की नई सड़कें जरा सी बरसात भी नहीं झेल सकी। जिससे उनमें बड़े-बड़े गड्ढ़े हो गए हैं। नगर विकास न्यास द्वारा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर में करीब 5 हजार करोड़ रुपए के विकास कार्य करवाए जा रहे हैं।
कोटा। नगर विकास न्यास द्वारा शहर में विकास व सौन्दर्यीकरण के काम तो करवाए जा रहे हैं जिनमें चौराहों व डिवाइडरों को सजाया जा रहा है। जबकि आमजन के लिए सबसे उपयोगी सड़कों की क्वालिटी पर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है। शहर में अधिकतर जगहों पर बनी डामर की नई सड़कें जरा सी बरसात भी नहीं झेल सकी। जिससे उनमें बड़े-बड़े गड्ढ़े हो गए हैं। नगर विकास न्यास द्वारा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर में करीब 5 हजार करोड़ रुपए के विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। उनमें रिवर फ्रंट व ऑक्सीजोन और देव नारायण जैसी बड़ी योजनाओं के साथ ही करोड़ों रुपए चौराहों के सौन्दर्यीकरण व डिवाइडरों को सजाने में खर्च किए जा रहे हैं। शहर के मुख्य मार्गों विशेष रूप से कोटा उत्तर क्षेत्र में स्टेशन रोड के डिवाइडरों को इस तरह से बनाया जा रहा है जैसे विदेशी सड़कों के डिवाइडर हों। महंगी टाइल्स लगाकर उन पर डिजाइन की गई है। वर्तमान में जेडीबी कॉलेज के सामने डिवाइडर का काम किया जा रहा है। लेकिन आमजन के लिए सबसे जरूरी सड़कों को न्यास ने बनाया तो है लेकिन ठेकेदारों के भरोसे बनी सड़कों की हालत यह है कि बनने के कुछ दिन बाद ही उनकी हकीकत सबके सामने आ गई है।
कोटा उत्तर में ही बिगड़ी सड़कों की सूरत
न्यास द्वारा कोटा उत्तर में सबसे अधिक डामर की सड़कें बनाई गई है, और सड़कों की सूरत भी वहीं अधिक बिगड़ी है। नयापुरा स्थित विवेकानंद चौराहे पर सड़क को काफी इंच खोदकर नए सिरे से बनाया गया था। वह भी एक बार नहीं दो बार बनाया जा चुका है। उसके बाद भी हालत यह है कि अग्रसेन चौराहे से लेकर मयूर टॉकीज के सामने और सर्किल की रोटरी के पास इतने बड़े-बड़े गड्ढ़े हो गए हैं कि उनमें बरसात का पानी भर गया है। ऐसे में चौराहे से निकलने वाले वाहन विशेष रूप से दोपहिया वाहन चालकों के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा बना हुआ है।
पांच साल तक मरम्मत की जिम्मेदारी
न्यास द्वारा शहर में अधिकतर सड़कों का निर्माण ठेकेदारों के माध्यम से कराया जा रहा है। सड़कों को बनाने पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए। जिससे बरसात के समय लोगों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। न्यास द्वारा ठेकेदार को सड़क बनाने के बाद 5 साल तक उसकी देखभाल व मरमत की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन यह सड़कें पांच साल तो दूर एक साल ही नहीं छह माह भी पूरे नहीं कर सकी हैं। उससे पहले ही सड़कें खराब होने लगी हैं।
यहां हैं जानलेवा गड्ढ़े
जेडीबी कॉलेज के मुख्य द्वार के सामने, उम्मेद क्लब के सामने, जेल रोड पर विद्युत थाने के सामने , बारां रोड पर स्कूल के सामने, इतने बड़े-बड़े गड्ढ़े हो गए हैं कि वे हादसों का कारण बन रहे हैं। वैसे तो शहर में अधिकतर सड़कों पर गड्ढ़े हो रहे हैं वह कोई नई बात नहीं है। लेकिन नई बनी सड़कों पर गड्ढ़े होना न्यास के कामों पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।
लोगों का कहना
वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश रावल ने बताया कि शहर में विकास होना अच्छा है। लेकिन आमजन के लिए सबसे जरूरी सड़कें हैं। जब सड़कें ही सही नहीं होंगी तो हादसे व दुर्घटनाएं होंगी। जिससे लोग सुरक्षित नहीं रहेंगे। न्यास अधिकारी ठेकेदार को काम देने के बाद जाकर देखते तक नहीं हैं। सभी काम ठेकेदार के भरोसे छोड़ देते हैं। ठेकेदार भी हैल्पर व मजदूरों से ही काम करवा रहे है। न्यास के इंजीनियरों को मौके पर खड़े रहकर सड़कें बनवाई चाहिए। ऐसा नहीं करने से ही सड़कें समय से पहले खराब हो रही हैं।
अधिवक्ता राम स्वरूप शर्मा ने बताया कि नई बनी सड़कों पर यदि पेचवर्क किया जाएगा तो वे पहले जैसीे सही सड़क नहीं बन सकती। पेचवर्क टाट में पेबंद की तरफ होने से उन सड़कों की सूरत ही बिगड़ जाएगी। साथ ही बरसात में सड़कों को ठीक नहीं किया गया तो बरसात के पूरे समय में लोगों को गड्ढ़ों में ही हिचकोले खाने पड़ेंगे।
सड़कों को गुणवत्ता के साथ ही बनाया जाए। न्यास अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे ठेकेदार को इसके लिए पाबंद करें। यदि कोई ठेकेदार सही सड़क नहीं बना रहा है तो उससे पेनल्टी भी वसूल की जाए। साथ ही न्यास के अभियंताओं को सड़क निर्माण के दौरान स्वयं मौके पर मौजूद रहकर मॉनिटरिंग करनी चाहिए।
- रविन्द्र त्यागी, अध्यक्ष शहर जिला कांग्रेस एवं पूर्व अध्यक्ष नगर विकास न्यास
जवाब नहीं है इनके पास
शहर की नई सड़कों पर हो रहे गड्ढ़ों के बारे में जानने के लिए नगर विकास न्यास के सचिव राजेश जोशी को फोन के साथ मैसेज भी किया लेकिन उन्होंने फोन ही रिसीव नहीं किया।
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