गुजरात और हिमाचल प्रदेश में गहलोत और पायलट को मिली जिम्मेदारियां चुनौतियों से नहीं है कम

मुद्दों की लड़ाई काफी पेचीदा है

गुजरात और हिमाचल प्रदेश में गहलोत और पायलट को मिली जिम्मेदारियां चुनौतियों से नहीं है कम

पेचिदगियों से निपटते हुए कांग्रेस को बढ़त दिलाने में इन नेताओं के रोल पर एआईसीसी की नजर भी रहेगी।

जयपुर। गुजरात और हिमाचल प्रदेश में इस साल विधानसभा चुनावों में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को मिली जिम्मेदारियां भी चुनौतियों से कम नहीं है। दोनों ही राज्यों में कांग्रेस संगठन में गुट और मुद्दों की लड़ाई काफी पेचीदा है। पेचिदगियों से निपटते हुए कांग्रेस को बढ़त दिलाने में इन नेताओं के रोल पर एआईसीसी की नजर भी रहेगी।

गुजरात में हिंदुत्व कार्ड सबसे बड़ी चुनौती
गुजरात चुनाव में 182 में से भाजपा ने 99 और कांग्रेस ने 77 सीटें जीती। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को उस समय गुजरात की जिम्मेदारी मिली। बेहतर नेतृत्व और रणनीति के चलते ग्रामीण क्षेत्रों से किसान वर्ग के अधिक वोट मिलने से सीटों में बढ़ोतरी हुई। गहलोत 3 बार केन्द्रीय मंत्री, तीन बार पीसीसी चीफ और तीन बार के मुख्यमंत्री है। वह गुजरात, पंजाब और कर्नाटक में भी अहम जिम्मेदारी निभा चुके। गुजरात में गहलोत को वरिष्ठ पर्यवेक्षक और सहयोग के लिए मध्यप्रदेश के मंत्री टीएस सिंह देव और कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा को लगाया है। इस बार भी गांधी परिवार के भरोसेमंद, चतुर राजनीतिज्ञ और वरिष्ठ अनुभवी गहलोत को वरिष्ठ पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी है।

मजबूत स्थानीय नेताओं और कम होते कार्यबल की कमी से कांग्रेस त्रस्त है। पिछले दो साल में 13 कांग्रेस विधायक भाजपा में चले जाने से विधायक की संख्या 64 रह गई और भाजपा की संख्या 111 तक पहुंच गई। ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर और हार्दिक पटेल ने कांग्रेस छोड़ दी। उत्तर गुजरात और आदिवासी क्षेत्रों में कांग्रेस को कमजोर आंका जा रहा है। शहरी मध्यम और उच्च वर्ग का हिंदुत्व के मुद्दे पर भाजपा से छिटकाना भी चुनौती है। मोदी की तुलना में राहुल गांधी के कम दौरे और आप और एआईएमआईएम पार्टी की एंट्री ने भी कांग्रेस रणनीतिकारों की परेशानी बढ़ा दी है।

हिमाचल प्रदेश: युवा और ग्रामीण आबादी निर्णायक, सोशल इंजीनियरिंग पर सब कुछ निर्भर
हिमाचल प्रदेश में क्राइड कैप्चर इमेज वाले सचिन पायलट को पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी मिली है, लेकिन यहां मुद्दों के बीच सभी कुछ सोशल इंजीनियरिंग पर निर्भर करेगा। युवाओं के बीच देश में लोकप्रिय पायलट मनमोहन सिंह सरकार में केन्द्रीय मंत्री रह चुके। राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहने के साथ डिप्टी सीएम भी रह चुके। राहुल गांधी हाल ही में उनके धैर्य की तारीफ कर चुके है। हिमाचल प्रदेश में छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पर्यवेक्षक और पायलट तथा पंजाब कांग्रेस के नेता प्रताप सिंह बाजवा को पर्यवेक्षक के रूप में जिम्मेदारी दी है। हिमाचल प्रदेश में उनकी भूमिका की बात करे, तो वहां युवा और ग्रामीण आबादी निर्णायक भूमिका में है। यहां ठाकुर, दलित, ब्राह्मण और ओबीसी वर्ग की संख्या अधिक है। 6 बार सीएम रहे वीरभद्र सिंह की विरासत के चलते दूसरा मजबूत नेतृत्व नहीं उभर सका। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी पूर्व में दिए हिमाचल प्रदेश को लेकर कई अहम सुझाव दिए थे। कांग्रेस विधानसभा चुनाव व्यवस्था में बदलाव और भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, कर्मचारियों और महिला उत्पीड़न के मुद्दों पर मैदान में उतरेगी।

Read More बेहतर कल के लिए सुदृढ ढांचे में निवेश की है जरुरत : मोदी

Post Comment

Comment List

Latest News