शिक्षक भर्ती स्कैम
कई अचल संपत्तियों के कागज मिले थे
यह निर्णय तब लिया, जब प्रवर्तन निदेशालय की टीम को पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के एक और फ्लैट से करीब 28 करोड़ रुपए नकद, सोना और विदेशी मुद्रा मिली।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपने मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्य पार्थ चटर्जी को हटाने के लिए विवश होना पड़ा। उन्होंने यह निर्णय तब लिया, जब प्रवर्तन निदेशालय की टीम को पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के एक और फ्लैट से करीब 28 करोड़ रुपए नकद, सोना और विदेशी मुद्रा मिली। इससे पहले उनके एक अन्य फ्लैट से 21 करोड़ रुपए के साथ-साथ कई अचल संपत्तियों के कागज मिले थे। उचित तो यह रहता कि ममता बनर्जी तभी पार्थ चटर्जी को मंत्री पद व पार्टी से बर्खास्त कर देती, लेकिन पता नहीं फैसले लेने में उन्होंने इतना समय क्यों लिया। उनके विलंब से लिए निर्णय का कारण कुछ भी रहा हो, लेकिन वह इस सवाल से अपने आपको बचा नहीं सकती कि क्या उन्हें इस बात की कतई भनक नहीं लगी। पार्थ चटर्जी दोनों हाथों से लूट का धंधा चला रहे है। आखिर ऐसा कैसे हो सकता है कि सरकार का कोई मंत्री बड़े पैमाने पर घोटाला करने में जुटा है। यह सवाल इसलिए और गंभीर हो जाता है, क्योंकि शिक्षकों की भर्ती स्कैमकी पुष्टि तभी हो गई थी, जब कोलकाता हाईकोर्ट द्वारा गठित एक आयोग ने यह पाया था कि शिक्षक की भर्ती में धांधली की गई। पता नहीं ममता बनर्जी ने तब अपने स्तर पर इस मामले को देखना और जांच करवाना उचित क्यों नहीं समझा।
इससे तो यही प्रतीत होता है कि सभी कुछ ममता बनर्जी के कहने पर ही चल रहा था। ऐसा तो नहीं कि लूट के पैसे का एक बड़ा हिस्सा पार्टी कोष को मिल रहा था। हकीकत जो भी हो, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। तृणमूल के कई नेता न केवल गंभीर आरोपों से घिरे हैं, बल्कि उनके खिलाफ कई एजेंसियों की तरफ से जांचें चल रही हैं। ममता बनर्जी तक के परिवार के कुछ सदस्य जांचों का सामना कर रहे हैं। विपक्ष भ्रष्टाचार के मामले पर सवाल कर रहा है। विशेषकर भाजपा इस मामले में ममता को आसानी से वॉकओवर नहीं देगी। पार्थ को लेकर भाजपा सीधे ममता को टारगेट करेगी। अलबत्ता वह इसमें कैसे सफल होगी, यह आने वाला समय बताएगा। अभी तो जांच भी पूरी नहीं हुई है।
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