किशनगंज में दिखाई देने लगा दुर्लभ प्रजाति के गिद्ध का कुनबा
एक दर्जन से अधिक के समूह में आए नजर
देश में गिद्धों की संख्या तेजी से कम होती आई है, लेकिन इन दिनों किशनगंज वन रेंज के बासथूनी नाके में लुप्तप्राय हो चुके गिद्धों का कुनबा नजर आने लगा है। रेज क्षेत्र के बासथूनी स्थित गौशाला के पास गिद्ध झुण्ड में बैठे दिखाई दिए हैं।
किशनगंज। देश में गिद्धों की संख्या तेजी से कम होती आई है, लेकिन इन दिनों किशनगंज वन रेंज के बासथूनी नाके में लुप्तप्राय हो चुके गिद्धों का कुनबा नजर आने लगा है। रेज क्षेत्र के बासथूनी स्थित गौशाला के पास गिद्ध झुण्ड में बैठे दिखाई दिए हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि पहले गिद्धों की संख्या में भारी कमी आई है, लेकिन अब रेंज क्षेत्र में गिद्ध दिखाई देना किशनगंज वन क्षेत्र के लिए सुखद है। रेज क्षेत्र में देखे गए गिद्ध के कुनबे में एक दर्जन से भी अधिक गिद्ध शामिल है इनमें कई प्रवासी गिद्ध है।
प्रदेश में पाए जाते है 7 प्रजाति के गिद्ध
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान में 7 प्रजाति के गिद्ध राजस्थान में पाए जाते हैं। जंगल में पारिस्थितिकी संतुलन के लिए गिद्ध का होना जरूरी है। शिकार के बाद बचे मांस और अवशेष खाकर गिद्ध जंगल को साफ रखते हैं।
बढ़ता प्रदूषण गिद्धों की घटती संख्या का कारण
पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि गिद्धों की संख्या में कमी का मूल कारण बढ़ता प्रदूषण, घटते जंगल, विषैले कीटनाशक पदार्थ आदि हैं। इनके चलते गिद्धों का जीवन प्रभावित हुआ है। जबकि गिद्ध पर्यावरण हितैषी है और वह धरती पर संक्रमण रोकने का कार्य करते हैं। साथ ही स्वच्छता में सहयोगी हैं। मृत पशुओं की सफाई का कार्य गिद्धों व चील पर टिका है। पिछले कुछ समय से चील भी लुप्त हो गई हैं। राजस्थान में यह अपना घोंसला पेड़ों पर बनाते हुए भी पाये गए हैं। अन्य गिद्धों की भांति यह भी अपमार्जक या मुर्दाख़ोर होता है और यह ऊं ची उड़ान भरकर इंसानी आबादी के नजÞदीक या जंगलों में मुर्दा पशु को ढूंढ लेते हैं और उनका आहार करते हैं। इनके चक्षु बहुत तीक्ष्ण होते हैं और काफी ऊंचाई से यह अपना आहार ढूंढ लेते हैं। यह प्राय: समूह में रहते हैं।
किशनगंज रेंज क्षेत्र के बासथूनी प्लांटेशन में दुर्लभ प्रजाति के पक्षी गिद्ध दिखाई देना अच्छे संकेत है।
- पवन सहरिया, फोरेस्टर।
किशनगंज रेंज क्षेत्र के कन्यादह में दुर्लभ प्रजाति के गिद्द का बसेरा है। बासथूनी प्लांटेशन में दुर्लभ प्रजाति दिखाई देना अच्छा वन्यजीवो की दृष्टि से अच्छा है। रेंज क्षेत्र में जरख, सियार, नीलगाय आदि जंतु देखे जाते है।
- भूपेंद्र सिंह हाड़ा, क्षेत्रीय वन अधिकारी, किशनगंज।
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