प्रतिबंध की मार से 500 करोड़ की पॉलीथिन व डिस्पोजल इंडस्ट्री खत्म

सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध का असर : हजारों हुए बेरोजगार, प्रतिमाह 80 करोड का था कारोबार, पॉलीथिन प्रोडक्ट गोदामों में सड़ने को मजबूर

प्रतिबंध की मार से 500 करोड़ की पॉलीथिन व डिस्पोजल इंडस्ट्री खत्म

प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने से कोटा शहर में करोड़ों का कारोबार सिमट गया है। लगभग 500 करोड की इंडस्ट्री खत्म हो गई है। इसके साथ इस व्यापार से जुड़े हजारों छोटे बड़े व्यापारी,कामगार, विक्रेता बेरोजगार हो गए हैं।

कोटा। प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने से कोटा शहर में करोड़ों का कारोबार सिमट गया है। लगभग 500 करोड की इंडस्ट्री खत्म हो गई है। इसके साथ इस व्यापार से जुड़े हजारों छोटे बड़े व्यापारी,कामगार, विक्रेता बेरोजगार हो गए हैं। इसके साथ अब पेपर कप को भी सिंगल यूज प्लास्टिक श्रेणी में शामिल करने से करोड़ों का माल गोदामों में सड़ने की स्थिति में आ गया है। व्यापारियों पर दोहरी मार पड़ रही है। कोटा शहर में इस प्रतिबंध से हजारों लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ है। इस प्रतिबंध को लेकर प्लास्टिक उद्योग से जुड़े व्यापारी रोष जता रहे हैं। व्यापारियों व आम आदमी का कहना है कि प्रतिबंध लगाने से पहले सरकार को एक पायलट प्रोजेक्ट चला कर इसके हानि -लाभ देखने चाहिए थे। आज पॉलीथिन व इससे जुड़े प्रोडक्ट घर-घर की आवश्यकता बन गए हैं। इनका विकल्प नहीं होने से लोग मजबूर हैं। लोगों की जेब अभी आर्थिक भार सहने की स्थिति में नहीं है। इस प्रतिबंध से देश भर में हजारों नहीं बल्कि लाखों परिवार कामकाज जाने से बर्बादी के कगार पर पहुंच जाएंगे।

सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के परिणामों को लेकर नवज्योति ने लोगों से बातचीत की। प्रस्तुत हैं उसके अंश कोटा में 100 उद्योग, हजारों कामगार पूरे राजस्थान में सिंगल यूज प्लास्टिक से सम्बंधित करीब 3 हजार उद्योग हैं। कोटा शहर में 100 उद्योग हैं। जिनमें पॉलीथिन थैलियां, पत्तल दोने से लेकर पेपर कप और अन्य कई डिस्पोजल आइटम का निर्माण किया जाता है। इन उद्योगों के माध्यम से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार मिला हुआ है। सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने से इस कारोबार से जुड़े सभी उद्योगों में ताला लग गया है। हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं। अधिकांश कामगारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। 100 करोड़ की आपूर्ति गुजरात व दिल्ली से एक अनुमान के मुताबिक कोटा शहर में हजारों किलो पॉलीथिन व डिस्पोजल उत्पादों की खपत होती है। इसका सटीक आंकड़ा किसी के पास नहीं हैं, क्योकि प्लास्टिक से कई तरह के उत्पाद बनाए जाते हैं। मोटे तौर पर कोटा शहर में हर माह करीब 70 से 80 करोड़ रुपए का कारोबार होता है। शहर में शादी विवाह के सीजन में यह 100 करोड़ तक पहुंच जाता है। छोटे-मोटे हर आयोजन में पॉलीथिन व प्लास्टिक कोटेड उत्पाद का ही उपयोग किया जाता है। ज्यादातर माल स्थानीय होता है। वैसे पालीथिन गुजरात,दिल्ली, से भी मंगवाई जाती है। वर्षभर में लगभग 100 करोड़ की आपूर्ति गुजरात व दिल्ली करता है।

ज्यादातर पॉलीथिन की आपूर्ति गुजरात से जानकारी के अनुसार कोटा में कई उद्योगों में पॉलीथिन का उत्पादन किया जाता है। वहीं शहर में पॉलीथिन की सबसे ज्यादा आपूर्ति गुजरात राज्य से होती है। कोटा की तुलना में गुजरात से आने वाली पॉलीथिन व्यापारियों को सस्ती पड़ती है। कोटा शहर में करीब 25 छोटे व बड़े होलसेल व्यापारी सहित करीब 200 से ज्यादा लोग पॉलीथिन विक्रय के कारोबार से जुड़े हुए हैं। सरकार ने पहले क्यों नहीं की घोषणा व्यापारी भगवान मलकानी का कहना है कि अगस्त 2021 में केंद्र सरकार ने गजट नोटिफिकेशन निकाला था कि सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन कर दिया जाएगा। इस दौरान कोई घोषणा नहीं की गई थी कि पॉलीथिन के साथ पेपर कप इंडस्ट्री से जुड़े उत्पाद भी बंद होंगे। नोटिफिकेशन के बाद व्यापारियों ने पॉलीथिन कोटेड व प्लास्टिक से जुड़े सभी डिस्पोजेबल आइटम खरीदना बंद कर बचे हुए माल को भी पूरी तरह बेच दिया था। इसकी जगह पर पेपर कप इंडस्ट्री से जुड़े आइटम को बड़ी मात्रा में खरीद लिया। कई व्यापारियों ने लोन लेकर भी माल खरीदा है। अब उनके पास करोड़ों रुपए का माल पड़ा हुआ है। इधर सरकार ने अचानक से 14 जुलाई को इनको प्रतिबंधित कर दिया है, जिसके चलते रोजगार के साथ-साथ इस पड़े हुए माल को बेचने का ही संकट हो गया है। इसको बंद करने के पहले सरकार को हमें 3 से 4 साल का समय देना चाहिए था। इससे नयी इंडस्ट्री डवलप हो सकती है। सरकार को चाहिए कि वह इसका विकल्प सुझाने के साथ उधोगों को रियायत की घोषणा करे जिससे नयी इकाइयां स्थापित हो सकें। कोई अल्टरनेट या सब्सीट्यूट भी नहीं व्यापारी ताराचंद का कहना है कि हमारे उद्योग तो बंद होंगे ही, लेकिन लोगों के सामने भी संकट आ जाएगा। पॉलीथिन के स्थान पर पेपर अथवा कपड़े के बैग काफी महंगे पड़ रहे हैं। इससे क्रेता व विक्रेता दोनों परेशान हो रहे हैं। पॉलीथिन की थैली हर जगह काम आती है। सर्दी,गर्मी बरसात में यह महफूज रहती है। यह काफी सस्ती भी पड़ती हैं। 30 से 35 रुपए में आधा किलो थैलियां तक आ जाती हैं। यदि कागज अथवा कपड़े की थैेलियों को उपयोग करें तो बरसात में इन्हें कैसे यूज किया जाएगा। हाइजीन के लिए भी यह अच्छा प्रोडक्ट है। विकल्प पड़ जाएगा 10 गुना महंगा व्यापारियों का कहना है कि इसका विकल्प मानी जाने वाली बायोडिग्रेडेबल पत्तल ही 10 रुपए आ रही है, जबकि 3 रुपए का दोना और गिलास बाजार में उपलब्ध नहीं है। ऐसे में एक आम आदमी को कार्यक्रम करने में 10 गुना से ज्यादा खर्चा करना होगा। बड़ी कंपनियों को 10 साल की छूट व्यापारी राजेश कुमार ने बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक में बड़ी यूनिट्स को छूट दे दी, जबकि छोटी इकाइयों पर ही यह पाबंदी लगाई जा रही है। सभी फूड पैकेजिंग मैटेरियल, सुपारी, गुटका, नमकीन, बिस्किट, दूध में छूट दे दी गई है जबकि यह 100 प्रतिशत प्लास्टिक से निर्मित है. वहीं पेपर कप में नाम मात्र का प्लास्टिक तीन से 5 प्रतिशत केवल कोटिंग के रूप में लगाई जाती है, फिर भी इसे बैन किया जा रहा है. यह सरासर गलत है। जिस तरह से बड़ी कंपनियों को 10 साल की छूट दी गई है, उसी तरह उन्हें भी 5 साल की छूट दी जाए। हानिकारक नहीं, फिर भी प्रतिबंध व्यापारी ताराचंद का कहना है कि पेपर कप किसी भी हालात में हानिकारक नहीं है। यह 250 डिग्री सेल्सियस पर मेल्ट होता है। जबकि चाय या कोई भी चीज 2 डिग्री सेल्सियस पर बनती है और उसको कप में भरा जाता है, तो उसका 80 डिग्री सेल्सियस तापमान हो जाता है। पेपर कप का कागज लकड़ी से बनता है और पूरी तरह से फूड ग्रेड है। पूरे विश्व में कहीं भी इस पर बैन नहीं है। इसमें प्लास्टिक का महज तीन से पांच प्रतिशत ही उपयोग किया जाता है। इसके बावजूद बैन करना दूरदृष्टि नहीं है। रीसाइक्लिंग बढ़ाने की जगह लगाया बैन उद्योगपतियों का कहना है कि विदेशों में भारत से ज्यादा सिंगल यूज प्लास्टिक उपयोग में ली जाती है। भारत में चाइना का 10 फीसदी भी सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं होता है। इसके बावजूद यहां पर उसको बैन किया गया है. जबकि रीसाइक्लिंग का काम सरकार को बड़े स्तर पर करना चाहिए, ताकि उससे प्लास्टिक खतरे के रूप में नहीं बने। पायलट प्रोजेक्ट बनाकर जानकारी लेतें सिंगल यूज प्लास्टिक से जुड़े उत्पादों पर प्रतिबंध बिना अध्ययन लागू किया है। इसे किसी एक शहर में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर करके देखना चाहिए था। इसके बाद इसके प्रभावों का अध्ययन करना चाहिए था।

यदि आमजन और व्यापारी वर्ग इसे स्वीकार करता तो पूरे प्रदेश में इसे लागू करना चाहिए था। हर जगह उपयोग हो रहे प्रोडक्ट पर प्रतिबंध लगाने से अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो रही है। लोगों के हित में इस फैसले पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।- कमलेश ललवानी, सीए व आर्थिक विशेषज्ञ

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पर्यावरण प्रदूषण को देखते हुए राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने गत दिनों पॉलीथिन व प्लास्टिक कोटेड पेपर इंडस्ट्री से जुड़े सभी प्रोडक्ट पर प्रतिबंध लगा दिया है। मंडल का काम पर्यावरण को संरक्षित रखने का प्रयास करना है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचने के कारण ही इस पर प्रतिबंध लगाया गया है। -अनुराग सिंह, पर्यावरण कनिष्ठ अभियंता,

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प्रदूषण नियंत्रण मंडल निगम की ओर से समय-समय पर सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों की ब्रिकी व परिवहन के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। पूर्व में भी अभियान चलाकर पॉलीथिन व अन्य सामग्री जब्त की गई थी। आगे भी इस तरह की कार्रवाई को जारी रखा जाएगा। -राकेश व्यास, मुख्य अग्निशमन अधिकारी नगर निगम

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