प्रकृति के सामने कुछ नहीं है सैन्य ताकत 

चीन को अरबों डॉलर का नुकसान

प्रकृति के सामने कुछ नहीं है सैन्य ताकत 

चीन भीषण सूखे, बाढ़, भूकम्प और फिर से फैले कोरोना से जूझ रहा है।

दुनिया को अपनी सैन्य ताकत के बल पर डराने की कोशिश करने वाले चीन की प्रकृति के प्रकोप ने ने दर्शा दिया कि पर्यावरण के खिलाफ किए गए कार्यो का परिणाम सभी को भुगतना पड़ेगा, वह कितना ही ताकतवर क्यों ना हो। प्रकृति की ताकत के सामने सैन्य ताकत कुछ नहीं है। चीन भीषण सूखे, बाढ़, भूकम्प और फिर से फैले कोरोना से जूझ रहा है। इससे चीन को अरबों डॉलर का नुकसान हो चुका है। पर्यावरण से उत्पन्न हुआ असंतुलन चीन में अपना रौद्र रूप दिखा रहा है। यह वही चीन है जिसने विश्व की सर्वोच्च संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार, दक्षिणी चीन सागर और परोक्ष रूप से आतंकवाद के मामले में दिए गए फैसलों को दरकिनार कर दिया। प्रकृति के सामने यही चीन अब बौना दिखाई दे रहा है। चीन की करोड़ों आबादी को भारी दुश्वारियों को सामना करना पड़ रहा है। विश्व को कोरोना वायरस की चपेट में धकेलने वाले चीन में बड़े पैमाने पर यह वायरस फिर से सिर उठा रहा है। इसके चलते टेक हब कहे जाने वाले चीन के शेनझेन और चेंगदू में लॉक डाउन लगा हुआ है। शेनझेन में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने से टेलीविजन, लैपटॉप और स्मार्टफोन की कीमतें बढ़ सकती हैं। इससे पहले चीन की सरकार ने वायरस को फैलने से रोकने के लिए शंघाई समेत कई शहरों को पूरी तरह बंद कर दिया था। शंघाई चीन का सबसे बड़ा औद्योगिक केंद्र है। चीन के ड्रीम प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। चीन 61 साल की सबसे भयंकर गर्मी और सूखे का सामना कर रहा है। चीन के कई शहर भीषण बिजली संकट से जूझ रहे हैं। सिचुआन प्रांत के चोंगक्विंग शहर में टेम्प्रेचर 45 डिग्री को पार कर गया। इतना ही नही, देश के सेंट्रल और साउथ-वेस्ट इलाकों के कई शहरों में भी पारा 40 डिग्री के पार पहुंच गया। चीन के सिचुआन, जियांग्शी, अनहुई, हुबेई, हुनान और चोंगक्विंग में 25 लाख लोग सूखे की चपेट में हैं और 22 लाख हेक्टेयर जमीन पर लगी फसल पूरी तरह सूख गई है।


चीन में 144 साल का सबसे बड़ा जल संकट बताया जा रहा है। चीन के जियांगसी प्रांत में इस साल भयंकर सूखे से पोयांग झील का आकार सिकुड़ कर चौथाई रह गया है। वहीं चोंगक्विंग क्षेत्र में इस साल 60 फीसदी कम बारिश हुई है। दक्षिण-पश्चिम चीन के 34 प्रांतों की 66 नदियां बढ़ते तापमान से सूख गई हैं। चीन की सबसे लंबी नदी यांग्त्जी भी सूख चुकी है। चीन की नदी यहां की सबसे उपजाऊ जमीन को सींचती है। इसके अलावा यांग्त्जी नदी चीन के 40 करोड़ लोगों को पीने का पानी देती है। लेकिन इस बार चीन में पड़ रही तेज गर्मी की वजह से यह नदी 50 प्रतिशत तक सूख चुकी है। सूखे और गर्मी से चीन में चावल और मक्का की फसल को भारी नुकसान पहुंचने का अनुमान है। ऐसे में ड्रैगन को अब ब्राजील और अमेरिका से मक्का आयात करना पड़ सकता है।

चीन में बिजली संकट की मुख्य वजह हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट का बंद होना है। दरअसल, गर्मी के चलते नदियों और बांधों में पानी सूख गया है, जिससे कई पावर प्लांट ठप पड़े हुए हैं। चीन अपनी कुल खपत की 15 प्रतिशत बिजली पानी से बनाता है। कम बारिश की वजह से उसके हाइड्रोपॉवर क्षमता पर बुरा असर पड़ा है। इसकी वजह से कई कारखाने बंद पड़े हुए हैं। एक तरफ  चीन भीषण सूखे और गर्मी की मार से जूझ रहा है, वहीं दूसरी तरफ भारी बारिश से आई बाढ़ से हाहाकार मचा हुआ है। चीन के वुहान और हुबेई प्रांत बाढ़ के प्रकोप का सामना कर रहे हैं। इससे दोनों प्रांतों की करीब 8 लाख की आबादी को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। एशिया की सबसे लंबी नदी यांग्त्से में बाढ़ आ गई है। चीन की 33 नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। बाढ़ से करीब डेढ़ सौ लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग लापता है।

चीन अभी बाढ, सूखे और कोरोना से संभल भी नहीं पाया कि रही सही कसर 6.8 तीव्रता के भूकम्प ने निकाल दी। सिचुआन प्रांत में आए भूकंप से भारी तबाही हुई।  16 लोग लापता है। भूकंप के झटके इतने थे कि सेकेंड में सब कुछ बर्बाद हो गया। आर्थिक और सैन्य ताकत के जरिए वैश्विक पर्यावरण से खिलवाड़ करने के लिए चीन काफी जिम्मेदार है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) चीन जलवायु को नुकसान पहुंचाने वाले जीवाश्म ईंधन प्रदूषण का सबसे बड़ा उत्सर्जक बना हुआ है। आईईए के मुताबिक वैश्विक स्तर पर कार्बन डाईआॅक्साइड के उत्सर्जन के मामले में सबसे बड़ी हिस्सेदारी चीन की है। चीन में साल 2019 से 2021 के बीच कार्बन डॉईऑक्साइड का उत्सर्जन 75 करोड़ मीट्रिक टन बढ़ा है। इतना ही चीन ने ब्रह्मांड की सबसे खूबसूरत देन पृथ्वी को भी नुकसान पहुंचाने में कमी नहीं रखी। 

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- योगेन्द्र
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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