बाढ़ की भेंट चढ़ी पुलिया की नहीं हुई मरम्मत, आवागमन का मार्ग लम्बे समय से है बंद

चम्बल की रियासतकालीन पुलिया का मामला

बाढ़ की भेंट चढ़ी पुलिया की नहीं हुई मरम्मत, आवागमन का मार्ग लम्बे समय से है बंद

चम्बल पर बनी रियासतकालीन पुलिया की इतनी अधिक दुर्दशा हो गई कि उसके बीच का पूरा हिस्सा उखड़कर नदी में जा गिरा। कुछ हिस्सा बड़े-बड़े पत्थरों के रूप में वहीं बिखरा नजर आ रहा है। ऐसे में उस पुलिया से आवागमन संभव नहीं हो पा रहा है। पुलिया पर दोनों तरफ से वाहनों का आवगनम पूरी तरह से बंद किया हुआ है।

कोटा। चम्बल नदी के उस पार जाने और वहां से शहर में आने का एक बड़ा माध्यम है चम्बल की रियासतकालीन पुलिया। जो इस बार आई बाढ़ की भेंट ऐसी चढ़ी कि नदी पार आवागमन का सम्पर्क ही टूट गया है। लेकिन अभी तक भी उसकी मरम्मत नहीं की गई है। नयापुरा से नदी पार कुन्हाड़ी व बूंदी रोड जाने के लिए चम्बल पर बनी रियासतकालीन पुलिया  बेहतर साधन है। जिस पर से न केवल दो पहिया  व चार पहिया वाहन और पैदल लोग इधर से उधर आ-जा सकते हैं। वरन् बड़े व भारी वाहन तक इस पुलिया से निकलते हैं। लेकिन हालत यह है कि पिछले करीब एक महीने से अधिक समय से यह पुलिया बंद है। इसका कारण मध्य प्रदेश व राजस्थान में हुई अधिक वर्षा के चलते कोटा बैराज से छोड़े गए पानी की आवक अधिक होने से पुलिया का ऊपरी हिस्सा बह गया था। जिससे उस पुलिया की इतनी अधिक दुर्दशा हो गई कि उसके बीच का पूरा हिस्सा उखड़कर नदी में जा गिरा। कुछ हिस्सा बड़े-बड़े पत्थरों के रूप में वहीं बिखरा नजर आ रहा है। ऐसे में उस पुलिया से आवागमन संभव नहीं हो पा रहा है।

जिससे उस पुलिया पर दोनों तरफ से वाहनों का आवगनम पूरी तरह से बंद किया हुआ है। वह भी काफी समय से। जिससे लोगों को परेशानी का सामना तो करना पड़ रहा है। बावजूद इसके आस-पास रहने वाले कुछ लोग जिनके पास साधनों की परेशानी है वे खतरा मोल लेकर व जान जोखिम में डालकर उस क्षतिग्रस्त पुलिया से निकल रहे हैं। जिससे उनके गिरने व चोटिल होने की संभावना बनी हुई है। शुरुआत में तो पुलिया के दोनों तरफ होमगार्ड व पुलिस कर्मी लगे हुए थे। जिससे लोगों को व वाहनों को उधर से निकलने से रोका जा सके। लेकिन वर्तमान में वहां कोई भी नहीं है। जिससे लोग बेधड़क पुलिया से निकल रहे हैं। 

हर बार की कहानी, स्थायी समाधान नहीं
कोटा बैराज से अधिक मात्रा में पानी छोड़ने व बाढ़ आने पर हर बार इस पुलिया का ऊपरी हिस्सा बह जाता है। जिससे यह पुलिया क्षतिग्रस्त हो जाती है। उसके बाद जब तक इसकी मरम्मत नहीं होती तब तक इससे यातायात बंद रहने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। नगर विकास न्यास द्वारा पुलिया की मरम्मत पर हर बार लाखों रुपए खर्च कर ऊपरी हिस्से पर कंकरीट कर उसे चलने लायक तो बना दिया जाता है। लेकिन वह काम स्थायी नहीं हो रहा है। जिससे बार-बार लाखों रुपए खर्च कर जनता के धन का दुरुपयोग किया जा रहा है। 

अभी तक नहीं ली अधिकारियों ने सुध
बाढ़ में क्षतिग्रस्त हुई पुलिया की मरम्मत की सुध यूआईटी के अधिकारियों ने अभी तक भी नहीं ली है जबकि बरसात थम चुकी है। बैराज से अब अधिक मात्रा में पानी छोड़े जाने की कोई संभावना भी नहीं है। साथ ही चम्बल रिवर फ्रंट के काम के लिए उस पुलिया से निर्माण सामग्री लेकर डम्परों का आवागमन भी बंद हो रहा है। आमजन को पुलिया के शुरु नहीं होने से बड़ी पुलिया से लम्बा चक्कर काटकर आने-जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उसके बाद भी न्यास अधिकारियों व अभियंताओं का इस पुलिया को शीघ्र मरम्मत कर चालू करने पर  कोई ध्यान नहीं है। 

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 रियासतकालीन पुलिया नदी पार आवागमन का बड़ा माध्यम है।  यूआईटी द्वारा हर बार लाखों रुपए मरम्मत पर खर्च करने के बाद भी इसका स्थायी समाधान नहीं हो रहा है। जिससे जनता के धन का दुरुपयोग होने के बाद भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 
-प्रेम कुमार सिंह, कमला उद्यान

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 कुन्हाड़ी से नयापुरा जाने के लिए छोटी पुलिया शॉर्ट कट रास्ता है। यहां से पैदल भी निकल जाते हैं। लेकिन बाढ़ में बहने से यह टूट गई है। इसे अभी तक ठीक भी नहीं किया गया। जिससे आने-जाने में परेशानी हो रही है। बड़ी पुलिया से जाने में लम्बा रास्ता पड़ता है। 
-राजेश्वरी देवी, कुन्हाड़ी

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कुन्हाड़ी व बूंदी रोड जाने के लिए छोटी पुलिया से आसानी से निकल जाते हैं। इससे समय भी कम लगता है। लेकिन अब पुुलिया के टूटी होने से उस पर से निकलना खतरे से खाली नहीं है। नदी में गिरने व हादसा होने का डर लगा रहता है। यूआईटी को चाहिए कि वह इसे जल्दी ठीक करवाए जिससे लोगों को सुविधा मिल सके। 
-कमलेश धाकड़, नयापुरा

यूआईटी सचिव ने नहीं दिया जवाब
रियासतकालीन पुलिया की मरम्मत से संबंधित जानकारी लेने व लोगों को हो रही परेशानी के समाधान के बारे में जानने के लिए यूआईटी सचिव राजेश जोशी को मोबाइल पर फोन किया लेकिन फोन रिसीव नहीं किया। उसके बाद वाट्सअप व टैक्स मैसेज भी किए लेकिन उनका भी कोई जवाब नहीं दिया। यूआईटी सचिव अपनी जिम्मेदारी से बचते रहे। 

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