जघन्य अपराधों को फाइलों में किया बंद

आवंली रोजड़ी प्लांटेशन की दीवार चोरी मामले में नहीं हुई कार्रवाई

जघन्य अपराधों को फाइलों में किया बंद

कोटा यूनिवर्सिटी में अवैध रूप से रखे मृत सांपों की जांच खा रही धूल।

कोटा। गंभीर वन अपराध रोकने व अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने में वन विभाग कितना लापरवाह है, इसकी बानगी कोटा वनमंडल की कार्यशैली से झलकती है। जिले में भ्रष्टाचार और लापरवाही के दो संगीन अपराधों की जांच करना तो दूर सरकार को हुए राजस्व के नुकसान की भी भरपाई नहीं कर सका।  हालात यह हैं, वन विभाग की दुनिया के जघन्य अपराधों की जांच फाइलों में बंद करने में जुटा है। भले ही वो मामले, आंवली रोजड़ी प्लांटेशन की 5 किमी की दीवार के पत्थर चोरी का हो या फिर कोटा यूनिवर्सिटी की लैब में अवैध रूप से रखे शेड्यूल-1 व 2 के कोबरा, करैत व चैकर्ड किलबैक के मृत का मामला हो। यह वन विभाग की नजर में अपराध नहीं है। हैरानी की बात यह है, मामले उजागर होने के एक साल बाद भी सांपों को मारने वालों को पकड़ नहीं पाया और जांच भी फाइलों के ढेर में दबाकर बंद कर दी। ऐसे में वन अधिकारियों की मंशा व वन्यजीवों की सुरक्षा के प्रति जिम्मेदारी सवालों के घेरे में आती है।

दीवार चोरों पर नहीं हुई कार्रवाई

रावतभाटा रोड पर नगर वन से सटे आंवली-रोजड़ी प्लांटेशन की 5 किमी लंबी सुरक्षा दीवार चोरी हो गई। 4 फीट ऊंची यह दीवार गायब होते ही करोड़ों का प्लांटेशन भी फेल हो गया। माफियाओं के ट्रैक्टर-ट्रॉलियों ने पौधों को रौंद दिया और अवैध खनन कर वन सम्पदा लूट ले गए। 150 हैक्टेयर में लगे 30 हजार पौधों में से 66 प्रतिशत से अधिक पौधे बर्बाद हो गए। इस प्लांटेशन में पौधों की सरवाइल रेट मात्र 36 प्रतिशत ही रह गई। दैनिक नवज्योति ने 8 अप्रेल को पेज-7 पर वन विभाग की सुरक्षा दीवार चोरी, 150 हैक्टेयर का प्लांटेशन फेल... शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद भी कोटा वन मंडल अब तक गुनाहगारों को सजा नहीं दिलवा पाया। 

किसने मारा कोबरा और करेत...
कोटा विश्वविद्यालय में वाइल्ड डिपार्टमेंट की लैब में अवैध रूप से शेडयूल 1 व 2 के वन्यजीवों का मृत शरीर व हड्डियां रखे जाने का खनसनीखेज मामला  दैनिक नवज्योति ने गत वर्ष 20 अक्टूबर को उजागर किया था। इसके बाद वन विभाग ने फौरी जांच कर फाइल बंद कर दी। जबकि, चोरी छिपे लैबोरेट्री में इन वन्यजीवों के अवशेषों को रखना वाइल्ड एक्ट 1972 का खुला उल्लंघन था। प्रारंभिक जांच में कोटा वनमंडल ने गंभीर तथ्यों की अनदेखी की। यूनिवर्सिटी में सांपों के मृत शरीर कौन लेकर आया, कौबरा, करेत व चैकर्ड किलबैक को किसने मारा, एक स्थान से दूसरे स्थान पर किसकी परमिशन से शेड्यूल-1 व 2 के वन्यजीवों के मृत शरीर व हड्डियों का परिवहन हुआ। तस्करी समेत गंभीर मामलों की जांच करने के बजाए फाइलों में बंद कर दिया।

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आवंली रोजड़ी प्लांटेशन की दीवार चोरी होने के मामले की जांच करवा रहे हैं। वन मंडल डीएफओ को जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। वहीं, सांप वाले मामले की भी जांच करवाएंगे। 
- रामकरण खैरवा, मुख्य वन संरक्षक एवं फिल्ड निदेशक कोटा

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