
सोयाबीन की कम कीमत किसानों को दे रही पीड़ा , कम दाम से टूट रहे किसानों के अरमान
बुवाई के समय था दस हजार भाव, अभी मिल रहे केवल साढ़े चार हजार, सोना मान कर उगाई थी सोयाबीन, निकल गई कोयला
गत वर्ष अतिवृष्टि के कारण किसानों को काफी नुकसान हुआ था। कई किसानों को तो सोयाबीन का बीज भी नहीं मिला था। इस वर्ष बुवाई के समय किसानों को सोयाबीन का बीज तो मिला, लेकिन वह इतना महंगा था कि अब फसल उत्पादन के बाद किसानों का लागत मूल्य भी नहीं निकल पा रहा है।
कोटा। एक तरफ तो प्रकृति प्रकोप से खराब होती खरीफ की फसल, उस पर अब भावों में हो रही लगातार गिरावट से भूमिपुत्रों पर दोहरी मार पड़ रही है। ऐेसे में हालात यह हैं कि किसानों को लागत भी नही मिल पा रही है। जिससे अब किसानों के सामने समस्या हो गई है। गत कई वर्षों से सोयाबीन की फसल से फायदा नहीं हो रहा है। कभी अतिवृष्टि तो कभी बारिश की कमी हो रही है। जिससे किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। यही हाल इस वर्ष भी किसानों के सामने हो गया।
पहले महंगे बीज, फिर अतिवृष्टि ने मारा
गत वर्ष अतिवृष्टि के कारण किसानों को काफी नुकसान हुआ था। कई किसानों को तो सोयाबीन का बीज भी नहीं मिला था। इस वर्ष बुवाई के समय किसानों को सोयाबीन का बीज तो मिला, लेकिन वह इतना महंगा था कि अब फसल उत्पादन के बाद किसानों का लागत मूल्य भी नहीं निकल पा रहा है। इस साल किसानों ने सोयाबीन का बीज नौ से दस हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा था। बुवाई के समय बीज के दामों में भारी बढ़ोतरी हो गई थी। इसके बावजूद किसानों ने अच्छी फसल की आस में महंगी दर पर भी बीज खरीदा था। बुवाई के बाद फसल की बढ़वार अच्छी हुई थी, लेकिन फसल कटाई के समय अतिवृष्टि के कारण काफी नुकसान हो गया है। लगातार हुई बारिश के दौर ने सोयाबीन में काफी खराबा कर दिया। इससे किसानों की अच्छी उत्पादन की आस भी टूट गई थी।
दिनोंदिन कम हो रहे दाम
बारिश का दौर बंद होने के बाद अब सोयाबीन की कटाई होने लगी है। वहीं अब भामाशाहमंडी में फसल की आवक शुरू हो गई है। महंगे बीज व अतिवृष्टि की मार से आहत किसानों को अब फसल के दाम पीड़ा दे रहे हैं। मंडी में माल लाने के बाद सोयाबीन के भाव दिनों-दिन गिरते जा रहे हंै। इस समय भाव साढ़े चार हजार से पांच हजार रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहे हैं, जबकि बुवाई के समय जून-जुलाई में सोयाबीन के भाव नौ से दस हजार रुपए प्रति क्विंटल के बीच थे। ऐसे में अब कम दाम मिलने से किसानों की फसल की लागत भी नहीं निकल पा रही है। किसानों का कहना है कि जब किसान के पास उपज नहीं होती है, उस समय भाव उच्चतम पर रहते है। जब फसल तैयार होती है और किसान उसे मंडी ले जाता है तब भाव अपने निम्न स्तर पर हो जाते है। ऐसे में किसानों को अपनी मेहनत भी नहीं मिल पाती है।
मंडी में बढ़ने लगी आवक
मौसम साफ होने के बाद खेतों में सोयाबीन सहित अन्य खरीफ फसलों की कटाई का कार्य तेज गति से होने लगा है। भामाशाहमंडी में सोयाबीन व उड़द की आवक होने लगी है। एक पखवाड़े पहले मंडी में सोयाबीन ने दस्तक दी थी। उस समय 100 बोरी की आवक हुई थी। अब आवक की मात्रा लगातार बढ़ने लगी है। वर्तमान में भामाशाहमंडी में सोयाबीन की 20 हजार बोरी की आवक हो रही है। इसके अलावा मंडी में मक्का की भी आवक होने लगी है। मंडी के व्यापारियों ने बताया कि मौसम साफ होने के बाद फसल कटाई का दौर शुरू हो गया है। इसी महीने में दीपावली पर्व है। इस कारण त्योहार के चलते किसान मंडी में माल बेचने के लिए ला रहा है, लेकिन सोयाबीन के दाम कम लगने से किसानों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है।
फैक्ट फाइल
जिले में सोयाबीन की बुवाई- 1 लाख 74 हजार हैक्टेयर
बुवाई के समय थे बीज के दाम- 10 हजार रुपए क्विंटल
मंडी में मिल रहे फसल के दाम- 4500 रुपए क्विंटल
मंडी में हो रही आवक- 20 हजार क्विंटल
हम तो हो गए बर्बाद
सोयाबीन फसल पर किसानों का अधिक दारोमदार होता है। इसी से त्योहार और शादी समारोह की आस पूरी होती है। बुवाई के समय बीज के ज्यादा दाम होने के बावजूद अधिकांश किसानों ने सोयाबीन की बुवाई की थी। पहले महंगाई फिर अतिवृष्टि ने किसानों को नुकसान पहुंचाया था। अब मंडी में कम दाम मिलने से किसान बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। अभी दाम इतने कम हो गए हैं कि फसल की लागत भी नहीं निकल पा रही है। दीपावली का त्योहार नजदीक आने के कारण किसानों को कम दाम मेंं भी फसल बेचनी पड़ रही है।
- लक्ष्मीचंद नागर, किसान जाखड़ोंद
स्टॉक लिमिट से टूटे दाम
बुवाई के समय सोयाबीन की बीज काफी महंगा था। उसके बावजूद कोटा जिले में अधिकांश किसानों ने इस फसल की बुवाई की थी। अब मंडी में सोयाबीन सहित अन्य खरीफ फसलों की आवक होने लगी है। सोयाबीन के कम दाम मिलने का प्रमुख कारण यह है कि सरकार ने तिलहन फसल पर स्टॉक लिमिट लागू कर दी है। अब एक लाइसेंसधारी व्यापारी केवल दो हजार क्विंटल तक ही स्टॉक कर सकता है। इस कारण मंडी में सोयाबीन के दाम टूट रहे हैं। इसका सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है। भामाशाहमंडी में सोयाबीन की आवक अब बढ़ने लगी है।
- महेश खंडेलवाल, प्रमुख मंडी व्यापारी
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