
प्रकृति के साथ खिलवाड़, महंगा पड़ेगा, हॉरर के साइड इफेक्ट के जरिए चेताती है फिल्म ‘भेड़िया’
सब कुछ खोकर खुद को बर्बाद करना भेड़िया की कहानी है
वरुण के हर रात भेड़िया बनने की जद्दोजहद और कश्मकश में हास्य और हॉरर से बुनी जंगल के रिवेंज की कहानी है भेड़िया। कौन, कैसे और क्यों कत्ल कर रहा है। क्या इच्छाधारी भेड़िया बना भास्कर इसके पीछे है। क्या राज है। क्या ये कोई श्राप है। क्या भेड़िया भास्कर अपने दोस्तो कंी मदद से इस चक्रव्यूह से निकल नॉर्मल हो पाएगा या नहीं, यही है भेड़िया।
जयपुर। दंतकथाओं, कल्पनाओं की तर्ज पर बनी दोस्तों के साथ एक आम इंसान के भेड़िया बनने की कहावत, कॉमेडी हॉरर के रोलर कोस्टर पर इस सवाल का जवाब ढूंढती है कि महत्वकांक्षाओं की कीमत आखिर क्या है, सब कुछ खोकर खुद को बर्बाद करना भेड़िया की कहानी है। भास्कर(वरुण धवन) जो एक महत्वाकांक्षी कॉन्ट्रैक्टर है और अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने, अपना घर गिरवी रखकर जंगल काटकर वहां हाईवे बनाने आता है। वहां के लोग जंगल को न काटने के लिए विरोध करते हैं, लेकिन विकास की दुहाई दे भास्कर अपने काम को अंजाम देना चाहता है, जिसमें उसकी मदद और साथ उसका कजिन जनार्दन और लोकल जोहान देते हैं। जबकि वहां का पांडा उन्हें विषाणु की दंतकथा से आगाह करता है कि जो भी जंगल के साथ खिलवाड़ करेगा वो विषाणु भेड़िया का प्रकोप सहेगा। लेकिन भास्कर नहीं मानता और नतीजा उसे भेड़िया काट लेता है और इलाज जानवरों की डॉक्टर अनिका करती है। लेकिन सब अंजान है कि भास्कर अब इच्छाधारी भेड़िया है और उसकी शक्ति, स्किल अब उसमें है, जो हर रात उससे कुछ अजीब कराती है और लोग जानवर का शिकार बनते हैं। कत्ल का सिलसिला लोगों में दहशत पैदा करता है। वरुण के हर रात भेड़िया बनने की जद्दोजहद और कश्मकश में हास्य और हॉरर से बुनी जंगल के रिवेंज की कहानी है भेड़िया। कौन, कैसे और क्यों कत्ल कर रहा है। क्या इच्छाधारी भेड़िया बना भास्कर इसके पीछे है। क्या राज है। क्या ये कोई श्राप है। क्या भेड़िया भास्कर अपने दोस्तो कंी मदद से इस चक्रव्यूह से निकल नॉर्मल हो पाएगा या नहीं, यही है भेड़िया। कहानी दंतकथाओं सी है, लेकिन इच्छाधारी नागिन की जगह भेड़िया होना एक रोमांच है। स्क्रीनप्ले में कॉमेडी तड़का, हॉरर इंसीडेंट फिल्म को दिलचस्प बनाते हैं। फर्स्ट हाफ स्लो होने के बाद सेकंड हाफ अपनी रफ्तार पकड़ता है। स्त्री से कनेक्शन अच्छा मूव है। संवाद फनी पंच लाइन के साथ असरदार है। अभिनय में वरुण भास्कर बने भेड़िया में रचे बसे हैं, उनका ट्रांसफॉर्मेशन देखते से बनता है, उनकी कॉमिक टाइमिंग, गुस्से में भेड़िया वाला रूप इंप्रेसिव है। डॉ.अनिका कृति क्यूट लगी हैं, उनका लुक और अभिनय रिफ्रेशिंग है। जनार्दन अभिषेक बैनर्जी और जोमिन पालिन कबाक रोचक, प्रभावी हैं। पांडा दीपक डोबरियाल का किरदार मजेदार है। निर्देशन अमर कौशिक का जोरदार, रोलर कोस्टर राइड देता है, रोमांच से भरपूर हंसाता डराता, फिल्म से बांधे रखता है। संगीत और बैक ग्राउंड म्यूजिक फिल्म की जान है। वीएफएक्स उम्दा। सिनेमेटोग्राफी खूबसूरत और काफी रहस्यमय है। जंगल और किरदारों से कनेक्ट कर फिल्म रोचक बनाती है। एडिटिंग कड़क, पकड़ बनाती है। ओवरआॅल फिल्म ड्रामा, कॉमेडी, हॉरर का संतुलित मनोरंजन ,भरपूर एंटरटेनर है । अब दर्शकों पर है, चड्डी पहनकर जो भेड़िया निकला है उसे दर्शक कितना प्यार करेंगे।
Related Posts

Post Comment
Latest News

Comment List