तकनीकी चुनौतियों से निपटने के लिए मनुष्य का नैतिक आधार मजबूत होना चाहिए: एआर रहमान
गोवा में संचालित आईएफ एफ आई का 53वां संस्करण
महोत्सव की सर्वश्रेष्ठ फि ल्म के लिए गोल्डन पीकॉक स्पेनिश फि ल्म टेंगो सुएनोसेलेक्ट्रिकोस/आई हैव इलेक्ट्रिक ड्रीम्स ने जीता है। ज्यूरी के अनुसार यह एक ऐसी फिल्म है जिसमें सिनेमा के वर्तमान और भविष्य को पर्दे पर पेश किया है।
जयपुर। प्रख्यात संगीतकार एआर रहमान ने वर्तमान में गोवा में संचालित आईएफ एफ आई के 53वें संस्करण में कहा कि एआर और एआई के बीच कोई अंतर नहीं होगा, क्योंकि दोनों समय के साथ सामने आते हैं और विकसित होते हैं। एआर रहमान ने भारतीय अंतरराष्टÑीय फि ल्म महोत्सव के ‘भविष्य की कंटेंट’ पर एक संवाद सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेटावर्स में लोग खुद को सामने लाए बिना और अपनी पहचान को उजागर किए बिना पूरी तरह कार्यात्मक हो सकते हैं। प्रौद्योगिकी और मानव मूल्यों के बीच संघर्ष पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि तकनीकी चुनौतियों का सामना करने के लिए मनुष्य का नैतिक आधार मजबूत होना चाहिए। रहमान ने बताया कि उनकी संगीत की यात्रा, एआई के रास्ते की तरह ही है। यह उसी की तरह विकसित हो रही है। मैंने दक्षिण भारतीय, लोक और आदिवासी संगीत के साथ शुरुआत की और फिर अफ्रीकी व हॉलीवुड संगीत से परिचय हुआ। वहीं फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने कहा कि उन्हें इसका डर यह नहीं है कि एआई उनकी जगह ले लेगा, बल्कि यह है कि क्या वे नई तकनीक को अपना सकते हैं। एआई कहानी कहने का काम कर सकता है, लेकिन क्या मैं एआई को उम्मीद, डर और मानवीय भावनाओं का अभिनय करना सिखा सकता हूं।
‘आई हैव इलेक्ट्रिक ड्रीम्स’ है सर्वश्रेष्ठ फिल्म
महोत्सव की सर्वश्रेष्ठ फि ल्म के लिए गोल्डन पीकॉक स्पेनिश फि ल्म टेंगो सुएनोसेलेक्ट्रिकोस/आई हैव इलेक्ट्रिक ड्रीम्स ने जीता है। ज्यूरी के अनुसार यह एक ऐसी फिल्म है जिसमें सिनेमा के वर्तमान और भविष्य को पर्दे पर पेश किया है। कोस्टा रिका के फि ल्म निर्माता वेलेंटीना मौरेल द्वारा निर्देशित इस फि ल्म में 16 साल की लड़की ईवा के वयस्क होने का चित्रण किया गया है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो केवल उम्र बढ़ने के बारे में नहीं है, बल्कि एक ऐसी प्रक्रिया भी है जो इतनी गहरी है कि कभी-कभी यह संबंधित व्यक्ति को एक निश्चित तरीके से अंदर से पूरी तरह झकझोर भी सकती है।
उज्बेकिस्तान ने भारतीय फिल्म निर्माताओं के लिए रेड कारपेट बिछाया : डॉ. बरनो उनगबोएवा
उज्बेकिस्तान ने अपने देश में फि ल्में बनाने के लिए भारतीय फि ल्म निर्माताओं के साथ सहयोग करने की इच्छा जाहिर की है। यह देश शूटिंग के लिए राष्टÑीय और स्थानीय भाषा फि ल्म उद्योग से संबंधित फि ल्म उद्योग के हितधारकों की मेजबानी करने का इच्छुक है। हां भारतीय फि ल्म निर्माताओं को देश की मस्जिदों, मकबरों और अन्य स्थलों सहित वास्तुकला, धार्मिक और प्राकृतिक स्थलों का लाभ उठाकर इसकी फि ल्मों के विस्तार, गहराई और समृद्धि को बढ़ाने के लिए यह स्नेहपूर्ण निमंत्रण मिला है। भारतीय अंतरराष्टÑीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) के दौरान गोवा में हुए इफ्फी टेबल वार्ता में उज्बेकिस्तान की सिनेमेटोग्राफी एजेंसी की महानिदेशक की सलाहकार डॉ. बरनो उनगबोएवा ने कहा कि हमारे पास कई बॉलीवुड फि ल्में हैं जिन्हें ताशकंद फि ल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित किया गया था। हमने भारत में तमिल, तेलुगु और बंगाली फि ल्म उद्योग जैसे अन्य भारतीय फि ल्म उद्योगों तक भी अपनी पहुंच बढ़ाई है।
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