वैज्ञानिकों ने खोजा कैंसर का इलाज
बिना कीमो जानलेवा कोशिकाओं का होगा खात्मा
यह बिल्कुल नया और अनूठा तरीका है। इसमें प्राकृतिक तरीके से कैंसर कोशिकाओं को खत्म किया जाता है। शरीर का इम्यून सिस्टम इन कोशिशकों को पहचान कर इन्हें खत्म करता है।
नई दिल्ली। कैंसर पर दुनियाभर में लगातार रिसर्च जारी है। अब जापान के वैज्ञानिकों को इसके ट्रीटमेंट में बड़ी सफलता हाथ लगी है। उन्होंने कृत्रिम यानी आर्टिफिशियल डीएनए का इस्तेमाल किया है। यह बिल्कुल नया और अनूठा तरीका है। इसमें प्राकृतिक तरीके से कैंसर कोशिकाओं को खत्म किया जाता है। शरीर का इम्यून सिस्टम इन कोशिशकों को पहचान कर इन्हें खत्म करता है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि यह कीमोथिरेपी की जरूरत को खत्म करता है। जिस तरह दुनिया के साथ भारत में कैंसर के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, उसमें यह खोज उम्मीद की बड़ी किरण है। निश्चित तौर पर इससे न केवल कैंसर का इलाज सस्ता हो सकता है बल्कि लोगों को नैचुरल तरीके से बीमारी खत्म करने में मदद मिलेगी।
कैंसर में कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ती हैं। इस बीमारी के जानलेवा बन जाने के पीछे कारण यह है कि इम्यून सिस्टम कैंसर सेल्स और ट्यूमरों के खिलाफ काम नहीं कर पाता है। कारण है कि ये सेल्स या कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं जैसी ही दिखती हैं। कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए ही कीमोथिरेपी की जरूरत पड़ती है। जापान के वैज्ञानिकों ने हेयरपिन के आकार के दो डीएनए मॉलीक्यूल बनाए हैं। इनका नाम ओएचपीएस दिया गया है। वैज्ञानिकों ने ऐसा तरीका खोजा है जिसमें कैंसर को इम्यून सिस्टम के संपर्क में लाया जाता है। इसका मकसद यह होता है कि इम्यून सिस्टम इस पर काम करे। इसके चलते कैंसर कोशिकाओं का बनना रुक जाता है। चूहों पर यह टेस्ट किया गया है। यह सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर में सफल साबित हो सकता है।
कैंसर के ट्रीटमेंट में न्यूक्लीक एसिड ट्रीटमेंट को रिस्की माना जाता है। कारण है कि इसमें खतरा रहता है कि कहीं इम्यून सिस्टम स्वस्थ कोशिकाओं को ही टारगेट करना न शुरू कर दे। ये कोशिकाएं कैंसर सेल्स की तरह अपने साथ सिग्नल लेकर आती हैं। टोक्यो यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएट स्कूल आॅफ इंजीनियरिंग में प्रोफेसर अकिमित्सु ओकामोटो ने कहा कि इस अध्ययन के नतीजे डॉक्टरों और कैंसर के मरीजों के लिए अच्छी खबर है। वह मानते हैं कि यह दवाओं और मेडिकेशन पॉलिसी के नए विकल्प प्रदान करेगा। अध्ययन के नतीजों के आधार पर अगला कदम दवा की खोज होगी।
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