महिलाओं की शादी की उम्र 21 वर्ष करने वाले विधयेक के प्रस्ताव पर जयपुराइट्स की राय

महिलाओं की शादी की उम्र 21 वर्ष करने वाले विधयेक के प्रस्ताव पर जयपुराइट्स की राय

लड़कियों के जीवन में आएगा सकारात्मक बदलाव : पुरुषों और महिलाओं को विवाह में समान अधिकारों की आवश्यकता

 जयपुर। लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के विधेयक के प्रस्ताव पर जयपुराइट्स में चर्चा तेज है। विधेयक को लेकर लड़कियों की अलग-अलग राय है। कुछ का मानना है कि इस फैसले से लड़कियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा तो वहीं कुछ लड़कियां इसे काफी नहीं मानती। कई लड़कियों का कहना है कि आज के समय में पुरुषों और महिलाओं को विवाह में समान अधिकारों की आवश्यकता है।  - संकलन: कुमारी पूजा

क्या है विधेयक
विधेयक भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम 1872, पारसी विवाह और तलाक अधिनियम 1936, मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम 1937, विशेष विवाह अधिनियम 1954, हिंदू विवाह अधिनियम 1955, विदेशी विवाह अधिनियम 1969 में विवाह के पक्षकारों की आयु के संबंध में दिए गए प्रावधानों में संशोधन करेगा। इसमें महिलाओं की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने का प्रस्ताव है।  

लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु तीन साल और बढ़ाए जाने के सरकार के प्रस्ताव से खुश हैं। मेरी शादी अगर तीन साल बाद होती तो मैं अपनी पढ़ाई पूरी कर पाती और मेरे हाथ में ग्रेजुएशन की डिग्री होती। शादी के बाद परिवार की जिम्मेदारियों के कारण मैं अपनी पढ़ाई वापस शुरू नहीं कर पाई हूं। सरकार के इस फैसले के बाद मेरी जैसी दूसरी लड़कियों को पढ़ाई बीच में नहीं छोड़नी पड़ेगी। शायद ये साल उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ आर्थिक रूप से मजबूत होने में भी मदद करें। - सर्वजीत, 21 वर्षीय

सरकार के इस कदम से लड़कियों को अपने सपने पूरे करने के ज्यादा मौके मिलेंगे। बहुत सी लड़कियों की शादी 18 साल पूरे होते ही कर दी जाती है। इस दौरान वे लड़कियां बारहवीं तक की पढ़ाई ही पूरी कर पाती हैं। शादी के बाद पढ़ाई जारी रखना मुश्किल होता है। ऐसे में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना भी संभव नहीं होता है। इससे कई क्षेत्रों में लड़कियों की हिस्सेदारी कम हो जाती है। लड़कियां उच्च शिक्षा हासिल कर पाएंगी एवं आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त हो पाएंगी।
- अरुधंति, 20 वर्षीय

मुस्लिम लड़कियों के विवाह की कोई कानूनी उम्र तय नहीं है, जिससे कई की शादी 18 साल से पहले भी हो जाती है। अगर इस प्रस्ताव में मुस्लिम लड़कियों को भी शामिल किया जाता है तो ये एक अच्छी पहल होगी। वे आगे पढ़ पाएंगी और अपने फैसले खुद ले पाने में पहले से अधिक सक्षम होंगी। स्कूली पढ़ाई के बाद लड़कियों की उच्च शिक्षा के लिए रियायत दी जाए, क्योंकि पिछड़े तबके की महिलाएं आर्थिक वजह से आगे की पढ़ाई नहीं कर पाती। - सारा इस्माइल, 18 वर्षीय

सरकार के इस प्रयास से महिलाओं के जीवन में कोई विशेष बदलाव नहीं आएगा। इसके प्रभावी होने पर भी वह संदेह जाहिर करती हैं। मौजूदा व्यवस्था भी बाल विवाह पर पूरी तरह रोक नहीं लगा पाई है। क्या सिर्फ  उम्र बढ़ने से सब कुछ ठीक हो जाएगा। लड़कियों को समाज में उनके बराबरी के अधिकार मिल जाएंगे। शादी की सही उम्र क्या हो इसपर विचार करने से ज्यादा जरूरी है कि विवाह के बाद हो रहे अत्याचारों को रोका कैसे जाए उस पर विचार विमर्श हो। - अंशिता और प्रसिद्धि 

सरकार का फैसला सही है। 21 साल की उम्र में लड़कियां अपनी जिम्मेदारियों के प्रति अधिक सजग होगी। आज के समय में पुरुषों और महिलाओं को विवाह में समान अधिकारों की आवश्यकता है।- माशा आफरीन, 21 वर्षीय

यह पहल लड़के और लड़कियों को समान अवसर देगा। इसके साथ ही ये रूढ़िवादिता भी समाप्त हो जाएगी कि शादी के लिए लड़कियों की उम्र कम होनी चाहिए, जिससे वह दबकर रहें। - तूलिका, 23 वर्षीय

डॉक्टर की राय
22 से 28 वर्ष की उम्र मां बनने के लिए आदर्श उम्र है। जल्दी गर्भधारण से समय पूर्व प्रसव, शिशु के कम वजन, मातृ एवं शिशु मृत्यु में बढ़ोतरी होती है। कम उम्र में उनके हड्डियों की डेंसिटी भी सही नहीं होती। - चारुल मित्तल, रेजीडेंट डॉक्टर

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