असम में बीजेपी उम्मीदवार की गाड़ी में मिली ईवीएम मशीन, चुनाव आयोग के 4 अधिकारी सस्पेंड
चुनाव आयोग ने बीजेपी उम्मीदवार की गाड़ी में ईवीएम मिलने के मामले में कार्रवाई की है। आयोग ने परिवहन प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के लिए पीठासीन अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और पीओ और 3 अन्य अधिकारियों को निलंबित किया है।
गुवाहाटी। असम में भाजपा उम्मीदवार की कार में ईवीएम मिलने मामले में चुनाव आयोग ने जांच शुरू कर दी है। चुनाव आयोग को भाजपा विधायक की गाड़ी में ईवीएम मिले जाने की अब तक जो रिपोर्ट आई है, उसके मुताबिक असम में पोलिंग पार्टी की गाड़ी खराब हो गई थी, जिसके बाद पीठासीन अधिकारी ने भाजपा विधायक की गाड़ी में लिफ्ट लेने की बात कही है। चुनाव आयोग के मुताबिक जिस बोलेरो गाड़ी से ईवीएम मिली वो पाथरकांडी सीट से बीजेपी उम्मीदवार कृष्णेंदु पाल की है।
चुनाव आयोग के मुताबिक भाजपा विधायक की गाड़ी से लिफ्ट लेकर पोलिंग पार्टी लौट रही थी, तभी स्थानीय लोगों ने देख लिया और गाड़ी रोक ली। पोलिंग पार्टी के सदस्यों को स्थानीय लोगों ने गाड़ी से निकाल दिया। चुनाव आयोग ने कहा कि परिवहन प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के लिए पीठासीन अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। पीओ और 3 अन्य अधिकारियों को निलंबित किया गया है। हालांकि ईवीएम की सील बंद मिली लेकिन LAC 1 रतबाड़ी (SC) के इंदिरा एमवी स्कूल, संख्या 149 पर दोबारा मतदान कराने का फैसला किया गया है।
गाड़ी में ईवीएम मिलने का वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो के सामने आने के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सभी राजनीतिक दलों से ईवीएम के पुनर्मूल्यांकन की मांग की है। प्रियंका ने वीडियो साझा करते हुए ट्वीट किया कि जब भी किसी निजी वाहन में ईवीएम ले जाए जाने के वीडियो सामने आते हैं तो ये चीजें आम होती हैं कि वाहन सामान्यत: भाजपा उम्मीदवारों या उनके सहयोगियों का होता है। इन वीडियो को इकलौती घटना के तौर पर लिया जाता है और खारिज कर दिया जाता है। भाजपा अपनी मीडिया मशीनरी का इस्तेमाल कर उन लोगों को आरोपी बनाती है, जिन्होंने इसका खुलासा किया होता है।
ईवीएम की सील नहीं टूटी
चुनाव आयोग को मिली सूचना के मुताबिक जो ईवीएम बीजेपी विधायक की गाड़ी से मिली है वोटिंग के बाद की है। हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक ईवीएम का सील नहीं टूटी है। इस बीच चुनाव आयोग को जिला निर्वाचन अधिकारी से दूसरी रिपोर्ट का भी चुनाव आयोग को इंतजार है।
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