वार्ड 32 : वार्डवासी बोले विकास का दावा करने वाले यहां की गलियों के हालत देखें

उत्तर के वार्ड 32 में हुए कार्यों से ना पार्षद सन्तुष्ट ना जनता

वार्ड 32 : वार्डवासी बोले विकास का दावा करने वाले यहां की गलियों के हालत देखें

वार्डवासियों का कहना हैं कि कोटा तो बसता ही गलियों में हैं और कोई हमारी गलियों को आकर देखे कि यहां क्या हालात है। लोग भले ही कोटा में विकास के दावें करते हो लेकिन हम तो सफाई तक के लिए तरसते हैं। कोटा में सिर्फ चौराहों पर विकास हुआ है, बाकी तो हालात कोई ज्यादा नहीं सुधरे हैं।

कोटा। कोटा उत्तर के वार्ड 32 में आधे अधूरे विकास कार्यो से वार्डवासियों को काफी आक्रोश है। वार्ड के लोग ही नहीं स्वयं वार्ड पार्षद भी वार्ड में हुए कार्यों से बिल्कुल भी सन्तुष्ट नहीं है।  वार्ड में अव्यवस्थाओं पोल वहां के आधे अधुरे विकास कार्य खोल रहे है। दरअसल कोटा उत्तर नगर निगम के वार्ड नम्बर 32 की प्रतिनिधित्व भाजपा की पूजा केवट करती हैं और वो खुद बताती है कि मेरे वार्ड में तो काम ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं की देखरेख में हो रहे हैं। मुझे तो लगता ही नहीं कि मैं वार्ड पार्षद हंू। लोग बताते हैं कि वार्ड के अधिकांश हिस्सों के लोगों को मूलभूत आवश्यकताओं तक के लिए मुंह देखना पड़ता है, दूसरी अन्य सुविधाएं तो दूर की बात है। उत्तर निगम के इस वार्ड में सरकारी स्कूल, धुआखाला, देवनारायण सामुदायिक भवन, हवाई का चौक, कालीटेक का हनुमान मंदिर, सुलभ शौचालय, मस्जिद गली, नागर फ्लोर मिल, नारायण भवन तथा जैन मंदिर आदि इलाकें आते हैं। इन इलाकों में रहने वाले कुछ लोगों का कहना हैं कि वार्ड में कुछ स्थानों पर रोड बने हैं, नालियां भी बनी हैं लेकिन सब काम बेतरबीत तरीके और घटिया क्वालिटी का हुआ है। परन्तु इसमें वार्ड पार्षद की कोई गलती नहीं है क्योंकि कोई भी काम उनकी देखरेख में हो ही नहीं रहा है। पार्षद के वश में तो वार्ड के लिए पर्याप्त लेबर उपलब्ध कर पाना तक नहीं है। अगर उनको जाकर हम ये कहते हैं कि हमारी गली में सफाई नहीं हो रही है तो जवाब मिलता है कि लेबर ही नहीं हैं। तो सफाई व्यवस्था कैसे दुरुस्त होगी। वहीं वार्ड के कुछ लोग ये भी बताते हैं कि सीसी रोड तो बने लेकिन उन स्थानों पर जहां पार्षद नहीं दूसरे लोग चाहते हैं। अगर दूसरे स्थानों पर सड़कें बनी भी हैं तो किनारों को छोड़ दिया गया हैं। सड़कों के साथ जहां नालियां बननी थी वहां नहीं बनी परिणाम ये हैं कि पानी सड़कों पर बहता रहता है और गली-मौहल्ले में गंदगी बनी रहती है। वार्ड के कुछ हिस्सों में रोडलाइट नहीं होने के कारण रातभर अंधेरा पसरा रहता है। चोरी होने की आशंका बनी रहती है। इतना ही नहीं रात को आवारा मवेशी और श्वान सड़कों पर बैठे रहते हैं तो वाहन चालकों को उनसे टकराने का डर बना रहता है। इन श्वानों और मवेशियों के कारण महिलाएं और बच्चे घरों से निकलने में भी डरते हैं। 

वार्डवासियों का कहना हैं कि कोटा तो बसता ही गलियों में हैं और कोई हमारी गलियों को आकर देखे कि यहां क्या हालात है। लोग भले ही कोटा में विकास के दावें करते हो लेकिन हम तो सफाई तक के लिए तरसते हैं। कोटा में सिर्फ चौराहों पर विकास हुआ है, बाकी तो हालात कोई ज्यादा नहीं सुधरे हैं। जब यहां के जनप्रतिनिधि खुद शहर को दो हिस्सों में बांट चुके हैं। वार्ड में सीवरेज के काम हुए तो आधे-अधूरे, सीवरेज के चैंबर सड़कों से ऊपर बना दिए जिससे यहां के कुछ स्थान एक्सीडेंट जोन बन गए हैं। कई बार पानी की भी किल्लत रहती है। सड़कों पर दिनभर आवारा मवेशी और श्वानों का जमावड़ा लगा रहता हैं। कचरा फैला रहता है। अब पार्षद तो अपनी ओर से हर संभव प्रयास करती है कि वार्ड में काम हो लेकिन जब उनकी चलती ही नहीं तो वे भी क्या करे।  वार्ड पार्षद का कहना है कि वार्ड में छोटे-मोटे हुए हैं लेकिन मुझे नहीं पता कि कहा-कहा कौनसे काम हुए हैं। भाजपा का होने के कारण मेरे वार्ड के साथ भेदभाव किया गया है। लेकिन भेदभाव करने वालों को ये तो सोचना चाहिए कि जनता तो कोटा की हैं किसी अन्य शहर की नहीं। निगम की ओर से लोगों को कम से कम वे सुविधाएं तो उपलब्ध करवानी चाहिए जो जरुरत की है। 

इनका कहना हैं...
वार्ड में निम्न स्तर के काम हुए हैं। सीवरेज के काम हुए लेकिन बेकार तरीके से। सारे काम कांग्रेस कार्यकर्ताओं की देखरेख में हो रहे हैं। नालों का ढलान सही नहीं है। सीसी रोड के साथ नालियां बनवानी थी लेकिन नहीं बनवाई। कोई विकास नहीं हुआ है। रोड लाइट कम है। मंत्री के दौरे के बाद वार्ड की सफाई व्यवस्था कुछ ठीक हुई है लेकिन अभी भी सुधार करने की जरुरत है। 
-पूजा केवट, वार्ड पार्षद। 

हमारे वार्ड में कोई विकास कार्य नहीं हुए हैं। हमारी गली में रोड नहीं ना है। क्योंकि ये बीजेपी वालों की ली है। पार्षद को सफाई की बोलते है तो वे कहती है कि लेबर नहीं है। रोड लाइट फिर भी ठीक है। नालियों का कचरा 6-6 महीनों तक साफ नहीं होता है। आवारा मवेशियों और श्वानों का आतंक है। 
-विजय टांक, वार्डवासी। 

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सीवरेज के कारण रोड खोद दिए गए लेकिन उसका काम भी आधा-अधूरा और बेतरबीत तरीके से हुआ है। चैंबर सड़कों से ऊपर बना दिए है। गलियों में सुअरों और श्वानों का आतंक है। दो घंटे पानी की सप्लाई होती है। दूसरी मंजिल पर तो पानी पहुंचता ही नहीं है। वार्ड के सफाईकर्मियों को कभी रिवर फ्रंट पर भेज दिया जाता है तो कभी कही अन्य स्थान पर। 
-विकास तंवर, वार्डवासी। 

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