चार से पांच माह में खराब हो जाएंगे 3 करोड़ के रेमडेसिवर इंजेक्शन

मेडिकल कॉलेज के स्टोर रूम में रखे तीन हजार इंजेक्शन, द्वितीय लहर में काफी थी मांग, ब्लैक से भी नहीं मिले

चार से पांच माह में खराब हो जाएंगे 3 करोड़ के रेमडेसिवर इंजेक्शन

कोविड की दूसरी लहर में सर्वाधिक काम में आने वाले रेमडेसिवर खराब होने की स्थिति में पहुंच गए है। चार से पांच माह में इनका उपयोग नहीं हुआ तो करीब 3 करोड़ के इंजेक्शन अनुपयोगी हो जाएंगे। कोटा को करीब 10 हजार इंजेक्शन भेजे थे, लेकिन कोविड की तीसरी लहर में इनका उपयोग नहीं हो सका था। ऐसे में धरे रह गए है।

कोटा। कोविड की दूसरी लहर में सर्वाधिक काम में आने वाले रेमडेसिवर खराब होने की स्थिति में पहुंच गए है। चार से पांच माह में इनका उपयोग नहीं हुआ तो करीब 3 करोड़ के इंजेक्शन अनुपयोगी हो जाएंगे। दरअसल, कोविड की तीसरी लहर से पूर्व चिकित्सा विभाग ने बड़ी संख्या में रेमडेसिविर मेडिकल कॉलेज की एमसीडीडब्लू (मेडिकल कॉलेज ड्रग वेयर) को भेज दिए गए थे। कोटा को करीब 10 हजार इंजेक्शन भेजे थे, लेकिन कोविड की तीसरी लहर में इनका उपयोग नहीं हो सका था। ऐसे में धरे रह गए है। कुछ ही इंजेक्शन की खपत हुई है। ऐसे में अधिकांश इंजेक्शन बचे है। एमसीडी के अनुसार अभी 5 हजार 339 इंजेक्शन बचे है। इसके अलावा इतने इंजेक्शन अन्य अस्पतालों को भेज दिए गए है। एक इंजेक्शन की कीमत करीब तीन हजार के आसपास है। इस तरह से करोड़ों के इंजेक्शन अभी पड़े हुए है। हालांकि, इनका उपयोग नहीं होना भी अच्छी बात है। क्योंकि, कोई भी नहीं चाहता है कि पुराने दिन वापस आए। फिर भी काफी राशि के इंजेक्शन है। इनको अन्य जगह पर भेजने की जरुरत है, ताकि वो इनको काम में ले सके।

द्वितीय लहर में अधिक मांग
कोविड लहर की शुरुआत से रेमडेसिवर इंजेक्शन की काफी मांग रही है। दूसरी लहर में स्थिति ऐसी थी कि इनको 10 हजार रुपए में बेचा गया। बड़ी संख्या में कालाबाजारी हुई। लोगों का मानना था कि कोविड का कोई उपचार नहीं है। कोविड को केवल रेमडेसिवर से ठीक किया जा सकता है, जिसके चलते ऐसी दिक्कत हुई। इंजेक्शन के लिए लोग गिडगिडाते नजर आए। इसके मामले काफी सूर्खियों में रहे। हालांकि, कोविड की तीसरी लहर में इनका कोई उपयोग नहीं रहा। गिनती के मरीजों पर इसको प्रयोग हुआ। यहीं वजह है कि ये इंजेक्शन बच गए है।

आईसीएमआर ने ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से हटाया
शुरूआत में इसकी काफी मांग रही थी, लेकिन बाद में इंडियन मेडिकल काउंसिल आॅफ रिसर्च (रिसर्च) ने इसको ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से हटा दिया। इसके साथ ही एंजीथ्रोमाइसिन और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को भी मरीजों के उपचार में शामिल करने का नहीं कहा था। उनका कहना था कि रेमडेसिवर से कोविड मरीजों को लाभ नहीं मिलता है। उलटा इससे तो हार्ट, शुगर और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, इसके बावजूद भी इसका प्रयोग किया। फिलहाल इसका उपयोग कम हो गया है।

एमसीडीडब्लू के पास करीब 5 हजार से अधिक इंजेक्शन है। इतने इंजेक्शन अन्य अस्पतालों के पास है। इस तरह से 10 हजार इंजेक्शन है।
- डॉ सुशील सोनी, प्रभारी, एमसीडीडब्लू

इंजेक्शन से अधिक जरूरी है लोगों का स्वास्थ्य है। क्योंकि, पूर्व में भी अचानक डिमांग हो गई थी। जिसके चलते परेशानी हुई।
- डॉ विजय सरदाना, प्राचार्य, न्यू मेडिकल कॉलेज, कोटा

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