'इंडिया गेट'

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‘एम-वाय’... समीकरण!
यूपी की राजनीति में ‘एम-वाय‘ प्रचलित समीकरण। इसे राज्य की राजनीति में ‘मुस्लिम-यादव’ गठजोड़ से जोड़कर देखा जाता रहा। इसे खासतौर से मुलायम सिंह यादव ने सपा के प्रभाव को बढ़ाने के लिए ईजाद किया। लेकिन इस बार के चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश ने इसकी नई परिभाषा गढ़ दी। कहा, ‘एम-वाय’ का मतलब ‘मुस्लिम-यादव’ नहीं। बल्कि ‘महिला एवं युवा’ का गठजोड़। लेकिन जब नतीजे आए तो भाजपा द्वारा एक नया अर्थ ईजाद किया गया। ‘एम-वाय’ मतलब ‘मोदी-योगी’ की जोड़ी। इस बार यूपी चुनाव में ‘मोदी-योगी’ की जोड़ी हिट रही। तमाम पूर्व धारणाएं ध्वस्त हुईं। यहां तक कि एक नए वर्ग की ‘लाभार्थी वर्ग’ की चर्च। जिसको केन्द्र एवं राज्य सरकार की योजनाओ का लाभ मिला। मोदी-योगी की जोड़ी इसे साधने एवं अपने पक्ष में मतदान करवाने में सफल रही। इसने भारतीय राजनीति की दशकों से चली आ रहीं बेड़ियों को तोड़ दिया। यह सभी राजनीति के जानकर मान रहे। दावा किया गया। सरकार ने बिना किसी भेदभाव के इस वर्ग तक सरकारी योजनाएं सफलतापूर्वक पहुंचाईं!


ढाक के तीन पात!
कांग्रेस नेतृत्व एक बार फिर से जोखिम लेने से कतरा गया। बल्कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में हुआ वही, जिसका पूवार्नुमान। सोनिया गांधी की अगुवाई में पार्टी आगे बढ़ेगी। वह कोई भी बदलाव करने को स्वतंत्र। संसद सत्र के बाद एक चिंतन शिविर में मंत्रणा की योजना। लेकिन कांग्रेस द्वारा जब इस प्रकार के शिविर किए गए। तब से देश की राजनीति में कई आयाम स्थापित हो चुके। ऐसे में चिंतन शिविर कितना सार्थक होगा? न सत्ताधारी भाजपा वैसी पार्टी बची। वहां अब बहुत प्रेफेशनल तरीके से राजनीतिक एवं चुनावी अभियानों को अंजाम दिया जाता है। जवाब में कांग्रेस अपनी खुद की मशीनरी ऐसी नहीं बना सकी। सो, सफलता में संदेह। फिर कांग्रेस लगातार ढलान पर। सिर्फ दो राज्यों में पूर्ण बहुमत की और दो में गठबंधन सरकारें बची हुईं। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में आंतरिक कलह कम नहीं। कब कोई बखेड़ा खड़ा हो जाए, पता नहीं। ऐसे में सीडब्ल्यूसी में पांच घंटे की कवायद कहीं ढाक के तीन पात तो साबित नहीं होगी?


फिर वही गलती!
आजकल ‘द कश्मीर फाइल्स’ नाम की मूवी काफी चर्चा में। इसकी कहानी को लेकर। पीएम मोदी द्वारा भाजपा संसदीय दल की बैठक में इसकी चर्चा की गई। जब पीएम मोदी किसी पर बोलें। तो कांग्रेस का बोलना लाजमी। वही हुआ भी। इसके अलावा कहा जा रहा। इसको सिनेमा के पर्दे पर दिखाने एवं प्रमोशन को लेकर कई रोड़े अटकाए गए। लेकिन जनता के जबरदस्त समर्थन से यह मूवी कई रिकार्ड कायम कर रही। ऐसे में, संभव हो भाजपा अपने अभियान में सफल रहे। लेकिन कांग्रेस द्वारा इसका उसी अंदाज में काउंटर करना। समझ से परे। यह लड़ाई एक प्रकार से नेरेटिव एवं परसेप्शन की भी। कांग्रेस ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ के विरोध को जायज ठहराया। केरल की कांग्रेस इकाई और कुछ अन्य पार्टी नेताओं द्वारा नब्बे के दशक में कश्मीर घाटी में हुए नरसंहार एवं पलायन को नकार दिया गया। जो आम प्रचलित धारणा के एकदम विपरीत। लगता है कांग्रेस पांच राज्यों में इतनी करारी हार के बावजूद सबक सीखने को तैयार नहीं।


चुनावी तैयारी!
मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव करवाने की ओर बढ़ रही? राज्य परिसीमन आयोग द्वारा राजनीतिक दलों से आपत्तियां मांग ली गई। अब घाटी एवं जम्मू रीजन में सीटें बढ़ने के साथ संख्या गणित भी बदल जाएगा। जिस प्रकार से गतिविधियां राज्य में आकार ले रहीं। वह जल्द चुनाव होने की ओर इशारा कर रहीं। सबसे ज्यादा माहौल बनाने में भाजपा जुटी हुई। असल में, पीएम मोदी ने भाजपा ससदीय दल की बैठक में चर्चित मूवी ‘द कश्मीर फाइल्स’ का जिक्र कर दिया। मतलब विरोधियों की नजर में एक प्रकार से इसकी ‘ब्रॉडिंग और मार्केटिंग’ कर डाली। इसे देशभर में जनता का जबरदस्त रेस्पांस मिल रहा। इसकी चर्चा चर्चा भारत में ही नहीं। विदेशों में भी हो रही। कश्मीर समस्या को लेकर जो धारणा बना दी गई। उसके ठीक विपरीत एक कड़वा तथ्य एवं सच पर्दे के जरिए सामने आ रहा। जिससे दुनियां भी परिचित हो रही। सो, जब राज्य में विधानसभा चुनाव होगा। देशज ही नहीं वैश्विक नजरिया भी इस बार अलग ही होगा!

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योगी नए पावर सेंटर...
यूपी में योगी आदित्यनाथ ने दो तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर ली। साल 2017 में भाजपा बिना किसी सीएम चेहरे के सामूहिक नेतृत्व में चुनावी मैदान में उतरी थी। बल्कि पीएम मोदी की अगुवाई में चुनाव लड़ा गया। लेकिन इस बार चेहरा सीएम योगी का। उन्हीं की अगुवाई में चुनावी अभियान चलाया गया। भाजपा के सत्तारूढ़ होते ही। अब यह भी तय हो गया। सीएम योगी अब पार्टी में एक नए पावर सेंटर। कोई भी चाहकर उनकी अनदेखी नहीं कर सकता। पार्टी को 2024 में आम चुनाव में जाना है। योगीजी देशभर में अब पार्टी के स्टार प्रचारक होंगे। पार्टी उनसे पहले भी देशभर में चुनावी प्रचार करवाती रही है। लेकिन इस बार बात अलग। क्योंकि वह यूपी जैसे महत्वपूर्ण एवं बड़े सूबे को तमाम बाधाएं पार करके जीतकर आए। जहां 80 लोकसभा सीटें। अब भाजपा को उनकी जरुरत। चर्चा यह भी। वह जल्द ही भाजपा संसदीय बोर्ड में होंगे। मतलब योगीजी का भाजपा में कद बढ़ना भी तय।


लाचार बाइडेन...
अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन न वैश्विक फलक पर और न अमरीकी नागरिकों पर खास छाप छोड़ पा रहे। बल्कि उनकी साख और लगातार खराब हो रही। खासकर रूस-यूक्रेन संघर्ष में वह अमरीकी हनक और रुआब के अनुसार कुछ सार्थक एवं परिणामकारी करते हुए नजर नहीं आ रहे। वह लगातार रूस को धमका तो रहे। लेकिन जमीन पर कुछ नहीं कर पा रहे। अमरीकियों को तो अब उनके पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप याद आ रहे। जो कई मामलों में सीधा सपाट बोलने और दो टूक फैसला लेने में विश्वास करते थे। अब बाइडेन चीन को भी रूस के साथ खड़ा होने पर धमका रहे। लेकिन चीन बहुत पहले समझ चुका। अब अमरीका उतना ताकतवर नहीं रहा। जितना पहले कभी हुआ करता था। रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन यह साबित कर भी चुके। सो, चीन कहां पीछे रहने वाला? उसकी महत्वाकांक्षा अब किसी से छुपी नहीं। ऐसे में बाइडेन ‘रूस-चीन’ गठजोड़ के आगे लाचार नजर आ रहे! मतलब बकौल मोदीजी, हम नए वर्ल्ड आर्डर की ओर बढ़ रहे।

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