दुर्लभ प्रजाति की बत्तख से लोगों में उत्सुकता, आकर्षण का बनी केंद्र
आसपास के प्रदेशों में भी कम ही दिखाई देती है
पक्षी प्रेमी और प्रकृतिविद किशन मीना ने यह पक्षी 8 फरवरी को पहली बार बरखेड़ा में देखा और अगले 4 दिन तक पक्षीविद् किशन मीना, कर्नल प्रदीप सांगवान और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर मृदुल वैभव ने इस पक्षी को ऑब्जर्व किया।
जयपुर। शहर में लोगों के बीच एक दुर्लभ प्रजाति की बत्तख ने लोगों में उत्सुकता बढ़ा दी है। चंदलाई बरखेड़ा में यह बेहद ही खूबसूरत और दुर्लभ चिड़िया दिखी। टुंड्रा वनों की मूलनिवासी इस चिड़िया का नाम 'लेसर वाइट फ्रंटिड गूज़' है। यह चिड़िया जयपुर में पहली बार दिखाई दी है। यह राजस्थान या आसपास के प्रदेशों में भी कम ही दिखाई देती है। डार्क चॉकलेट ब्राउन रंग, दमकता सफेद माथा, आंख पर पीली रिंग और चोंच एकदम पिंक कलर की यह चिड़िया फिलहाल जयपुर में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। दस साल पहले यह चिड़िया पहली बार चर्चा में आई थी। जब इसे सरिस्का बाघ परियोजना से लगती आबादी टहला के आसपास देखा गया था। दरअसल यह पक्षी 'एग्रीमेंट ऑन दॅ कंजर्वेशन ऑव ऐफ्रिकन-यूरेशियन माइग्रेटरी वाटरबर्ड्स (एईडब्लूए)' के तहत 'क्रिटिकली एंडेंजर्ड' श्रेणी में है।
पक्षी प्रेमी और प्रकृतिविद किशन मीना ने यह पक्षी 8 फरवरी को पहली बार बरखेड़ा में देखा और अगले 4 दिन तक पक्षीविद् किशन मीना, कर्नल प्रदीप सांगवान और फोटोग्राफर मृदुल वैभव ने इस पक्षी को ऑब्जर्व किया और तस्वीरें ली। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह वाक़ई दुर्लभ पक्षी है और यह जयपुर में पहली बार और प्रदेश में तीसरी बार देखा गया है। यह ग्रेटर वाइट फ्रंटेड गूज़ जैसा ही है। यह यूरोप के जंगलों में ही अधिकतर रहता है और कभी-कभार बाहर आता है, लेकिन फिर भी भारत या पाकिस्तान की तरफ भूले भटके या मन में लहर उठने पर आ जाए, तो आ जाए।
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