बैन किए 23 विदेशी नस्ल में से 17 प्रजातियों के डॉग हैं कोटा में

सरकार के आदेश के बाद डॉग सेलर, ट्रेडर्स में मची खलबली

बैन किए 23 विदेशी नस्ल में से 17 प्रजातियों के डॉग हैं कोटा में

दिखने में सुंदर पर इंसानों के लिए उतने ही खतरनाक होता हैं यह डॉग्स।

कोटा। विदेशी नस्ल के डॉग दिखने में जितने सुंदर होते हैं, उतने ही इंसानों के लिए खतरनाक भी साबित हुए हैं। दैनिक नवज्योति ने पिछले दो साल पहले ही शासन-प्रशासन को मामले की गंभीरता से सचेत कर दिया था। देश के कई हिस्सों में इन डॉग्स द्वारा अपने ही मालिकों पर जानलेवा हमला करने की घटनाएं घटित हुई। नवज्योति ने पिटबुल, रॉटवेलर व अमेरिकन बुलडॉग सहित कई विदेशी नस्ल के डॉग्स से इंसानों को खतरे को लेकर खबर प्रकाशित कर चिंता जाहिर की थी। अब केंद्र सरकार ने  देशभर में 23 विदेशी नस्ल के डॉग्स पर प्रतिबंध लगा दिया है।

आदेश से डॉग ट्रेडर्स-सेलर्स में मचा हड़कम्प  
केंद्र सरकार के 23 विदेशी नस्ल के डॉग्स की खरीद-फरोख्त पर बैन लगाने के आदेश से कोटा जिले में डॉग ट्रेडर्स, सेलर्स व ब्रिडर्स में हड़कम्प मच गया। यहां प्रतिदिन एक दर्जन से अधिक पिटबुल टैरियर, जर्मन शेफर्ड, अमरीकन बुलडॉग, साइबेरियन हस्की, अमेरिकन पिटबुल और अमेरिकन बुल्ली सहित करीब 17 से 18 विदेशी नस्ल के डॉग्स खरीदे-बेचे जाते हैं। वहीं, पिटबुल की बात करें तो जिले में करीब 7 दर्जन से अधिक डॉग हैं। ऐसे में उनके रखरखाव व सेल नहीं किए जाने के आदेश से खलबली मची हुई है। 

कोटा में पंजाब-हरियाणा से होती सप्लाई  
नाम न छापने की शर्त पर कुन्हाड़ी निवासी डॉग बी्रडर ने बताया कि कोटा  में रॉटविलर, अमरीकन बुलडॉग, अमरीकन स्टैफोर्डशायर, जर्मन शेफर्ड, रोडेशियन रिजवैक, रशियन शेफर्ड सहित विभिन्न नस्लों के डॉग्स की सप्लाई पंजाब व हरियाणा से होती है। इन डॉग्स की सबसे ज्यादा डिमांड रहती है। कोटा में जर्मन शेपर्ड, लेब्रा व व्हाइट पोमेरेनिया की बिक्री ज्यादा होती है। लेकिन, सरकार ने इनकी खरीद फरोख्त पर रोक लगाने से डॉग ट्रेडर्स-सेलर्स को भारी नुकसान पहुंचेगा।

25 लाख तक बिकते हैं डॉग
बजरंग नगर निवासी डॉग ट्रेडर्स राम शर्मा कहते हैं, कोई भी डॉग खतरनाक नहीं है, बस उन्हें समझने की जरूरत है। खरीदने वालों को इनके व्यवहार व प्रवृति से वाकिफ कराया जाता है। सावधानियां  बताई जाती है। कोटा जिले में अभी तक किसी विदेशी डॉग्स ने अपने मालिक पर हमला किया हो, ऐसा कोई केस नहीं हुआ। जबकि, लाखों की कीमत में डॉग बिकते हैं। हाल ही में शहर में किसी परिवार ने विदेश से 25 लाख तक का जर्मन शेफर्ड खरीदा है। डॉग लवर इनका खास ख्याल रखते हैं। इनका उपयोग घर-परिवार की सुरक्षा के लिए किया जाता है। 

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अव्यवहारिक है सरकार के आदेश
डॉग ब्रिडर, सेलर व ट्रेडर्स पंकेश सिंह, सुनील, महेंद्र प्रजापति, सोमदेव गुर्जर का कहना है कि डॉग ब्रिडर, सेलर्स से रायशुमारी नहीं की गई। शहर में ऐसे कई सेलर व ब्रिडर हैं, जिनके पास एक दर्जन से अधिक डॉग हैं, जो कस्टरमर की डिमांड पर पंजाब से मंगवाए हैं। इनको प्रतिदिन 800 से 900 ग्राम डॉग फ्रूड दिया जाता है। जिसकी कीमत 300 रुपए होती है। इसके अलावा शेम्पू, तेल, मल्टी विटामिन सहित अन्य खर्च हैं। प्रतिमाह 8 हजार रुपए खर्च होता है। ऐसे में हमें काफी नुकसान झेलना पड़ेगा। इसकी भरपाई कैसे करेंगे। सरकार को आदेश में थोड़ा राहत देनी चाहिए।

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आक्रमक प्रवृति के होते हैं यह डॉग 
पशु चिकित्सकों का कहना है, रॉटविलर, अमरीकन बुलडॉग, पिटबुल, वोल्फ डॉग, मास्को गार्ड, केन कार्सो, जैपनीज टोसा और फिला ब्राजीलेरिया सहित अन्य विदेशी श्वान गार्ड डॉग होते हैं। इनकी प्रवृति आक्रमक होती है लेकिन कुछ शांत स्वभाव भी होते हैं। हालांकि जेनेटिक रूप से ये एग्रेसिव नेचर के ही होते हैं। डॉग बाइट की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब उसे अपनी सुरक्षा खतरे में होना महसूस हो या फिर उसके भोजन के दौरान खाने का बर्तन को इधर-उधर करना व खाने में एडिशनल चीज डालने के दौरान डिस्टर्ब होने के कारण वह अपने ही मालिक पर हमला करने से नहीं चूकता। 

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जिनके पास डॉग, वह क्या करें
मोखापाड़ा पशु चिकित्सालय के चिकित्सक डॉ. अखिलेश पांडे्य का कहना है कि जिनके पास बैन किए 23 नस्लों के डॉग्स में से कोई डॉग है तो वह नगर निगम में रजिस्ट्रेशन करवाएं। डॉग की मेटिंग नहीं करवाएं। निगम से सम्पर्क कर बधियाकरण करवाकर स्टेबलाइज रखें ताकि इनकी संख्या न बढ़े। केंद्र के आदेशों की पालना नगर निगम को करनी है, डॉग्स की पहचान सहित अन्य कार्यों के लिए पशुपालन विभाग की मदद ली जा सकती है। 

बैन किए गए विदेशी नस्ल के डॉग को पालने व सेलिंग के लिए लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। इस संबंध में आगे जो भी आदेश आएगा, उसके अनुसार कार्रवाई करेंगे। 
- चंपालाल मीणा, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग कोटा 

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