सरकारी विद्यालयों की स्थिति सही होने की बजाए हो रही है खराब
सघन देखरेख करके स्थिति सुधारने के विशेष निर्देश दिए है
आदेश में अंतिम तीन स्थान वाले जिले बांसवाड़ा, जयपुर व जोधपुर को प्राथमिकता के साथ सघन देखरेख करके स्थिति सुधारने के विशेष निर्देश दिए हैं।
जयपुर। शिक्षा विभाग की ओर से दिए गए टास्क को पूरा करने में प्रदेश के बड़े जिलों की सरकारी विद्यालयों की स्थिति सही होने की बजाए काफी खराब होती जा रही है। खासकर जयपुर, जोधपुर, अजमेर, बीकानेर, गंगानगर, बांसवाड़ा और नागौर ऐसे जिले हैं, जिनकी फरवरी माह की रैंकिंग बहुत खराब आई है। शाला दर्पण पर उपलब्ध डाटा के आधार पर की गई रैंकिंग में प्रदेश के 13 जिले हैं, जिनका स्कोर औसत से भी कम है। वहीं, दूसरी तरफ अच्छी रैंकिंग वाले जिलों में सवाई माधोपुर, झुंझुनूं, सीकर, कोटा, धौलपुर आदि जिले हैं। हालांकि इनका स्कोर भी 55 प्रतिशत से कम है। इसको देखते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक आशीष मोदी ने रैंकिंग सुधारने के लिए प्रदेश के सभी मुख्य जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। आदेश में अंतिम तीन स्थान वाले जिले बांसवाड़ा, जयपुर व जोधपुर को प्राथमिकता के साथ सघन देखरेख करके स्थिति सुधारने के विशेष निर्देश दिए हैं।
यह है रैंकिंग का आधार
प्रतिदिन छात्र उपस्थिति ऑनलाइन करने पर (सभी विद्यालय) पांच अंक। इंस्पायर अवार्ड, एनएमएमएस, विज्ञान प्रदर्शनी, राज्य प्रतिभा खोज, आॅनलाइन अपडेट 10 से 15 अंक (सभी विद्यालय)। पुस्तकालय की पुस्तकों का विद्यार्थियों को नामांकन का 40 प्रतिशत से अधिक वितरण करने पर पांच अंक। आधार, जन आधार प्रमाणीकरण 95 प्रतिशत से अधिक होने पर 5 अंक। एसएमसी और एसडीएमसी बैठक में सदस्यों की उपस्थिति 60 प्रतिशत से अधिक होने पर 10 अंक। खेल मैदान विकसित 75 प्रतिशत से अधिक होने पर 5 अंक। आईसीटी लैब 75 प्रतिशत विकसित होने पर 5 अंक। पीटीएम 60 प्रतिशत उपस्थिति पर 5 अंक। उजियारी पंचायत और नामांकन वृद्धि 10 प्रतिशत पर 10 अंक। विद्यालय में कुल नामांकन के अनुपात में विद्यार्थियों की औसत उपस्थिति 95 प्रतिशत से अधिक होने पर 5 अंक दिए जाते हैं।
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