सरकारी स्कूल में बच्चों से लगवाए जा रहे झाडू, पौछा
शिक्षिकाएं मोबाइल में और बच्चे हुड़दंग में व्यस्त
कक्षाओं से लेकर परिसर तक की बच्चों से करवा रहे सफाई।
कोटा। राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय साजीदेहड़ा में मासूम बच्चों से जूठे बर्तन धुलवाए जा रहे हैं। वहीं, बालिकाओं से झाडू लगवाई जा रही है। एक हाथ में कचरे का डिब्बा तो दूसरे हाथ में झाडू थामे नन्हीं बालिका की तस्वीर देख किसी का भी दिल पसीज जाए लेकिन शिक्षक-शिक्षिकाओं का दिल नहीं पिघला। कक्षाओं से लेकर परिसर तक का कचरा उठवाया जा रहा है। शिक्षा के मंदिर में मासूमों के भविष्य से होता खिलवाड़ शिक्षा अधिकारियों को खुली आंखों से भी दिखाई नहीं दे रहा। हालात यह हैं, एक तरफ सरकार बच्चों के उज्जवल भविष्य का दावा करती है, वहीं स्कूलों में दावों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। ऐसे विद्यालयों में शिक्षा का स्तर क्या होगा, इसका अंदाजा स्वयं लगा सकते हैं।
क्या ऐसे निखरेगी प्रतिभा
सरकारी स्कूलों में बच्चों को पोषाहार देकर सरकार वाहवाही जरूर लूट रही है, लेकिन दूसरी ओर पोषाहार के बर्तन भी बच्चों से ही साफ करवा रही है। बच्चों को खेलने कूदने का जो समय मिलता है, बच्चे उस समय में पोषाहार के बर्तन धोते हैं। वहीं, स्कूल समय में झाडू लगा रहे। जिससे पढ़ाई का समय बर्बाद हो रहा। जबकि, सरकार राजकीय विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का दावा करती है। ऐसे परिवेश में यह दावा हवा में उड़ते नजर आ रहे हैं। सवाल ये उठते हैं, कि क्या इस तरह से निखरेगी बच्चों की प्रतिभा...? जहां पर बच्चों को बर्तन साफ करने पड़ रहे हैं।
कागज की पुड़ियाओं में बांध दे रहे मिल्क पाउडर
राज्य सरकार की बाल गोपाल योजना के तहत स्कूलों में बच्चों को मिल्क पाउडर का दूध पिलाया जाता है। लेकिन यहां बच्चों को मिल्क पाउडर कागज की पुड़ियाओं में बांध घर ले जाने के लिए दे रहे हैं। इतना ही नहीं यह पाउडर पिछली सरकार के समय का हैं जिसे अब वितरित किया जा रहा है। दूध पैकेट पर पूर्व मुख्यमंत्री का फोटो चस्पा है। चुनाव के समय इसे बांटा जाना आचार संहिता का भी उल् लंघन है। बच्चे पाउडर का दूध स्कूल की जगह घर पर पी रहे हैं। जबकि, नियम स्कूल में ही पाउडर का दूध बनाकर पिलाने का है।
मैडम मोबाइल में तो बच्चे हुड़दंग में व्यस्त
स्कूल की गैलरी में कक्षा एक की क्लास लगती है। जिसमें कुल 28 बच्चों का नामांकन है। इनमें 14 लड़के और 14 ही लड़कियां हैं। कक्षा एक को पढ़ा रही शिक्षिका क्लास में मोबाइल देखने में रही और बच्चे मस्ती करते रहे। मामले को लेकर पिछले दिनों से शिकायत मिल रही थी, इस पर नवज्योति ने करीब 15 दिन से गतिविधियों पर नजर बनाए रखी। शिक्षिका मोबाइल देखने में इतनी व्यस्त थी की बच्चे क्लास में उछल कूद करते रहे और शोर-शराबा होता रहा लेकिन शिक्षिका को कोई फर्क नहीं पड़ा। अनुशासन नहीं होने से बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन मिले, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती।
गलत स्पेलिंग भी जांची
नवज्योति मंगलवार को स्कूल में कक्षा-7 में पहुंची। जहां बच्चों को पढ़ा रही बीएड अभ्यर्थी से बच्चों की वर्कबुक लेकर अवलोकन किया। वर्कबुक में कई वर्ड्स की स्पेलिंग गलत थी, इसके बावजूद इंग्लिश टीचर द्वारा उसे जांच दिया गया। इसके बारे में पूछा तो हैड मास्टर जवाब नहीं दे सके।
क्या कहते हैं अधिकारी
मामला संज्ञान में आया है। सीबीईओ कोटा शहर को जांच के लिए लिखा है। जांच में जो भी दोषी मिलेगा, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। डीओ एलीमेंट्री को भी जांच कर तत्थात्मक रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेंगे।
- तेज कंवर, संयुक्त निदेशक, स्कूल शिक्षा कोटा संभाग
मामले की शिकायत मिली है। इस पर जांच शुरू करवा दी है। इसमें जो भी शिक्षक दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ विभागीय नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
- यतीश विजय, जिला शिक्षाधिकारी, प्रारंभिक शिक्षा
आपके द्वारा मामला संज्ञान में आया है। सीबीईओ शहर से मामले की जांच करवाएंगे। दीवारों पर स्लोगन व वर्ण मालाओं में जो भी शाब्दिक गलतियां हैं उस पर व्हाइट वॉश करवाकर दोबारा सही तरीके से लिखवाएंगे। जांच में दोषी पाए जाने वालों पर कार्रवाई करेंगे।
- चारू मित्रा सोनी, मुख्य जिला शिक्षाधिकारी कोटा
इनका कहना है
इसका स्पष्टीकरण हम पहले भी लिखित में यूसीईओ दादाबाड़ी जांच दल को दे चुके हैं। यहां एक बाई है, उनके साथ उनकी दोहितियां भी स्कूल आती है। वे अपनी नानी की मदद के लिए एक-दो बार झाडू लगाया। जब उनसे पूछा कि स्कूल यूनिफार्म पहन कर कैसे आती हैं तो वह कोई जवाब नहीं दे सके। उनका कहना था कि मैंने बालिकाओं को यह काम करने के लिए स्पष्ट मना कर दिया था। रही बात, बर्तन की तो यह बर्तन मिड-डे मील के है, जो पहले से ही धुले रहते हैं लेकिन बच्चे फिर भी भोजन से पहले उन्हें खाली पानी से खंगालते हैं। क्लास टीचर्स को भी पाबंद कर दिया था। इसके बाद से यह सब रुक गया। मैंने यूआईटी की मदद से ढाई लाख रुपए की लागत से स्कूल में 6 टॉयलेट बनाए हैं। स्कूल की बाउंड्री को पेंट करवाया। एबीएल कक्ष में लिखे शब्दों में हुई गलतियों पर ध्यान नहीं गया, उसे भी दुरुस्त करवा रहे हैं।
- हंसराज मीणा, प्रधानाध्यापक, राउप्रावि साजीदेहड़ा
205 विद्यार्थियों का नामांकन
कक्षा गर्ल्स बॉयज कुल
1 14 14 28
2 18 11 29
3 12 07 19
4 12 15 27
5 16 16 32
6 12 14 26
7 10 16 26
8 06 12 18
Comment List