भारत में आय की असमानता : जरूरत है बहुआयामी दृष्टिकोण की

भारत में आय की असमानता : जरूरत है बहुआयामी दृष्टिकोण की

शिक्षा को प्राथमिकता देना और सभी बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्कूली शिक्षा मिलना जरूरी है। इसी प्रकार लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

विश्व के आर्थिक जगत  में इन दिनों आय असमानता व्यापक बहस का विषय है। न केवल विकासशील देशों में अपितु विकसित देशों में भी अमीरी और गरीबी के बीच की खाई बढ़ती जा रही है। चीन और भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देशों में आर्थिक असमानता चिंताजनक स्तर पर है। पिछले कुछ दशकों में महत्वपूर्ण आर्थिक विकास के बावजूद आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है। भारत में आय असमानता की भयावहता को समझने के लिए कुछ आर्थिक आंकड़ों पर नजर डालने की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय एनजीओ ऑक्सफेम की विश्व असमानता रिपोर्ट के अनुसार भारत की शीर्ष 1: आबादी के पास देश की कुल सम्पत्ति का 73 प्रतिशत भाग है। इसी रिपोर्ट के अनुसार देश के 67 करोड़ भारतीयों (जो कि देश की आबादी का लगभग आधा हिस्सा हैं) की सम्पत्ति में मात्र 01 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी प्रकार राष्ट्रीय आय का अनुपातहीन रूप से बड़ा भाग उच्च वर्ग के पास है, जबकि समाज के 50 प्रतिशत हिस्से के पास सामूहिक रूप से बहुत कम हिस्सा है। यह स्पष्ट विरोधाभास आय की विषमता को दर्शाता है। इसके अलावा विश्व बैंक की रिपोर्ट से भी पता चलता है कि भारत का गिनी गुणांक 0.34 है, जो कि तुलनात्मक रूप से उच्च आय असमानता को दर्शाता है। यह गुणांक आय असमानता मापने का प्रमुख सूचकांक है। यह पिछले कुछ वर्षों में लगातार उच्च बना हुआ है। यह दर्शाता है कि धन वितरण अत्यधिक विषम बना हुआ है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी का एक बड़ा हिस्सा रहता है। लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और रोजगार के अवसरों की कमी जैसे कारकों के कारण शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आय की असमानता अधिक रहती है। भारत में बढ़ती आय असमानता के कई कारण है। इसमें पहला है शहर और गांवों में रोजगार के अवसरों की असमानता। आमतौर पर शहरी क्षेत्र में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में रोजगार के अवसर अधिक है। काम के बदले मिलने वाले पारिश्रमिक में भी अंतर होता है। कृषि से होने वाली आय भी अल्प होती है। ऐसे में ग्रामीण और शहरी आबादी में आय की असमानता हो जाती है।
आय असमानता का दूसरा प्रमुख कारण शैक्षिक असमानताओं को माना जाता सकता है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच कमाई की क्षमता निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालांकि सामाजिक- आर्थिक पृष्ठभूमि पर आधारित शैक्षिक अवसरों  में असमानताएं आय असमानता को और बढ़ा देती हैं। संपन्न परिवारों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती है, जिससे वे उच्च वेतन वाली नौकरियों की राह पर आगे बढ़ते हैं, जबकि वंचित पृष्ठभूमि के बच्चे अक्सर पीछे रह जाते हैं। तीसरा प्रमुख कारण लैगिंक असमानता है। भारत में लैंगिक असमानता एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनी हुई है, महिलाएं लगातार समान काम के लिए पुरुषों की तुलना में कम कमाती हैं। सामाजिक मानदंड, अवसरों की कमी और शिक्षा व कौशल विकास कार्यक्रमों तक सीमित पहुंच इस असमानता में योगदान करती है, जिससे महिलाओं के लिए आर्थिक नुकसान का चक्र कायम रहता है। चौथा प्रमुख कारण औपचारिक क्षेत्र का प्रभुत्व है। भारत के कार्यबल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत है, जिसमें नौकरी की सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और उचित वेतन का अभाव है। अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिक अक्सर शोषण के प्रति संवेदनशील होते हैं और उनके पास ऊपर की ओर गतिशीलता के सीमित अवसर होते हैं, जो आय असमानता में योगदान करते हैं। आय की इस असमानता से सामाजिक अशांति उत्पन्न होती है। समाज में असंतोष पैदा हो सकता है, जिससे सरकार और आर्थिक अभिजात वर्ग के प्रति नाराजगी और अविश्वास को बढ़ावा मिल सकता है। इसी प्रकार आर्थिक विषमता से स्वास्थ्य संबंधी असमानताएं हो जाती है। साथ ही साथ यह असमानता सामाजिक गतिशीलता को बाधित करती है, जिससे वंचित पृष्ठभूमि के व्यक्तियों के लिए अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करना मुश्किल हो जाता है। अंतत: अमीरी और गरीबी के बीच खाई बढ़ती ही जाती है। 

आय असमानता से निपटने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। इसके लिए शिक्षा में निवेश की सबसे ज्यादा जरूरत है। शिक्षा को प्राथमिकता देना और सभी बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्कूली शिक्षा मिलना जरूरी है। इसी प्रकार लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। शिक्षा हो, रोजगार हो या फिर वेतन का मामला पुरुषों और महिलाओं के बीच किसी प्रकार का भेद नहीं किया जाना चाहिए। सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना भी आय असमानता को दूर करता है। कमजोर आबादी को स्वास्थ्य देखभाल, आवास और खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। इन कार्यक्रमों को सबसे अधिक जरूरतमंद लोगों तक पहुंचने और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करने वाले लोगों के लिए सुरक्षा जाल प्रदान करने के लिए डिजाइन किया जाना चाहिए। अनौपचारिक क्षेत्र के औपचारिकीकरण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। सहायक नीतियों और प्रोत्साहनों के माध्यम से अनौपचारिक क्षेत्र के औपचारिकीकरण को बढ़ावा देने से काम करने की स्थिति में सुधार हो सकता है, उचित वेतन सुनिश्चित हो सकता है और श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।

आय की विषमता दूर करने के लिए प्रगतिशील कराधान महत्वपूर्ण उपाय है।  अमीरों पर आनुपातिक रूप से अधिक कर लगाने वाली प्रगतिशील कराधान नीतियों को लागू करने से धन के पुनर्वितरण और आय असमानता को कम करने में मदद मिल सकती है। प्रगतिशील करों से उत्पन्न राजस्व को इसमें पुन: निवेश किया जा सकता है सामाजिक कल्याण कार्यक्रम और बुनियादी ढांचे का विकास।
आय असमानता भारत के सामाजिक.आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां पैदा करती है और समावेशी विकास हासिल करने के प्रयासों को कमजोर करती है। इस मुद्दे के समाधान के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो शिक्षा तक असमान पहुंचए लिंग भेदभाव और अनौपचारिक क्षेत्र के प्रभुत्व जैसे मूल कारणों से निपट सके। न्यायसंगत नीतियों और निवेश को प्राथमिकता देकर भारत एक अधिक समावेशी और समृद्ध समाज को बढ़ावा दे सकता है जहां प्रत्येक व्यक्ति को आगे बढ़ने का अवसर मिले।

-राम शर्मा
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

Read More अरब में पाकिस्तानियों को नो एंट्री

Post Comment

Comment List

Latest News

नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देकर हासिल करेंगे नेट जीरो का लक्ष्य: नागर नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देकर हासिल करेंगे नेट जीरो का लक्ष्य: नागर
भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि विश्व की करीब एक-चौथाई जनसंख्या तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था में 28 प्रतिशत...
जन औषधि केंद्र:  वर्ष 2024-25 में हुई 1 हजार करोड़ की दवाओं की बिक्री
भाजपा‌ ने पंजाब, मेघालय के उपचुनावों के उम्मीदवार किए घोषित
जवाहर कला केन्द्र: लोकरंग महोत्सव लोक कला प्रस्तुतियों को मिल रही खूब सराहना
भवन बना नहीं,करोड़ों की जमीन पर खड़े हो रहे संवेदक के वाहन
Bhool Bhulaiyaa3: रोमांटिक ट्रैक 'जाना समझो ना' रिलीज, जानिए कब होगी फिल्म रिलीज
डीएपी की किल्लत से किसान परेशान