'राजकाज'

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जानें राज-काज में क्या है खास

एक चेहरा-एक चिन्ह
सूबे में इन दिनों भगवा वाले भाई लोगों में एक चेहरा और एक चिन्ह को लेकर काफी खुसरफुसर है। हो भी क्यों ना, चार धड़ों में बंटे वर्कर्स को एकजुट करने के लिए कोई न कोई फार्मूला भी तो जरूरी है। सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा के वालों के ठिकाने के साथ भारती भवन वाले भाई साहब भी मिशन-2023 के लिए अभी से पसीना बहा रहे हैं। राज का काज करने वालों में चर्चा है कि भगवा वालों को हाथ वालों से नहीं बल्कि खुद की एक विंग से बड़ा खतरा है। इसलिए तो नेक्स्ट सीएम का नाम लिए बिना ही मोदी के चेहरे और कमल के चिन्ह पर ही वोट मांगने में अपनी भलाई समझ रहे हैं। यह दीगर बात है कि दिल्ली वाले दोनों बड़े साहब जोधपुर वाले गज्जू बन्ना को आगे लाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे, तभी तो बन्नाजी इन दिनों पॉलिटिकल बयान देने में कतई कंजूसी नहीं कर रहे।


तलाश-ए-ठिकाना
हाथ वाले कुछ भाई लोग इन दिनों काफी दुबले हो रहे हैं। उनकी रातों की नींद और दिन का चैन काफूर है। हो भी क्यों ना, पब्लिक में अपना रुतबा दिखाने के लिए चॉपर में बैठकर हवा में भी उड़ते हैं, लेकिन उनके अंदर छिपे दर्द को कोई नहीं जानता। इस दर्द के इलाज के लिए दो महीनों से सचिवालय से लेकर सिविल लाइंस तक के चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन अभी पार नहीं पड़ी। सबसे ज्यादा दर्द मेष राशि वाले भाई साहब का है, जिनका साढ़े तीन साल ऐड़ियां घिसने के बाद दो महीने पहले पॉलिटिकल अपॉइंटमेंट तो हो गया, मगर बैठने के लिए ठिकाना आज तक नहीं मिला। अब भाई साहब को चिंता सता रही है कि बिना ठिकाने के परशुराम वंशजों की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए गोविन्ददेवजी के साथ कौनसा देवरा ढोका जाए।


नहीं लगा मन भक्ति में
भगवान की भक्ति में हर किसी का मन लगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है। मन है, लगे तो लगे, नहीं लगे तो किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकते। अब देखो ना, सूबे में राज ने हनुमान जयंती पर मंदिरों में सुन्दरकांड पाठ के आयोजनों में कोई कंजूसी नहीं की। राज को उम्मीद थी कि पिंकसिटी के हाथ वाले भाई लोगों का मन भी हनुमान चालीसा के साथ राम के नाम में रम जाएगा। राज ने इसके लिए हवामहल के सामने मंदिर में हनुमान जन्मोत्सव पर शनि को बंदोबस्त करने के साथ नवरत्नों में से एक मोहतरमा को भी जिम्मेदारी सौंपी, लेकिन हाथ वाले भाई लोगों ने दूरियां बनाकर मैसेज दे दिया कि नकल की नहीं, बल्कि अकल की जरूरत है।


राम ही मालिक
गुजरे जमाने में काफी उठापटक के दौर से गुजर चुके सरदार पटेल मार्ग पर स्थित बंगला नंबर 51 स्थित भगवा वाली पार्टी के दफ्तर में एक चर्चा जोरों पर है। चर्चा भी मीनेश और देवनारायण के वंशजों को लेकर है। सिर पर सूबे की सरकार के लिए जंग सामने है, लेकिन भगवा टीम में दोनों को ही ज्यादा तव्वजो नहीं मिली है। यहां आने वाले अधिकांश कार्यकर्ताओं की जुबान पर है, कि भाईसाहबों की हेकड़ी से पहले ही दो फाड़ बैरन बनी हुई है और अब मीनेश और देवनारायण के वंशजों को गले नहीं लगाया तो जंग जीतना आसान नजर नहीं आ रहा। अब तो भगवा का राम ही मालिक है।  

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बढ़ रही है सूची
राज और काज करने वालों की बीच छत्तीस का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। जोधपुर वाले भाई साहब तो खाई पाटने की जुगत में हैं, लेकिन उनके नवरत्न कुछ समझना ही नहीं चाहते। काज करने वाले कायदे कानूनों की दुहाई देकर सुशासन के नारे की याद दिलाते हैं। अब देखो ना हर घर को पानी पिलाने में जुटे भाई साहब को ऊपर वालों ने आंख के इशारे से समझा दिया, लेकिन उनके समझ में नहीं आई। गुजरे जमाने में माथुर आयोग के चक्कर लगा चुके अफसरों से अभी भी उम्मीद कर रहे हैं कि आंख बंद कर चिड़िया बिठा दें, चाहे दूध फट ही क्यूं ना जाए। ऐसे में नवरत्नों से पिण्ड छुड़ाने वालों की सूची लंबी होती जा रही है।

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      एल. एल. शर्मा, पत्रकार

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