अब जरूरी हो गया है बाल श्रम रोकना
दो पेट के भोजन की शर्त पर उनका बचपन और भविष्य तबाह हो रहा है।
दुनिया भर में 73 मिलियन बच्चे खतरनाक काम करते हैं। खतरनाक श्रम में मैनुअल सफाई, निर्माण, कृषि, खदानों, कारखानों तथा फेरी वाला एवं घरेलू सहायक इत्यादि के रूप में काम करना शामिल है।
किसी देश के बच्चे अगर शिक्षित और स्वस्थ्य होंगे तो वह देश उन्नति और प्रगति करेगा और देश में खुशहाली आएगी। लेकिन अगर बच्चे बचपन से ही किताबों को छोड़कर कल- कारखनों में काम करने लगेंगे तो देश समाज का भविष्य उज्ज्वल नहीं होगा। देश में आज भी करोड़ों बच्चे स्कूलों की बजाए कल- कारखानों, ढाबों और खतरनाक कहे जाने वाले उद्योगों में कार्य कर रहे हैं। जहां दो पेट के भोजन की शर्त पर उनका बचपन और भविष्य तबाह हो रहा है।
बाल श्रम लगातार एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। जिसके कारण बच्चों का बचपन गर्त में जा रहा है और उनको अपना अधिकार नहीं मिल पा रहा है। यह दिवस बाल श्रम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और इसको पूरी तरह से समाप्त करने के लिए व्यक्ति, गैर सरकारी संगठन एवं सरकारी संगठनों को प्रेरित करने के लिए मनाया जाता है। इस साल विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का थीम है आइए अपनी मांगों पर कार्य करें बाल श्रम समाप्त करें! इस दिन जागरूकता बढ़ाने, बदलाव की पहल करने और बाल श्रम से मुक्त भविष्य की दिशा में योगदान करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। संयुक्त राष्ट्र ने बाल श्रम पर कहा है कि पिछले तीन दशकों के इस समस्या से निपटने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, अगर मूल कारणों को दूर कर दिया जाए तो बाल श्रम को खत्म किया जा सकता है। बाल मजदूरी उन्मूलन के लिए दुनिया भर में 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जा रहा है। बाल मजदूरी के खिलाफ जागरूकता फैलाने और 14 साल से कम उम्र के बच्चों को इस काम से निकालकर उन्हें शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से साल 2002 में द इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन की ओर से इस दिवस की शुरूआत की गई थी। बाल श्रम के खात्मे के लिए आज के दिन श्रमिक संगठन, स्वयंसेवी संगठन और सरकारें तमाम आयोजन करती हैं। इन सबके बावजूद बाल मजदूरी पर लगाम नहीं लग पा रही है।
वर्तमान में देश के विभिन्न क्षेत्रों में छोटे स्तर पर होटल, घरों व फैक्ट्री में काम कर या अलग-अलग व्यवसाय में मजदूरी कर लाखों बाल श्रमिक अपने बचपन को तिलांजलि दे रहें हैं, जिन्हें न तो किसी कानून की जानकारी है और ना ही पेट पालने का कोई और तरीका पता है।
बाल श्रम की समस्या का मुख्य कारण है निर्धनता और अशिक्षा है। जब तक देश में भुखमरी रहेगी तथा देश के नागरिक शिक्षित नहीं होंगे तब तक इस प्रकार की समस्याएं ज्यों की त्यों बनी रहेंगी। देश में बाल श्रमिक की समस्या के समाधान के लिये प्रशासनिक, सामाजिक तथा व्यक्तिगत सभी स्तरों पर प्रयास किया जाना आवश्यक हैं। यह आवश्यक है कि देश में कुछ विशिष्ट योजनाएं बनाई जाएं तथा उन्हें कार्यान्वित किया जाए जिससे लोगों का आर्थिक स्तर मजबूत हो सके और उन्हें अपने बच्चों को श्रम के लिये विवश न करना पड़े।
प्रशासनिक स्तर पर सख्त से सख्त निदेर्शों की आवश्यकता है जिससे बालश्रम को रोका जा सके। व्यक्तिगत स्तर पर बाल श्रमिक की समस्या का निदान हम सभी का नैतिक दायित्व है। इसके प्रति हमें जागरूक होना चाहिये तथा इसके विरोध में सदैव आगे आना चाहिये। पूरी दुनिया के लिये बाल श्रम की समस्या एक चुनौती बनती जा रही है। विभिन्न देशों द्वारा बाल श्रम पर प्रतिबंध लगाने के लिये समय समय पर विभिन्न प्रकार के कदम उठाए गए हैं। बाल श्रम को काबू में लाने के लिये विभिन्न देशों द्वारा प्रयास किये जाने के बाद भी इस स्थिति में सुधार न होना चिंतनीय है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट से पता चलता है कि बाल श्रम को दूर करने में हम अभी बहुत पीछे हैं। दुनिया भर में 73 मिलियन बच्चे खतरनाक काम करते हैं। खतरनाक श्रम में मैनुअल सफाई, निर्माण, कृषि, खदानों, कारखानों तथा फेरी वाला एवं घरेलू सहायक इत्यादि के रूप में काम करना शामिल है।
बच्चे अपनी उम्र के अनुरूप कठिन काम जिन कारणों से करते हैं, उनमें आमतौर पर गरीबी पहला कारण है। इसके अलावा, जनसंख्या विस्फोट, सस्ता श्रम, उपलब्ध कानूनों का लागू नहीं होना बच्चों को स्कूल भेजने के प्रति अनिच्छुक माता- पिता जैसे अन्य कारण भी हैं। बाल श्रम प्रतिबंध एवं नियमन, संशोधन अधिनियम- 2016 के जरिए बाल श्रम प्रतिबंध एवं नियमन- अधिनियम 1986 में संशोधन किया गया है ताकि किसी काम में बच्चों को नियुक्त करने वाले व्यक्ति पर जुर्माना के अलावा सजा भी बढ़ाई जा सके। संशोधित कानून सरकार को ऐसे स्थानों पर और जोखिम भरे कार्यों वाले स्थानों पर समय समय पर निरीक्षण करने का अधिकार देता है जहां बच्चों के रोजगार पर पाबंदी है।
- रमेश सर्राफ धमोरा
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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