केंद्र खुले एक माह बीता, एक भी किसान नहीं आया गेहूं बेचने

कोटा में राजफैड ठेका नहीं होने से नहीं खुल सका केंद्र, किसान का रुझान नहीं होने कैसे पूरा होगा 2 लाख 40 हजार मैट्रिक टन खरीद का लक्ष्य

केंद्र खुले एक माह बीता, एक भी किसान नहीं आया गेहूं बेचने

संभाग की सबसे बड़ी भामाशाह मंडी में इन दिनों रबी जिंसों की बंपर आवक हो रही है। मंडी में प्रतिदिन 1 लाख 25 हजार बोरी गेहूं की आवक हो रही है। 15 मार्च से समर्थन मूल्य खरीद केन्द्र शुरू करने के बावजूद खरीद केन्द्रों पर जिंसों को बेचने के प्रति किसानों का रुझान नहीं है। एक माह होने आया, पर अभी एक भी किसान समर्थन मूल्य केंद्र पर माल बेचने नहीं आया है।

कोटा । संभाग की सबसे बड़ी भामाशाह मंडी में इन दिनों रबी जिंसों की बंपर आवक हो रही है। मंडी में प्रतिदिन 1 लाख 25 हजार बोरी गेहूं की आवक हो रही है।  मंडी के सारे नीलामी शेड माल से भरे हुए हैं। व्यापारियों  द्वारा माल का उठाव नहीं करने से नए माल की नीलामी में परेशानी आ रही है। वहीं दूसरी ओर एफसीआई की ओर से 15 मार्च से समर्थन मूल्य खरीद केन्द्र शुरू करने के बावजूद खरीद केन्द्रों पर जिंसों को बेचने के प्रति किसानों का रुझान नहीं है। एक माह होने आया, पर अभी एक भी किसान समर्थन मूल्य केंद्र पर माल बेचने नहीं आया है।  खरीद केन्द्रों पर किसान जाना ही पसंद नहीं कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि  राज्य सरकार ने गेहूं 2015 रुपए, चना 5230 रुपए व सरसों 5850 रुपए समर्थन मूल्य रखा था, लेकिन मंडी में भाव ज्यादा मिलने से किसानों का रुझान केंद्र पर माल बेचने में कम नजर आ रहा है। हालांकि  किसानों ने समर्थन मूल्य पर गेहूं, चना व सरसों बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करा रखा है। लेकिन समर्थन मूल्य पर खरीद की जाने वाली जिंसों का बाजार भाव समर्थन मूल्य से ज्यादा होने से किसान अपनी जिंस को समर्थन मूल्य खरीद केन्द्र पर नहीं ला  रहे हैं। मंडी में बने केंद्रों पर अधिकारी कर्मचारी किसानों के इंतजार करते नजर आ रहे हंै। पिछली बार जहां किसानों ने जमकर समर्थन मूल्य पर अपनी जिंसे बेची थी, इस बार उनका रुझान घटा है।  उल्लेखनीय है कि पिछले एक माह  से कोटा संभाग में संचालित एफसीआई के समर्थन मूल्य खरीद केन्द्रों पर इक्का दुक्का किसान ही माल लेकर आ रहे हैं।  उनका माल भी गुणवत्ता युक्त नहीं होने की बात कर कहकर रिजेक्ट कर दिया।  जबकि  संभाग में मार्च से ही गेहूं की कटाई का सिलसिला शुरू हुआ जो अप्रैल के प्रथम सप्ताह में खत्म होने आया है। कोटा संभाग में एफसीआई खरीद केन्द्र 15 मार्च से शुरू हो चुके। संभाग में 6 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा था जिसमें कोटा जिले में 2.35 लाख, बूंदी में 2.10 लाख, बारां में 75 हजार, सवाईमाधोपुर में 25 हजार व झालावाड़ में 55 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य था। संभाग के किसी भी केन्द्र पर अभी तक कोई किसान गेहूं बेचने नहीं आया। ऐसे में 2 लाख 40 हजार मिट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य पूरा होने में संशय बना हुआ है।

संभाग में 22 लाख 82 हजार मिट्रिक टन माल खरीदने का लक्ष्य
कोटा में एफसीआई की ओर से समर्थन मूल्य खरीद केन्द्र एक माह से शुरू करने के बावजूद खरीद केन्द्रों पर जिंसों के बचने के प्रति किसानों का रूझान नहीं है। खरीद केन्द्रों से किसान गायब है। राज्य सरकार ने गेहूं 2015 रुपए, चना 5230 रुपए व सरसों 5850 रुपए समर्थन मूल्य रखा था। किसानों ने समर्थन मूल्य पर गेहूं, चना व सरसों बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन भी करवाया, लेकिन समर्थन मूल्य पर खरीद की जाने वाली जिंसों का बाजार भाव समर्थन मूल्य से ज्यादा होने पर किसान अपनी जिंस को समर्थन मूल्य खरीद केन्द्र पर नहीं ला रहा। कोटा संभाग में संचालित एफसीआई के समर्थन मूल्य खरीद केन्द्र पर पिछले बीस दिनों से किसानों का इंतजार हो रहा है। जबकि मार्च से ही गेहूं की कटाई का सिलसिला शुरू हो गया था। एफसीआई को राज्य में समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल पर 22 लाख 82 हजार 284 मिट्रिक खरीद गेहूं खरीद का लक्ष्य दिया गया था। जिसमें कोटा संभाग का 6 लाख मिट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य था। साथ ही राज्य सरकार के सुझाव अनुसा खरीद लक्ष्य के साथ 10 प्रतिशत बढ़ौतरी का विकल्प भी प्रस्तावित था। खरीद केन्द्रों के प्रति किसानों की रूचि नहीं होने से समय पर यह लक्ष्य कैसे पूरा होगा।

समर्थन मूल्य कम होने किसान नहीं ला रहे केंद्र पर माल
प्रगतिशील किसान रामराज गोचर ने बताया कि इस बार समर्थन मूल्य पर गेहूं 2015 रुपए प्रति क्विंटल है। जबकि बाजार में गेहूं 2050 से 2500 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है। ऐसे में किसान अपना गेहूं खरीद केन्द्र पर नहीं ले जाकर  सीधे बाजार में बेच रहे हैं। रामराज ने बताया कि जो गेहूं को एफसीआई व राजफैड रिजेक्ट कर रहे हैं वहीं माल बाजार में 2050 रुपए क्विंटल बिक रहा है तो फिर किसान घाटा खाकर समर्थन मूल्य पर क्यों माल बेचेगा। किसान धर्मराज ने बताया कि   इस बार यूके्रन रूस युद्ध के चलते गेहूं के दाम और बढ़ेंगे। ऐसे में इस साल सरकार ने किसानों को खरीद केन्द्र पर गेहूं बेचने पर बोनस भी दे तो किसान खरीद केन्द्र पर  नहीं बेचेगा। क्योंकि गेहूं का भाव अभी और बढ़ने की संभावना है।

जटिल प्रक्रिया से नहीं हो सकें टेंडर, राजफैड के केंद्र नहीं हुए शुरू
राजफैड के समर्थन मूल्य खरीद केन्द्र 1 अप्रैल से शुरू होने थे।  लेकिन जटिल टेंडर प्रक्रिया से अभी केंद्र शुरू ही नहीं हुए हैं। कोटा सम्भाग में गेहूं खरीद के 39, चना व सरसों के 11 केन्द्र शुरू करने थे। हैंडलिंग व परिवहन की टेंडर प्रक्रिया पिछली बार से जटिल होने के चलते इस बार टेंडर प्रक्रिया में किसी के भाग नहीं लेने से केन्द्र शुरू नहीं हो पाए। जानकारी के अनुसार कोटा झालावाड़ में तीन-तीन बार टेंडर प्रक्रिया जारी करने के बाद भी टेंडर नहीं हो पा रहे। बूंदी में चना सरसों के सभी खरीद केन्द्रों के टेंडर हो चुके, वहीं बारां में तीन खरीद केन्द्रों के टेण्डर हो पाए है। संभाग में तिलम संघ के 25 खरीद केन्द्र 15 मार्च से चालू होने थे। इनमें से 20 खरीद केन्द्रों की टेण्डर प्रक्रिया पूरी हो गई और स्वीकृति के लिए जयपुर भेज रखा है। साथ ही करीब 4 खरीद केन्द्र की ट्रेण्डर प्रक्रिया अभी बाकी है। अभी बूंदी कापरेन, नैनवां, देही, बारां में सोमवार को केंद्र शुरू हुए कोटा में अगले सप्ताह तक केंद्र शुरू होने की संभावना है।


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