कैलाश ने खेत के रास्ते के लिए 20 साल तक संघर्ष किया, मौत के बाद ही मिल पाई जगह

सदमे से किसान की मौत का मामला

कैलाश ने खेत के रास्ते के लिए 20 साल तक संघर्ष किया, मौत के बाद ही मिल पाई जगह

बेटे ने की आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग।

हिंडोली। मरे बिना स्वर्ग नहीं मिलता ? यह कहावत पढ़ते व सुनते आ रहे हैं  लेकिन इसका सही उदाहरण  मंगलवार को प्रत्यक्ष रूप से कैलाश तेली की मौत के बाद वह भी परिवार द्वारा शव के साथ उपखंड कार्यालय के बाहर धरना देने के बाद प्रशासन हरकत में आया और रास्ता बहाल कराया। इससे पहले जब वह 20 सालों से उसके खेत पर जाने वाले रास्ते के लिए संघर्ष कर रहा था लेकिन उसकी सुनवाई नहीं की गई। अगर समय रहते उसकी सुनवाई हो जाती तो उसकी मौत नहीं होती।  सदमे से मरने वाले किसान कैलाश के पुत्र गणेश ने बताया कि हिंडोली तहसील क्षेत्र के सिंघाड़ी गांव में उसके पिता के नाम 10 बीघा कृषि भूमि स्थित है उसके पड़ोस में कल्याण माली  व उसके परिवार की कृषि भूमि भी स्थित है  लेकिन वह व्यक्ति बहुत लालची स्वभाव का है और उसने सन 2004 में हमारे खेत के  रास्ते के आगे जो की सरकारी भूमि होने के बावजूद भी तार बंदी  करके हमारे रास्ते को रोक देता है इसके बाद से ही  पिता लगातार हिंडोली प्रशासन के चक्कर लगाकर रास्ता बहाली के लिए निवेदन करते रहे लेकिन रास्ता नहीं मिला? इस वर्ष भी उसने हमारे कृषि भूमि के आगे रास्ते को पूर्ण रूप से बंद कर दिया तो  पिताजी ने हिंडोली थाने से लेकर तहसील और उपखंड कार्यालय में जाकर अधिकारियों को अवगत भी कराया लेकिन किसी ने हमारी नहीं सुनी इसके बाद 26 जून से 28 जून तक हम सभी परिवारजन धरने पर बैठ गए तो प्रशासन ने आश्वासन देकर कैलाश के परिवार को उठा दिया उसके बाद भी कैलाश  तहसील और उपखंड कार्यालय के चक्कर काटते रहे लेकिन किसी भी अधिकारी ने रास्ता बहाली के लिए ठोस प्रयास भी नहीं किया। कैलाश संघर्ष करते-करते सदमे में 2 जुलाई की सुबह उनकी मौत हो गई उसके बाद भी हम परिवार जनो ने मेरे पिता के शब के साथ उपखंड कार्यालय के बाहर धरना देने पर प्रशासन जागा और हमारा रास्ता बहाल करवाया है।

प्रशासन चाहता तो पहले भी इस रास्ता को बहाल कर सकता था
कृषि भूमि का सन 2004 में इस कल्याण माली ने पहली बार रास्ता अवरुद्ध किया था इस मामले की रिपोर्ट हिंडोली थाने में दी थी तब से लगातार हिंडोली थाना तहसील उपखंड कार्यालय मैं रास्ता बहाली को लेकर कैलाश ने बहुत संघर्ष किया लेकिन उसे अकेले कल्याण ने  जायज बात भी प्रशासन को शायद सुनने  नहीं दी और आखिरकार मेरी पिता की मौत हो गई और प्रशासन ने  रास्ता बहाल करवाया है। कैलाश के बेटे गणेश का कहना है कि  मेरी प्रशासन से मांग है कि कल्याण माली के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाए।  

इनका कहना है 
मेरे संज्ञान में आने के बाद से रास्ता बहाली के प्रयास चल रहे थे। इस बीच कैलाश तेली के परिवार ने उपखंड कार्यालय के बाहर धरना शुरू कर दिया । धरने पर प्रशासन ने उसको शीघ्र रास्ता बहाली के लिए आश्वासन दिया था। कैलाश तेली ने भी प्रशासन के आश्वासन को मानकर धरना खत्म कर दिया था। हम भी उसके पुत्र को बुलाकर सारे विकल्पों पर बातचीत कर रहे थे और मैं भी मौके पर जाकर मौका  देखा था।  एक-दो दिन में रास्ता बहाली होनी थी की इसी बीच कैलाश तेली की मौत हो गई जो दुखद है और उसके खेत का रास्ता भी बहस कर दिया है।     
- कमलेश कुमार कुलदीप, तहसीलदार हिंडोली

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