गंदे जल का ट्रीटमेंट कर अंडर ग्राउंड वाटर रिसोर्सेज तैयार करेगी सरकार

हर गांव को जल समृद्ध गांव बनाने की तैयारी

गंदे जल का ट्रीटमेंट कर अंडर ग्राउंड वाटर रिसोर्सेज तैयार करेगी सरकार

ग्राम पंचायत प्रशासन घन मीटर में कुल इकट्ठे पानी को जरूरत के अनुसार घरेलू, जानवर, कृषि और उद्योगों के उपयोग के लिए तय करेगा।

जयपुर। जल संकट वाले जिलों जैसलमेर-बाड़मेर सहित सभी जिलों में भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार हर गांव को जल समृद्ध गांव बनाने की तैयारी कर रही है। ग्राम पंचायतों में गंदे जल का ट्रीटमेंट कर ड्रेनेज सिस्टम से जल संसाधन प्रबंधन की योजना बनाई जा रही है। फिलहाल प्रस्ताव पंचायतीराज मंत्री मदन दिलावर के पास लंबित है।

मंत्री और मुख्यमंत्री स्तर से मंजूरी के बाद इसे ग्राम पंचायतों में जल्दी लागू किया जाएगा। शहरों में गंदे पानी के ट्रीटमेंट व्यवस्था के बाद ग्राम पंचायतों में सतही जल संसाधनों के अलावा अंडर ग्राउंड वाटर रिसोर्सेज तैयार करने के लिए राज्य सरकार ने प्लान तैयार किया है, जिसमें राज्य सरकार हर गांव को पर्याप्त जल उपलब्धता वाले गांव बनाना चाहती है। गांव में पीने के और सिचांई के पानी की व्यवस्था के लिए केन्द्र और राज्य सरकार के सहयोग से पहले से कई योजनाएं चल रही हैं। इसी बीच गंदे पानी का शुद्धिकरण कर उसे घरों, जानवरों, कृषि और उद्योग क्षेत्र में काम लेने के लिए सरकार ने प्रस्ताव तैयार किया है। 

कई विभागों की सामूहिक जिम्मेदारी तय होगी
प्रस्ताव में गंदे पानी के ट्रीटमेंट के लिए ग्रामीण विकास, पंचायतीराज, वाटरशेड, नरेगा विभागों की प्रमुख भूमिका रहेगी। ट्रीटमेंट बनाने से लेकर जल उपयोग व्यवस्था तय करने के लिए ग्राम पंचायतों को जिम्मेदारी के नियम भी तय होंगे। ग्राम पंचायतों में जल जीवन मिशन के तहत पीने के पानी और कृषि विपणन विभाग के जरिए सिंचाई के पानी की व्यवस्थाएं चल रही हैं, लेकिन भविष्य में जल संकट से निपटने के लिए ड्रेनेज सिस्टम से जल प्रबंधन की योजना बनाई जा रही है। 

ये है ग्राम पंचायतों में ड्रेनेज सिस्टम से जल संसाधन प्रबंधन
ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग ने जो प्रस्ताव तैयार किया है। उसमें ग्राम पंचायत में जहां भी अंतिम जल निकासी स्थल है, वहां गंदे जल का ट्रीटमेंट कर उसी के आस पास ईंटों से जालीदार चुणाई में एक या दो स्लम वेल बनाए जाएंगे। इससे अंडर ग्राउंड वाटर रिसोर्सेज तैयार होंगे। स्लम वेल की साइज में करीब दस मीटर गहरा और ऊपर का व्यास दो से तीन मीटर रहेगा। इसी तरह खेतों के आसपास भी नरेगा योजना के तहत खुले कुए बनाए जा सकते हैं। ग्राम पंचायत प्रशासन घन मीटर में कुल इकट्ठे पानी को जरूरत के अनुसार घरेलू, जानवर, कृषि और उद्योगों के उपयोग के लिए तय करेगा।

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