चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 7.0 प्रतिशत रहने का अनुमान: फिक्की
उद्योग संगठन फिक्की ने चालू वित्त वर्ष में औसत जीडीपी वृद्धि दर 7.0 प्रतिशत रहने का अनुमान जताते हुए सरकार से आम बजट में कराधान सुधार, रोजगार सृजन, नवाचार और सतत विकास पर ध्यान केंद्रित किए जाने की अपील की है।
नई दिल्ली। उद्योग संगठन फिक्की ने चालू वित्त वर्ष में औसत जीडीपी वृद्धि दर 7.0 प्रतिशत रहने का अनुमान जताते हुए सरकार से आम बजट में कराधान सुधार, रोजगार सृजन, नवाचार और सतत विकास पर ध्यान केंद्रित किए जाने की अपील की है।
जुलाई 2024 में किसे गये सर्वेक्षण के आधार पर आज जारी फिक्की के आर्थिक दृष्टिकोण रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है। इसमें कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए औसत वृद्धि दर 2024-25 के लिए 3.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। यह वर्ष 2023-24 में दर्ज की गई लगभग 1.4 प्रतिशत की वृद्धि दर की तुलना में सुधार दर्शाता है। सामान्य दक्षिण-पश्चिम मानसून की उम्मीद के साथ अल नीनो प्रभाव में कमी आने से कृषि उत्पादन के लिए अच्छा संकेत मिलने की संभावना है। दूसरी ओर, उद्योग और सेवा क्षेत्र में चालू वित्त वर्ष में क्रमश: 6.7 प्रतिशत और 7.4 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है।
इस सर्वेक्षण में उद्योग, बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख अर्थशास्त्रियों से प्रतिक्रियाएँ ली गई थीं। अर्थशास्त्रियों से वर्ष 2024-25 के लिए और वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) और दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के लिए प्रमुख मैक्रो-इकोनॉमिक चर के लिए अपने पूर्वानुमान साझा करने का अनुरोध किया गया था।
सर्वेक्षण के परिणामों के अनुसार, 2024-25 की पहली तिमाही और 2024-25 की दूसरी तिमाही में औसत जीडीपी वृद्धि क्रमश: 6.8 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
इसके अलावा, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति के लिए औसत पूर्वानुमान 4.5 प्रतिशत रखा गया है, जिसमें न्यूनतम और अधिकतम सीमा क्रमश: 4.4 प्रतिशत और 5.0 प्रतिशत है। जबकि खाद्य पदार्थों की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं और अनाज, फलों और दूध में मुद्रास्फीति बढ़ रही है, सर्वेक्षण में भाग लेने वालों को उम्मीद है कि खरीफ उत्पादन के बाजार में आने के साथ दूसरी तिमाही में कीमतों में कमी आएगी। रिजर्व बैंक की नीतिगत पहल पर अर्थशास्त्रियों का मानना था कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में ही रेपो दर में कटौती की उम्मीद है क्योंकि आरबीआई से मुद्रास्फीति के रुझान पर कड़ी नजर रखते हुए अपने सतर्क दृष्टिकोण को जारी रखने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2024-25 (मार्च 2025) के अंत तक नीतिगत रेपो दर के 6.0 प्रतिशत तक कम होने का अनुमान है।
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