'इंडिया गेट'

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पर्दे के पीछे की खबरें जो जानना चाहते है आप....

किस्सा-ए-पीके!
कांग्रेस में किस्सा-ए-पीके चर्चा में। वरिष्ठ नेताओं के साथ मैराथन बैठकें चल रहीं। पीके पार्टी के रिवाइवल के लिए 2024 के रोडमैप पर सैंकड़ों स्लाड्स के जरिए प्रजेंटेशन दे रहे। अपने गहलोत जी उन्हें ब्रांड बता चुके। साथ में प्रोफेशनल भी। लेकिन कांग्रेसियों के मन में एक ही शंका। पीक कई घाट का पानी पी चुके। भरोसा कैसे हो? तेलंगाना पीसीसी चीफ ने तो ट्वीट कर डाला। पीके राज्य में टीआरएस के लिए काम कर रहे। और केन्द्र में कांग्रेस के लिए करेंगे। तो हम क्या करेंगे? वह टीएमसी के साथ भी काम कर चुके। जो बंगाल में कांग्रेस को शून्य पर पहुंचा चुकीं। दक्षिण में डीएमके एवं वायएसआर। तो महाराष्ट्र में शिवसेना के लिए। जिसकी राजनीति कांग्रेस की सेकुलर राजनीति को नहीं भाती। फिर सबसे बड़ा सवाल। देश पर करीब साठ साल राज कर चुकी कांग्रेस में कई नेता तो ऐसे। जो पीक की आयु से भी ज्यादा समय से राजनीति में सक्रिय। ऐसे दिग्गजों को पीके जमीनी राजनीति ज्ञान देंगे? इतने खराब दिन!


रणभेरी से पहले ही?
गुजरात में विधानसभा चुनाव की आहट। पीएम मोदी ने राज्य के दौरे बढ़ा दिए। तो आम आदमी पार्टी भी मैदान में उतरने से पहले दंड बैठक पेल रही। उसकी नजर पटेल समाज के नेता नरेश पटेल पर। वह डोरे तो हार्दिक पटेल पर भी डाल रही। जो अपने को कांग्रेस में नया नवेला दूल्हा बता चुके। लेकिन पार्टी के ही वरिष्ठ नेता उनकी राजनीतिक नसबंदी कराना चाहते। कांग्रेस बीते 27 सालों से सत्ता की बाट जो रही। पिछले चुनाव में हार्दिक पटेल एवं अल्पेश ठाकोर आए। तो जिग्नेश मेवाणी ने बाहर रहकर कांग्रेस का समर्थन किया। लेकिन पांच साल बाद इधर-उधर! वैसे गुजरात का संबंध अपनी मरुधरा से भी। पिछले चुनाव में सीएम अशोक गहलोत प्रभारी थे। इस बार रघु शर्मा। फिर गुजरात अपने पड़ोस में भी। गहलोत गुजरात चुनाव से पहले ही रघु शर्मा को लेकर बड़ा बयान दे चुके। वैसे भाजपा गुजरात में पूरी सरकार बदल चुकी। किसी ने चूं तक नहीं की। लेकिन कांग्रेस के पसीने छूट रहे।


सिम्बोलिक बना बुलडोजर!
योगीजी के बुलडोजर की चर्चा यूपी से बाहर निकलकर देशभर में पहुंच गई। असामाजिक तत्वों से सख्ती से निपटने का यह तरीका कई सरकारों को शॉर्ट कट लग रहा। एमपी और राजधानी दिल्ली में तो प्रयोग हो भी चुका। लेकिन अपनी मरुधरा में इसके प्रयोग ने माहौल को तनावपूर्ण और गुस्से से भरा बना दिया। अब यही बुलडोजर तब अचानक सुर्खियों में आ गया। जब ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन गुजरात दौरे में बुलडोर पर चढ़ गए। फोटोअप भी करवा लिया। अब जॉनसन ने यह एक्शन अनायास तो नहीं किया होगा? कोई तो बात होगी। लोग इसका अर्थ और मतलब निकाल रहे। लेकिन ब्रिटिश पीएम ने जाने अनजाने में योगीजी की ब्राडिंग जरुर कर दी। क्योंकि बुलडोजर के साथ ही योगीजी का नाम चस्पा हो चुका। अपराधियों एवं असामाजिक तत्वों से निपटने का तरीका योगीजी ने ईजाद किया। इससे कई के तेवर ढीले ही नहीं पड़े। बल्कि आगे कुछ भी गलत करने से पहले सौ बार सोचेंगे। क्या माना जाए? बुलडोजर सिंबोलिक बन गया!


चर्चा में जहांगीर पुरी!
राजधानी दिल्ली के इलाके सघन आबादी वाले जहांगीर पुरी की चर्चा इन दिनों देश-दुनियां में हो रही। जहां हनुमान जयंती के दिन निकली शोभायात्रा के दौरान हिंसक झड़पे हो गईं। दोषियों पर कार्रवाई योगीजी की तर्ज पर हुई। तो मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया। वैसे, दिल्ली में अब बकायदा कानूनन तीनों नगर निगम एक। जिसका चुनाव बाकी। वहीं, राजधानी की कानून व्यवस्था सीधे केन्द्र के हाथों में। जिसकी कमान अमित शाह के पास। जबकि दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना। जिनकी नियुक्ति पर खासा बवाल हुआ था। अब अमित शाह पर खूब निशाना साधा जा रहा। विरोधियों द्वारा उनको घेरने का बड़ी मुश्किल से मौका मिला है। लेकिन बुलडोजर का उपयोग भी खास किस्म का संकेत, संदेश। क्या राजधानी में भी सफाई जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर होगी? और समझने वाले समझ रहे हों। यह अवसर जहांगीर पुरी की हिंसा ने दिया। आखिर जब कमान शाह के हाथों में हो। तो कुछ नया ही होगा। लेकिन कहां और कैसे? दिल्ली बेहद संवेदनशील हो चुकी!

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गुफ्तगु का दौर...
राजस्थान भाजपा और कांग्रेस को लेकर बीते हफ्ते राजधानी दिल्ली में लंबी गुफतगु हुई। भाजपा ने प्रदेश नेताओं की बैठक को रूटिन की कसरत बताया। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर प्रदेश नेताओं की करीब चार घंटे तक मंत्रणा चली। तो कांग्रेस नेतृत्व ने सीएम अशोक गहलोत और पूर्व पीसीसी सचिन पायलट को भी महत्वपूर्ण मसलों पर चर्चा के लिए बुलाया। कांग्रेस आलाकमान ने सीएम गहलोत की पीके के रोडमैप को लेकर राय जाननी चाही। अगले ही दिन पायलट भी दस जनपथ पहुंचे। इस मुलाकत के बाद सीएम गहलोत ने कह डाला। उनका इस्तीफा तो 1998 से ही सोनिया गांधी के पास रखा हुआ। इसी बीच, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को लेकर भी चर्चा। राजे को अगला सीएम फेस घोषित करने की समर्थकों की मांग। जिस पर भाजपा नेतृत्व फिलहाल राजी नहीं दिखता। जबकि पायलट की भूमिका को लेकर भी अभी कांग्रेस आलाकमान तय नहीं कर पा रहा। क्या राजस्थान में दोनों ही दलों में नई पांत और पौध तैयार हो रही!


कांग्रेस-पीडीपी की गलबहियां!
जम्मू कश्मीर में चुनावी माहौल बनने जा रहा। जल्द ही चुनावी गतिविधियां शुरू होने की संभावना। जहां रविवार को पीएम मोदी ने जम्मू का दौरा किया। तो इससे पहले पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिल आईं। मतलब जहां कांग्रेस एवं पीडीपी निकट आ रहे। तो फिर भाजपा और एनसी में भी निकटता की बढ़ेगी? जम्मू-कश्मीर में इस बार विधानसभा चुनाव काफी अलग होगा। क्योंकि अब अनुच्छेद-370 अस्तित्व में नहीं। वहीं, जम्मू-कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश हो चुका। दशकों बाद सरपंच, बीडीसी एवं डीडीसी के चुनाव शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष रुप से संपन्न हुए। ऐसे में सारे घिसे पिटे सियासी समीकरण उलट-पुलट होंगे। भारत बंटवारे के समय पाक से आए शरणार्थी एवं 15 बरसों से अधिक समय से राज्य में रह रहे लोग अब राज्य के स्थाई निवासी। ऐसे में, कांग्रेस एवं पीडीपी की गलबहियां क्या गुल खिलाएंगी? हां एक सवाल! गुलाम नबी आजाद फिर का क्या करेंगे? वह सीएम रह चुके। जो अब कांग्रेस में जी-23 की अगुवाई कर रहे।
-दिल्ली डेस्क

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