सीरत के साथ सूरत भी बदहाल हो रही जे.के. लोन अस्पताल की

प्रवेश द्वार के पास ही गंदगी व दुर्दशा

सीरत के साथ सूरत भी बदहाल हो रही जे.के. लोन अस्पताल की

संभाग के सबसे बड़े महिला एवं शिशु चिकित्सालय जे.के. लोन अस्पताल की हालत यह है कि उसका चेहरा ही धूमिल हो रहा है। प्रवेश द्वार के पास ही गंदगी व दुर्दशा उसकी स्थिति को बयां कर रही है।

कोटा । संभाग के सबसे बड़े महिला एवं शिशु चिकित्सालय जे.के. लोन अस्पताल की हालत यह है कि उसका चेहरा ही धूमिल हो रहा है। प्रवेश द्वार के पास ही गंदगी व दुर्दशा उसकी स्थिति को बयां कर रही है। जे.के. लोन अस्पताल में जहां गर्भवती महिलाएं व प्रसूताएं रोजाना बड़ी संख्या में आ रही हैं। वे अस्पताल में आ तो उपचार के लिए रही हैं लेकिन कोरोना काल के दौरान संक्रमण का खतरा बना हुआ है, वह भी प्रवेश द्वार के पास ही।

 अस्पताल के प्रवेश द्वार के पास कचरे का ढेर लगा हुआ है। जिससे दुर्गंध फेल रही है। उस कचरे के पास ही मरीजों के तीमारदार बैठे रहते हैं। जिससे संक्रमण का खतरा बना हुआ है। इतना ही नहीं मरीजों के तीमारदारों के बैठने के लिए सीमेंट की बैंचें लगाई हुई हैं। लेकिन उन बैंचों पर महिलाओं व बच्चों के गंदे कपड़े सूख रहे हैं। जिससे देखने से ही वहां की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।  कपड़े सूखे होने से वहां महिलाएं व अन्य लोग बैठ भी नहीं सकते। जो बैठते हैं तो उनके लिए वहां बीमारी का खतरा बना हुआ है। इतना ही नहीं अस्पताल परिसर में ही मुख्य प्रवेश द्वार के पास पीने के पानी के लिए नल लगा हुआ है। जिसमें लिखा है कि आरओ का शुद्ध पानी। लेकिन उस नल में टंकी का पानी आ रहा है। वह भी गर्म। साथ ही जिस जगह पर नल लगा हुआ है। वहां इतनी अधिक गंदगी है कि उस गंदगी से होकर ही नल तक लोगों विशेष रुप से महिलाओं व बच्चों को जाना पड़ रहा है। जिससे पानी भले ही शुद्ध मिले या नहीं मिले लेकिन बीमारी का खतरा जरूर मिल रहा है।

अस्पताल परिसर में जहां दिनभर एम्बूलेंसों का आना जाना लगा रहता है। महिला मरीजों के गम्भीर होने से एम्बूलेंस गेट के पास तक आती हैं। लेकिन हालत यह है कि अस्पताल के मुखय द्वार के पास तक नो पार्किंग लिखा होने के बाद भी वाहनों का अम्बार लगा हुआ है। जानकारो के अनुसार कुछ वाहन तो बाहर से आने वाले लोगों के हैं जबकि अधिकतर वाहन अस्पताल में काम करने वाले स्टाफ के ही हैं। जिससे वहां तक एम्बूलेंस को पहुंचने में ही परेशानी हो रही है। वहीं पास में सीवरेज का काम चलने से गंदगी फेली हुई है। दिनभर टंकी का पानी बहने से वहां मच्छर पनप रहे हैं। लोगों का कहना है कि जिस अस्पताल में साफ सफाई रहनी चाहिए। उस अस्पताल के प्रवेश द्वार पर ही ऐसी स्थिति है तो फिर अंदर के हाल क्या होंगे। मरीज यहां स्वच्थ होने के लिए आ रहे हैं। लेकिन अपने व तीमारदारों के जरिये बीमारी व संक्रमण लेकर जा रहे हैं।

इनका कहना है
अस्पताल में रोजाना सुबह-शाम सफाई हो रही है। कुछ दिन पहले ही पूरे अस्पताल की हाऊपो से धुलाई करवाई है। जिससे संक्रमण का खतरा नहीं रहे। बाहर की तरफ भी रोजाना सफाई होती है। दिन में महिलाएं व उनके तीमारदार वहां गंदगी फेला देते हैं। कपड़े भी उन्हीं के सूखते हैं। सुरक्षा गार्डों के जरिये लोगों को समझाइश की जाती है। लेकिन फिर भीे लोग नहीं मानते। बाहर ध्यान रखने व लोगों समझाने के लिए गार्ड को और सफाई के लिए सफाई कर्मचारी को पाबंद कर दिया है। वह थोड़ी-थोड़ी देर में वहां गंदगी दिखते ही सफाई कर देगा।
 -डॉ.एच.एल. मीणा, अधीक्षक, जे.के. लोन अस्पताल

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