गर्मी बढ़ी तो ब्लड बैंक में आई ब्लड की कमी

स्वैच्छिक रक्तदान का कम हुआ रूझान: 5 हजार की क्षमता वाले ब्लड बैंक में मात्र 10 फीसदी ही ब्लड

गर्मी बढ़ी तो ब्लड बैंक में आई ब्लड की कमी

स्वैच्छिक रक्तदान में प्रदेश में अव्वल रहने वाले कोटा के सबसे बड़े एमबीएस अस्पताल के ब्लड बैंक में इन दिनों ब्लड की कमी हो रही है। ब्लड बैंक में अपनी क्षमता का 10 फीसदी भी ब्लड नहीं है। एमबीएस ब्लड बैंक में रोजाना 70 से 80 यूनिट रक्त दिया जा रहा है। इस तरह औसत 2 से ढाई हजार यूनिट की खपत हर महीने हो रही है।

कोटा।  स्वैच्छिक रक्तदान में प्रदेश में अव्वल रहने वाले कोटा के सबसे बड़े एमबीएस अस्पताल के ब्लड बैंक में इन दिनों ब्लड की कमी हो रही है। ब्लड बैंक में अपनी क्षमता का 10 फीसदी भी ब्लड नहीं है। कोटा में जहां सबसे अधिक रक्तदान शिविरों का आयोजन होता रहा है। शहर में रक्त की कमी नहीं रही है। लेकिन इन दिनों गर्मी बढ़ने के साथ ही रक्तदान करने वालों में भी कमी आई है। जिससे निजी अस्पतालों की तुलना में एमबीएस अस्पताल के ब्लड बैंक में रक्त क्षमता की तुलना में काफी कम है। संभाग का सबसे बड़ा ब्लड बैंक होने से इसकी क्षमता करीब 5 हजार यूनिट रक्त संग्रहण करने की है। लेकिन ब्ल बैंक में एक बार में करीब दो हजार यूनिट तक ही रक्त संग्रह किया जाता है। वह भी 40 दिन तक ही रखा जा सकता है। उसके बाद वह रक्त काम में नहीं लिया जाता। हालत यह है कि वर्तमान में ब्लड बैंक में मात्र 500 से 600 यूनिट ही रक्त है।

रोजाना 70 से 80 यूनिट की खपत
एमबीएस ब्लड बैंक में  सरकारी अस्पतालों के अलावा निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को भी रक्त दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार इस ब्लड बैंक से रोजाना 70 से 80 यूनिट रक्त रोजाना दिया जा रहा है। इस तरह से औसत 2 से ढाई हजार यूनिट की खपत हर महीने हो रहेी है। ब्लड बैंक कर्मचारियों के अनुसार ब्लड के बदले ब्लड देने से कमी नहीं आती है। जितनी खपत हो रही है उतना ब्लड तो आ भी रहा है। लेकिन स्टोरेज के लिए ब्लड उतना नहीं है जितना होना चाहिए।

रावतभाटा में कैम्प कर लाए 250 यूनिट
ब्लड बैंक के कर्मचारियों ने बताया कि ब्लड बैंक में रक्त की कमी को दूर करने के लिए हाल ही में रावतभाटा जिले के एक गांव में शिविर लगाया गया था। वहां से करीब 250 यूनिट रक्त संग्रह कर लाए हैं।

निजी अस्पताल में भर्ती मरीजों से शुल्क
ब्लड बैंक के कर्मचारियों ने बताया कि सरकारी अस्पताल में भर्ती मरीज को ब्लड की जरूरत होने पर ब्लड बैंक से ब्लड देने का कोई शुल्क नहीं लिया जाता। सिर्फ ब्लड के बदले बलड लेते हैं। जबकि निजी अस्पताल में भर्ती मरीजों से 1250 रुपए शुल्क लिया जाता है। वहीं कम्पोनेंट के 400 रुपए लेते हैं।

कर्मचारियों की कमी
जानकारों ने बताया कि ब्लड बैंक में कर्मचारियों की काफी कमी है। जितना स्टाफ होना चाहिए उससे आधे भी कर्मचारी नहीं है।  ब्लड बैंक 24 घंटे चालू रहता है। ऐसे में एक-एक कर्मचारी को अतिरिक्त ड्यूटी करनी पड़ रही है। यदि कहीं कैम्प में जाना पड़ जाए तो स्टाफ वहां जाने पर पीछे से ब्लड बैंक में कर्मचारी कम होने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

गर्मी में पानी भी गर्म
ब्लड बैंक के बाहर की तरफ एक निजी संस्था द्वारा जल मंदिर बनवाया हुआ है। लेकिन हालत यह है कि उस जल मंदिर में आरओ व फिल्टर का पानीे नहीं आकर सीेधे टंकी का गर्म पानी आ रहा है। जिससे वहां आने वाले लोगों को पीने का गर्म पानी मिल रहा है। कर्मचारियों ने बताया कि लोगों की सुविधा को देखते हुए टीनशेड  में तीन मटके रखवाए थे। जिनमें से दो किसी ने फोड़ दिए। एक ही मटका बचा है। लोग अधिक आने से पानी बार-बार भरना पड़ता है। जिससे वह भी ठंडा नहीं हो पाता।

मई जून में कम मिलता है रक्त
गर्मी में स्वैच्छिक रक्तदान करने वाले कम आते हैं। जिससे हर साल मई जून में रक्त अपेक्षाकृत कम मिलता है। ब्लड बैंक की क्षमता 5 हजार यूनिट की है। लेकिन एक बार में 2 हजार से अधिक रक्त संग्रह नहीं करते। 40 दिन के बाद ब्लड काम  में नहीं आता। ऐसे में प्रयास रहता है कि समय पर रक्त का उपयोग किया जा सके। वर्तमान में करीब 500 से 600 यूनिट रक्त है। लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करते रहते हैं।
-डॉ. एच.एल. मीणा, प्रभारी, एमबीएस ब्लड बैंक


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