एफएसएल का खुलासा : वन्यजीव तस्करों ने हाथीदांत पर उकेरी वियतनाम की प्रिंसेस की मूर्ति, कीमत एक करोड़
नाखूनों के लिए इन्हें मार रहे हैं
यह खुलासा वन विभाग की ओर से फोरेन्सिक साइंस लेबोरेट्री (एफएसएल) को जांच के लिए भेजे गए सैम्पलों से हुआ है।
जयपुर। प्रदेश में लोग अपनी शानो-शौकत और समृद्धि के लिए जंगलों में रहकर अपना जीवनयापन करने वाले वन्य जीवों की हत्या करने से नहीं चूक रहे हैं। इनके अलावा जीवों की खाल, हिरण के सींग और नाखूनों के लिए इन्हें मार रहे हैं। यह खुलासा वन विभाग की ओर से फोरेन्सिक साइंस लेबोरेट्री (एफएसएल) को जांच के लिए भेजे गए सैम्पलों से हुआ है।
खुलेगी फॉरेन्सिक लैबोरेट्री
देश में वन्य जीव के डीएनए की जांच केवल देहरादून और तेलंगाना में ही की जाती है। अभी तक प्रदेश में वन्य जीव के सैम्पलों की जांच एफएसएल के बायोलॉजी विभाग में की जाती है। अब एफएसएल में भी वन्य जीव के डीएनए की जांच के लिए लैब खुलेगी। इसका नाम ‘वाइल्ड फोरेन्सिक लैबोरेट्री’ होगा। इसकी स्थापना वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार की ओर से होगी। इस लैब से हर वन्य जीव हत्या केस की पूरी जांच हो सकेगी। फिलहाल बॉयोलॉजी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. राजेश सिंह की निगरानी में सैम्पल की जांच होती है।
हाथी दांत से बनाई वियतनाम की राजकुमारी
अजमेर के घण्टाघर थाने में हाथी दांत से बनी मूर्ति का मामला मिला है। वर्ष 2019 में आए इस मामले में खुलासा हुआ कि वियतनाम की राजकुमारी की मूर्ति हाथी दांत पर बनाई गई है। इसकी जांच एफएसएल से कराई तो खुलासा हुआ कि मूर्ति हाथी दांत पर ही बनाई गई है। इसकी अर्न्तराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब एक करोड़ रुपए है। इसके लिए शिकारियों ने किसी ना किसी हाथी को मारकर उसका दांत निकाला होगा और उस दांत पर मूर्ति बनाई होगी।
गोहेरा के जननांग (हत्था जोड़ी) का उपयोग सुख समृद्धि के लिए
क्षेत्रीय वन अधिकारी वन्य जीव बस्सी चित्तौड़गढ़ ने हाथाजोड़ी के सैम्पल जांच के लिए भेजे। जांच में खुलासा हुआ कि तस्करों ने मेल मॉनिटर लिजार्ड (वारानस) के जननांग हैं। इसे गोहेरा, चंदनगो और भदगोवा भी कहते हैं। तस्कर इसकी हत्या कर जननांग को निकाल लेते हैं और लोगों को लाखों रुपए कीमत में बेचते हैं। मान्यता है कि लोग सुख, धन और समृद्धि के लिए इसके जननांग को तिजोरी में रखते हैं। इसे हाथाजोड़ी के नाम से बेचा जाता है। कुछ लोग हाथाजोड़ी पेड़ की जड़ कहकर बेचते हैं लेकिन ये गोहेरा के जननांग होते हैं।
ब्लैक बक का शरीर खाने और सींग दवा में लेते हैं काम
वन्य जीव तस्कर ब्लैक बक काला हिरण या चिंकारा का शिकार करते हैं। इसके शरीर को लोग खाते हैं सींगों को पुरुषों के लिए काम आने वाली दवा के काम में उपयोग में लिया जाता है।
पेंगोलिन के स्केल का उपयोग उत्तेजक दवाओं में होता है
मैनिस प्रजाति के जीव पेंगोलिन की तस्कर हत्या उसके स्केल को पाने के लिए करते हैं। स्केल का उपयोग सैक्सवर्धक दवाओं में उपयोग किया जाता है। ज्यादातर चाइना मेडिसिन में उपयोग में लिया जाता है। इस संबंध में क्षेत्रीय वन अधिकारी वन्य जीव बस्सी चित्तौड़गढ़ ने कुछ स्केल सैम्पल जांच के लिए भेजे तो खुलासा हुआ कि ये स्केल पेंगोलिन के ही हैं।
इनका कहना है
एफएसएल राजस्थान पूर्व से ही वाइल्ड एक्ट के प्रकरणों का परीक्षण कर रही है। कई महत्वपूर्ण प्रकरण जिसमें वाइल्ड लगा हुआ था। उनकी जांच मुख्य प्रयोगशाला के जैविक खण्ड तथा क्षेत्रीय प्रयोगशाला द्वारा समय-समय पर की जा रही है जिसमें रणथम्भौर, सरिस्का, बूंदी में चीतों के मृत्यू के कारणों के संबंध में जांच कर रिपोर्ट दी गई है। भारत सरकार के वन पर्यावरण मंत्रालय द्वारा हरियाणा, पंजाब व राजस्थान में वाइल्ड एक्ट के प्रकरणों की जांच के लिए अलग से फॉरेन्सिक प्रयोगशाला के लिए प्रस्ताव चाहे गए हैं।
- डॉ. अजय शर्मा, निदेशक एफएसएल
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