अरविंद केजरीवाल के लिए नई चुनौती, एक साल में कई नेता छोड़ चुके हैं आम आदमी पार्टी

आप को मजबूत करने में जुटे हैं

अरविंद केजरीवाल के लिए नई चुनौती, एक साल में कई नेता छोड़ चुके हैं आम आदमी पार्टी

पार्टी के नेताओं का अचानक साथ छोड़ना पार्टी के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है।

नई दिल्ली। एक साल के अंदर आम आदमी पार्टी के ये नेता पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। अगले साल दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं। एक तरफ जहां पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल खुद दिल्ली की जनता के बीच आप को मजबूत करने में जुटे हैं। वहीं दूसरी तरफ पार्टी के नेताओं का मोहभंग हो रहा है और वह पार्टी छोड़ने का फैसला ले रहे हैं। अगले साल दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में इन नेताओं के पार्टी छोड़ने से आप की चुनौती बढ़ गई है। आम आदमी पार्टी कथित शराब स्कैम मामले को लेकर पहले ही काफी परेशानी झेल चुकी है। दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह जैसे पार्टी के दिग्गज नेताओं को इस मामले के चलते तिहाड़ की हवा खानी पड़ी। लेकिन चुनाव से पहले सभी नेताओं को जमानत मिल गई, जो पार्टी के लिए राहत की बात है। लेकिन पार्टी के नेताओं का अचानक साथ छोड़ना पार्टी के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है।

कई साथियों ने छोड़ा उनका साथ
साल 2011 में अरविंद केजरीवाल ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन शुरू किया था। इस आंदोलन ने ही आम आदमी पार्टी को शुरू किया। आप ने पहली बार 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा और तीन बार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराया। लेकिन कुछ मतभेदों के चलते पार्टी के कई दिग्गज नेता पार्टी से दूर होते चले गए। सीएम हाउस में मारपीट विवाद के बाद से आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने अपनी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। वह आए दिन पार्टी के खिलाफ ही बयान दे देती हैं। 

 

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