सरकार ने खिलाड़ियों के पैरों में कसी शुल्क की जंजीर
पे एंड प्ले पॉलिसी के विरोध में उतरे खेल संगठन
खिलाड़ियों ने जताई नाराजगी
कोटा। सरकार एक तरफ खेल को प्रोत्साहित करने का दावा करती है वहीं दूसरी ओर शुल्क लगाकर प्रतिभाओं को मैदान से दूर रखने की कोशिश कर रही है। पे एंड प्ले पॉलिसी का कोटा में विरोध शुरू हो गया है। यहां खेल संगठनों व खिलाड़ियों ने इस पॉलिसी पर नाराजगी जताते हुए इसे स्पोर्ट्स को आगे बढ़ने से रोकने वाला कदम बताया है। दरअसल, राज्य सरकार नए साल में एक जनवरी से पे एंड प्ले पॉलिसी लागू कर रही है। जिसके तहत राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद के स्टेडियमों में खेलने के लिए खिलाड़ियों को शुल्क चुकाना पड़ेगा। सरकार की इस पॉलिसी का खेल जगत में विरोध के स्वर उठने लगे हैं।
मैदान से दूर होगी खेल प्रतिभाएं
खिलाड़ियों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार की यह पॉलिसी अव्यवहारिक है। इस तरह स्पोर्ट्स आगे बढ़ने की बजाए पीछे चला जाएगा। कई खेल प्रतिभाएं ऐसी हैं, जिनकी पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं है, फिर भी जैसे-तैसे वह मैदान तक पहुंच रहे हैं। लेकिन, अब शुल्क वसूलेंगे तो वह मैदान तक भी पहुंच नहीं पाएंगे। हालात यह है, जिला व राज्य स्तर प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं मिलता और अजीबो-गरीब पॉलिसी लागू कर खिलाड़ियों के साथ अन्याय किया जा रहा है।
खिलाड़ी बोले-समझ से परे सरकारी नीति
ऐसे तो कैसे जीतेंगे मेडल बॉक्सिंग खिलाड़ी निशा गुर्जर का कहना है, पे एंड प्ले पॉलिसी खिलाड़ियों का मनोबल तोड़ने वाली है। कोई भी गेम सिर्फ मैदान तक ही सीमित नहीं होता बल्कि उसके संसाधन व सामग्री भी जुटानी होती है। जिसका जुगाड़ खिलाड़ी जैसे-तैसे कर पाता है, अब स्पोर्ट्स शुल्क वसूले जाने से उसका खेलना और मुश्किल हो जाएगा। यह स्कीम 1 जनवरी से सभी क्षेत्रीय व जिला खेलकूद प्रशिक्षण केंद्रों पर लागू कर दी जाएगी। एक ओर जहां ओलंपिक में मेडल लाने की बात कही जाती वहीं दूसरी स्पोर्ट्स कोचिंग पर शुल्क लगाकर खिलाड़ियों पर कुठाराधात किया जा रहा है।
खेलों को नहीं मिलेगा प्रोत्साहन
वुशू खिलाड़ी भावेश मीणा का कहना है, खेल मैदान पर खिलाड़ियों को खेलते देख लोग अपने बच्चों को भी स्पोर्ट्स में लाने के लिए प्रेरित होते हैं। लेकिन खेलने व कोचिंग का पैसा लिया जाएगा तो प्रतिभाओें का मैदान तक पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। राज्य क्रीडा परिषद के स्टेडियमों में खेलने व कोचिंग के लिए खिलाड़ियों से विभिन्न गेम कैटेगिरी में प्रतिमाह 200 से 500 प्रतिमाह वसूले जाएगा। वहीं, नॉन प्लेयर को 1500 रुपए का शुल्क देना पड़ेगा। जब स्पोर्ट्स कॉर्मिशियल होगा तो देखने व प्रोत्साहित करने वाले भी ग्राउंड पर नहीं आएंगे। ऐसे में यह पे एंड प्ले पॉलिसी खिलाड़ियों के हित में नहीं है। ऐसे में इसे तुरंत बंद किया जाना चाहिए।
गेम्स की इन तीन श्रेणियों में तय किया शुल्क
कैटेगरी-'अ' : लॉन टेनिस, बैडमिंटन, किकेट, टेबल टेनिस, राइफल, शूटिंग, जिम, स्क्वैश शामिल है। इसमें नए खिलाडियों को कोचिंग के 500 रुपए प्रतिमाह, शौकियां / नॉन प्लेयर को 1500 रु. प्रतिमाह देना होगा।
कैटेगरी-'ब' : एथलेटिक्स, जूडो, हॉकी, तीरंदाजी, भारोत्तोलन, जिम्नास्टिक, ताइक्वांडो में नए खिलाड़ियों को कोचिंग के 300 रुपए प्रतिमाह, शौकियां / नॉन प्लेयर के लिए 1000 रुपए प्रतिमाह तय किया है।
कैटेगरी- 'स' : साइक्लिंग, कुश्ती, कबड्डी, हैंडबॉल, बॉक्सिंग, बास्केटबॉल, वॉलीबॅल, फुटबॉल, खो-खो, वुशू नए खिलाड़ियों को कोचिंग के 200 रुपए प्रतिमाह, नॉन प्लेयर को 500 रु. प्रतिमाह देने होंगे।
राज्य सरकार खिलाड़ियों को ग्राउंड पर आने पर रोक रही है। पे एंड प्ले स्कीम स्पोर्ट्स को फिर से पीछे धकेल देगी। खिलाड़ियों को 2017 से लेकर 2024 तक का राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं का भुगतान और राष्ट्रीय प्रतियोगिता भुगतान जो राज्य सरकार से दी जाने वाली मदद राशि है वह अब तक नहीं दी गई है। ऐसे खेल प्रतिभाएं कैसे निखरेगी।
-शिव भगवान गोदारा, अध्यक्ष वुशू संघ कोटा
सरकार खिलाड़ियों को आगे बढञाने का प्रयास करती है। पे एन्ड प्ले स्कीम से भी खिलाड़ियों को लाभ ही मिलेगा। खेल मैदान पर गंभीर खिलाड़ी ही आएंगे। खिलाड़ियों को अच्छी सुविधा मिल पाएंगी।
-विजय सिंह, खेल निदेशक कोटा यूनिवर्सिटी
क्या कहते हैं कोच
सरकार की इस योजना से गरीब खिलाड़ी कभी ग्राउंड पर नहीं आ पाएगा। प्रतिभाओं का हनन होगा। हम पहले ही खेलों में बहुत पिछड़े हुए हैं। कई खिलाड़ी अपने दम पर जिले से राज्य स्तरीय टीम में चयनित होकर मेडल लाते हैं। जब इस तरह की पॉलिसी वजूद में आती है तो उनका मनोबल टूट जाता है और वह खेलों से दूरी बना लेते हैं। कई देश जो हमारे राज्यों से भी छोटे हैं लेकिन स्पोर्ट्स की बेहतर फेसेलिटी से आलम्पिक में मेडल जीतने में हमसे कई गुना आगे रहते हैं। यह पॉलिसी बंद होनी चाहिए।
-अशोक गौतम, सचिव वुशू संघ कोटा
पे एंड प्ले पॉलिसी खिलाड़ियों के बढ़ते कदम रोकने जैसी है। अधिकांश बच्चों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। उनके लिए खेलों से जुड़ा रहना ही मुश्किलोंभरा रहता है। ऐसे में आर्थिक बोझ डालने से वे खेलों से दूर हो जाएंगे। इस तरह की पॉलिसी से स्पोट्स कॉमर्शियल में तब्दील होगा, जिससे आगे बढ़ने की जगह पिछड़ जाएगा। यदि, सरकार स्पोर्ट्स को प्रमोट करना चाहती है तो सुविधाएं बढ़ाएं, कोच लगाएं। स्कूली स्तर से बच्चों को खेलों से जोड़ने के प्लान तैयार किए जाएं ताकि प्रतिभाओें को मंच मिल सके।
-डॉ. तीरथ सांगा, फुटबॉल कोच एवं सचिव जिला फुटबॉल संघ कोटा
अभी इस पॉलिसी की गाइड लाइन नहीं आई है। एक-दो दिन में आ जाएगी, जिसका अध्ययन करने के बाद ही, जानकारी दे पाएंगे।
-वाए बी सिंह, जिला खेल अधिकारी कोटा
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