भारत के संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भारत के संविधान की मैथिली एवं संस्कृत भाषा मे लोकार्पण

वर्तमान सरकार को संपूर्ण मिथिला समाज की और से दिया गया धन्यवाद

भारत के संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भारत के संविधान की मैथिली एवं संस्कृत भाषा मे लोकार्पण

भारत के संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भारत के संविधान की मैथिली एवं संस्कृत भाषा में अनुदित प्रति के लोकार्पण का मैथिली के विकास के लिए प्रतिबद्ध विद्यापति सेवा संस्थान ने स्वागत किया है। 

बिहार। विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भारत की प्राचीन भाषा मैथिली एवं संस्कृत में भारत के संविधान की अनूदित प्रति के लोकार्पण से मिथिलावासी एवं प्रवासी मैथिल स्वयं को काफी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। यह मिथिलावासी एवं प्रवासी मैथिलों के लिए अत्यंत गौरवशाली है, क्योंकि उनकी मातृभाषा में भारत के संविधान की अनूदित प्रति का लोकार्पण किया गया है। उन्होंने इसके लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति विशेष रूप से आभार जताते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल की गई मैथिली भाषा में संविधान का अनुवाद कर केंद्र की सरकार ने करोड़ों मैथिली भाषी लोगों का एकबार फिर दिल जीत लिया है और वह दिन दूर नहीं जब मैथिली भाषा इस लोकप्रिय सरकार में शास्त्रीय भाषा का दर्जा हासिल करने में भी सफल होगी।

मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं. कमलाकांत झा ने मैथिली में संविधान की अनुदित प्रति के प्रकाशन एवं लोकार्पण को समस्त मिथिलावासी एवं मैथिलीभाषी के लिए गौरवशाली उपलब्धि बताते कहा कि इससे मैथिली को स्वाभाविक रूप से संवैधानिक प्रतिष्ठा हासिल हुई है। मैथिली एवं संस्कृत भाषा में संविधान के अनुदित प्रति के लोकार्पण का संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ बुचरू पासवान, प्रो जीवकांत मिश्र, मणिकांत झा, डॉ महेंद्र नारायण राम, लेखक रमेश, प्रो विजयकांत झा, विनोद कुमार झा, डॉ महानंद ठाकुर, प्रवीण कुमार झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, आशीष चौधरी, मणिभूषण राजू, पुरुषोत्तम वत्स आदि ने भी स्वागत किया है।

साहित्य अकादमी, भारत सरकार, नयी दिल्ली के मैथिली भाषा के पूर्व संयोजक प्रो. प्रेम मोहन मिश्र ने भारतीय संविधान का मैथिली भाषा में लोकार्पण किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इसके लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं नेता विपक्ष राहुल गांधी जी को कोटिश: बधाई एवं भारत की वर्तमान सरकार को संपूर्ण मिथिला समाज की और से धन्यवाद दिया है।

गौरतलब है कि भारतीय संविधान का मैथिली भाषा में अनुवाद में बिहार के प्रतिष्ठित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर मैथिली विभाग के शिक्षकों का भी महत्वपूर्ण योगदान है। संविधान के मैथिली अनुवाद को पटना में अंतिम रूप दिया गया था। 

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ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के मैथिली विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दमन कुमार झा ने बताया कि केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय के प्रस्ताव पर भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर के अंतर्गत संचालित राष्ट्रीय अनुवाद मिशन के मार्गदर्शन में संविधान का मैथिली भाषा में अनुवाद हुआ है। पटना के ए.एन. कॉलेज में 07 अगस्त से 17 अगस्त तक 11 दिवसीय कार्यशाला आयोजित हुआ था। जिसमें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की ओर से वे स्वयं एवं वरीय प्राचार्य अशोक कुमार मेहता और भागलपुर विश्वविद्यालय के पूर्व मैथिली विभागाध्यक्ष प्रोफेसर केशकर ठाकुर भी विषय विशेषज्ञ के रूप में शामिल हुए थे इसके अलावा कार्यशाला में राजनीति विज्ञान के तीन विषय विशेषज्ञ भी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि पटना में आयोजित कार्यशाला में ही संविधान के अनुवाद को अंतिम रूप दिया गया और उसके बाद उसे प्रकाशन के लिए भेजा गया था। उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान का मैथिली भाषा में उपलब्ध होना मिथिला और मैथिली के लिए गर्व का विषय है।

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वरीय प्राचार्य प्रोफेसर अशोक कुमार मेहता ने मैथिली में संविधान के विमोचन पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति में जहाँ मातृभाषा में शिक्षा पर बल दिया जा रहा है ऐसी स्थिति में मैथिली में संविधान का अनुवाद होने से  मैथिली भाषा समृद्ध होगी और इसकी व्यापकता बढ़ेगी और आने वाले समय में इसका व्यापक लाभ मिलेगा।

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