बेपरवाही: सड़कों पर उड़ती धूल से सांस लेना हो रहा मुश्किल
हाइवे 115 का अधूरा काम बना मुसीबत
समस्या का समाधान नहीं होने से क्षेत्रवासियों में रोष व्याप्त है।
डाबी। बरड़ क्षेत्र में बरूंधन से राणाकी का गूढ़ा तक निमार्णाधीन स्टेट हाइवे 115 का वन विभाग से एनओसी मिल गई है। इसके बावजूद स्टेट हाइवे 115 का अधूरा पड़ा हैं। जिससे वाहनों की आवाजाही के दौरान धूल के गुबार उड़ती है। उड़ती धूल मिट्टी के बीच आवाजाही करने से क्षेत्रवासी बीमार हो रहे है। सड़क पर बड़े बड़े गड्ढों से हादसों का खतरा बना हुआ है। जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों और संवेदक द्वारा ध्यान नहीं देने सड़क का काम अधूरा होने से उड़ रही धूल मिट्टी से क्षेत्रवासियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। समस्या का समाधान नहीं होने से क्षेत्रवासियों में रोष व्याप्त है।
डाबी के सुरेश धनोपिया का कहना है कि कई महीनों से यहां धूल, मिट्टी उड़ने से आमजन परेशान है। सड़क के आसपास रहना तक मुश्किल हो चुका है। डाबी में इसी रोड़ पर छात्र व छात्राओं का जनजातीय छात्रावास में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को भी काफी दिक्कत हो रही है। साथ ही उप तहसील और डाबी सीएचसी में आने जाने वाले राहगीरों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। धूल मिट्टी का सबसे बड़ा दंश टीबी व सिलिकोसिस पीड़ितों को उठाना पड़ रहा है। अस्पताल में आने वाले सिलिकोसिस पीड़ितों को यहां क्षणभर भी आराम नहीं मिल पा रहा है। अस्पताल में पहुंचते ही उनकी खांस-खांस कर सांसे उखड़ने लगती है। पीड़ित बिना उपचार लिए यहां से वापस जाने को मजबूर हो रहे है।
राजेंद्र सिंह ने बताया कि धूल मिट्टी के कारण दोपहिया वाहन चालक दुर्घटना से बचने के लिए सुरक्षा की दृष्टि से वाहन की हेड लाइट जलाकर निकल रहे है। यदि प्रतिदिन कुछ घंटों के अंतराल में सड़क पर पानी का छिड़काव किया जाए तो लोगों को धूल के गुबार से राहत प्रदान की जा सकती है। लेकिन जिम्मेदार प्रशासन के गैर जिम्मेदाराना रवैये के चलते समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। कमलेश शर्मा और मनोज प्रजापत ने बताया कि धूल मिट्टी की समस्या का हर्जाना सड़क पर गुजरने वाले राहगीरों, डाबी अस्पताल में मौजूद मरीज व तीमारदारों, उपतहसील कार्यालय में आने वालों को भुगतना पड़ रहा है।
जल्द होगा समाधान
सड़क पर उड़ रही मिट्टी से उप तहसील में आने जाने वाले ग्रामीण बहुत ज्यादा परेशान है। मिट्टी उड़ने से उप तहसील के अधिकारियों का काम भी प्रभावित हो रहा है। इसकी शिकायत भी ग्रामीणों ने मुझसे की थी। इसी साल समस्या को लेकर मैंने पीडब्ल्यूडी के जयन सक्सेना को फोन किया था लेकिन मेरा फोन रिसीव नहीं करने से बात नहीं हो पाई। जल्दी पीडब्ल्यूडी के उच्चअधिकारियों से बात करके समाधान किया जायेगा।
- अनिल नागर , नायब तहसीलदार डाबी
धूल के गुबार से हॉस्पिटल स्टाफ व आसपास निवास कर रहे परिवारों की हालत बेहद गंभीर है। स्टाफ के 3 बच्चे सांस की बीमारी से जूझ रहे है। अस्पताल परिसर में रहने वाला स्टाफ यहां से अन्यत्र जाने को मजबूर है। अगर ऐसा होता है तो अस्पताल की व्यवस्था बिगड़ सकती है। अस्पताल स्टाफ द्वारा कई बार पानी का छिड़काव करवाने के लिए अवगत करवाया गया है पर आज तक सुनवाई नहीं हुई।
- डॉ. अविनाश शर्मा, चिकित्सक, सीएचसी डाबी
अस्पताल आने वाले ग्रामीणों सहित व्यापारियों को चुकाना पड़ रहा है। अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले टीबी व सिलिकोसिस पीड़ितों को मास्क लगाकर रहना होता है। धूल मिट्टी के कारण उनको अस्पताल में रुकने में काफी दिक्कत हो रही है। सड़क पर बड़े बड़े गड्ढे हो गए है। गड्ढों के कारण एंबुलेंस में आने वाली प्रसुताओं व मरीजों के साथ अनहोनी होने का डर बना रहता है।
- डॉ. हिमांशु शर्मा, चिकित्सा अधिकारी प्रभारी, सीएचसी डाबी
इनका कहना है
जहां-जहां अभी काम बाकी है। वन विभाग की स्वीकृति मिलने का इंतजार है। अभी हमारे पास लिखित आदेश जारी नहीं हुए है। जैसे ही आदेश जारी होते है अधूरा पड़ी सड़क का निर्माण कार्य जल्दी काम शुरू किया जाएगा। जहां कच्ची सड़क है। वहां पर संवेदक को बोलकर पानी के टैंकर से पानी छिड़का जाएगा ताकि मिट्टी ना उड़े। लोगों को आवाजाही में परेशान नहीं होंगे।
- मुकेश गोचर, एईएन, पीडब्ल्यूडी डाबी
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