वयस्क परिजनों ने खुद की दवा बच्चों को दी, इससे हुई मौत

सीकर में डॉक्टर-फार्मासिस्ट की लापरवाही, दोनों निलंबित होंगे 

वयस्क परिजनों ने खुद की दवा बच्चों को दी, इससे हुई मौत

दरअसल उन्हें यह दवा डॉक्टर ने लिखी ही नहीं थी। ये दवा उनके परिजनों को लिखी गई थी, जिसे उन्होंने बच्चों को भी दे दी, जबकि यह दवाइयां बच्चों के लिए प्रतिबंधित है। इसलिए उनकी मौत हुई। वहीं सीकर के हाथीदेह पीएचसी में बच्चों के लिए लिए खांसी की प्रतिबंधित दवा लिखने पर एक डॉक्टर और एक फार्मासिस्ट को निलंबित किया जाएगा, इसकी कार्रवाई शुरू हो गई है

जयपुर। प्रदेश में निशुल्क दवा योजना के तहत वितरित खांसी की दवा से भरतपुर और सीकर में दो बच्चों की मौत मामले में जांच रिपोर्ट आ गई है। रिपोर्ट में बच्चों की मौत का कारण खांसी की दवा डेक्सट्रोमैटोरफन देने से होना बताया गया है। दरअसल उन्हें यह दवा डॉक्टर ने लिखी ही नहीं थी। ये दवा उनके परिजनों को लिखी गई थी, जिसे उन्होंने बच्चों को भी दे दी, जबकि यह दवाइयां बच्चों के लिए प्रतिबंधित है। इसलिए उनकी मौत हुई। वहीं सीकर के हाथीदेह पीएचसी में बच्चों के लिए लिए खांसी की प्रतिबंधित दवा लिखने पर एक डॉक्टर और एक फार्मासिस्ट को निलंबित किया जाएगा, इसकी कार्रवाई शुरू हो गई है। बीते दिनों दवा से बच्चों की मौत होने का मामला आने के बाद आरएमएससीएल ने संबंधित दवा के वितरण एवं उपयोग पर रोक लगा दी थी। तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनी थी। दवा नमूने भी जांच को भेजे गए थे। जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश शर्मा ने बताया कि दोनों ही बच्चों को दवा नहीं लिखी गई। प्रोटोकॉल के अनुसार बच्चों को यह दवा नहीं लिखी जाती है। सीकर के  हाथीदेह पीएचसी पर एक बच्चे को खांसी की यह दवा लिखे जाने का मामला सामने आया है, जिस पर चिकित्सक डॉ. पलक एवं फार्मासिस्ट पप्पू सोनी को निलंबित किया जा रहा है। चिकित्सा विभाग ने एडवाइजरी भी जारी की है कि बिना डॉक्टरों की अनुमति के दवा नहीं ली जाए। डॉक्टरों को भी पर्ची से ही दवा देने के निर्देश दिए हैं। 

पिता के लिए लिखी दवा उसने अपने बेटे को दी
भरतपुर के कलसाडा निवासी 30 वर्षीय मोनू जोशी 25 सितम्बर को खांसी, जुकाम व बुखार होने पर सीएचसी कलसाडा आए थे। चिकित्सक ने उन्हें अन्य दवाओं के साथ सिरप डैक्ट्रामैट्रोफन हाइड्रो ब्रोमाइड लिखी। मोनू ने अपने तीन वर्षीय पुत्र गगन के जुकाम व निमोनिया होने पर बिना चिकित्सक की सलाह के यह सीरप उसे पिला दी। गगन की तबीयत खराब हो गई। वे तुरन्त चिकित्सक डॉ. अशोक जैन के पास महुआ लेकर गए। उन्होंने उसे जेके लोन जयपुर के लिए रैफर कर दिया। उसे 27 सितम्बर को स्वास्थ्य सुधार पर डिस्चार्ज कर दिया गया। वहीं 18 सितम्बर को दूसरे अन्य बच्चे सम्राट को निमोनिया था। जिसे भरतपुर से जयपुर रैफर किया गया था। इस वजह से सम्राट की मृत्यु 22 सितम्बर को हुई थी। 

बिना पूछे घर में रखी दवा दे दी
सीकर के ग्राम खोरी के नित्यांश पुत्र महेश कुमार शर्मा की मृत्यु के माले में रिपोर्ट अनुसार वह 7 जुलाई को बच्चे को बुखार-जुकाम की शिकायत पर सीएचसी चिराना, झुंझुनूं में दिखाया गया था। रोगी की पर्ची में सिरप डैक्ट्रमैथोरफन नहीं लिखी गई थी। बच्चे की मां खूशबू शर्मा ने बताया कि 28 सितंबर को रात्रि 9 बजे बच्चे को हल्की खांसी की शिकायत हुई तब पहले से घर में रखी डैक्स्ट्रोमैथोरफन 5 एमएल कफ  सिरप बच्चे को दी थी। 29 सितम्बर को रात्रि 2 बजे बच्चे ने पानी पिया और सो गया। तब तक बच्चा ठीक था। सुबह 5 बजे मां उठी तो बच्चा बेसुध था। बच्चे को राजकीय कल्याण अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस प्रकार दोनों ही बच्चों की मौत के मामले में चिकित्सक द्वारा डैक्स्ट्रोमैथोरफन दवा नहीं लिखी गई है। 

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