सरिस्का में जरख को लेकर शोध जारी, व्यवहार एवं उत्तरजीवितत्ता को जानने की कर रहे है कोशिश
चुनाव और उपयोग कैसे किया जाता है
शोध में आंकडे संकलित करने के लिए 12 किलोमीटर मार्ग के साथ एक 6x6 ग्रीड आधारित नमुना ढांचे का उपयोग किया जा रहा है।
जयपुर। भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून द्वारा सरिस्का में हाइना (जरख) की वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार व्यवहार एवं उत्तरजीवितत्ता को जानने के लिए शोध किया जा रहा है। सरिस्का टाईगर रिजर्व वर्तमान में बाघों के साथ ही हाइना (जरख) के आवास के रूप में भी अपनी पहचान स्थापित कर रहा है। संस्थान द्वारा इनके मांद व्यवहार और गतिविधि पैटर्न की जांच के लिए इन्फ्रारेड कैमरा ट्रैप का उपयोग किया जा रहा है।
शोध में आंकडे संकलित करने के लिए 12 किलोमीटर मार्ग के साथ एक 6x6 ग्रीड आधारित नमुना ढांचे का उपयोग किया जा रहा है। हाइना (जरख) पर किए जा रहे शोध का मुख्य उद्देश्य यह जानकारी प्रदान करना है कि हाइना (जरख) आक्रामक प्रजातियों के प्रसार, बढ़ी हुई चरागाह गतिविधियों और मानवीय उपस्थिति के जवाब में अपने स्थानिक उपयोग को कैसे अनुकूलित करते हैं, जहां मांसाहारियों के बीच सीमित शरणस्थलों के लिए तीव्र प्रतिस्पर्धा व्याप्त है तथा आवास स्थलो (मांद) का चुनाव और उपयोग कैसे किया जाता है।
उप वन संरक्षक बाघ परियोजना सरिस्का ने बताया कि यह शोध मानवीय आवश्यकताओ के साथ वन्यजीव संरक्षण के उपयोग के लिए महत्वपूर्ण है और इससे मानव और वन्यजीवों के लम्बे समय तक के सह-अस्तित्व को आधार मिल सकेगा।
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