positive thinking
बूंदी 

रेल हादसे में दोनों पैर गंवा दिए पर जिंदगी से हार नहीं मानी

रेल हादसे में दोनों पैर गंवा दिए पर जिंदगी से हार नहीं मानी 34 साल पहले 4 अप्रैल 1988 को एक रेल दुर्घटना में दोनों पैर खो चुके सुरेंद्र सिंह सोलंकी की हौसलों से भरी जीवन यात्रा 35 वर्ष से विभिन्न आयामों को पार करती हुई। आज भी पूरी सकारात्मक सोच के साथ जारी है।
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