साइबर क्राइम की दुनिया समझने के लिए पुलिस को किया जाएगा मजबूत
इस पर गृह विभाग मंथन करेगा
साइबर क्राइम किस संस्था के अधीन रखा जाए। इस पर गृह विभाग मंथन करेगा। इसके लिए गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अभय कुमार की अध्यक्षता में बैठक की जाएगी।
जयपुर। साइबर क्राइम किस संस्था के अधीन रखा जाए। इस पर गृह विभाग मंथन करेगा। इसके लिए गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अभय कुमार की अध्यक्षता में बैठक की जाएगी। प्रदेश में साइबर क्राइम फिलहाल एसओजी के अधीन है। साइबर क्राइम के मामले में भी राजस्थान की पुलिस काफी पीछे है। इसे अभी साइबर क्राइम की दुनिया को समझने की जरूरत है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा है कि राज्य की साइबर क्राइम ब्रांच को मजबूत बनाया जाए। इसी मकसद से मुख्यमंत्री ने विधानसभा में पेश बजट में सेंटर फॉर साइबर सिक्यूरिटी के लिए 50 करोड़ की घोषणा की है। इसमें प्रत्येक जिले में अलग से साइबर थाना और हर थाने में साइबर डेस्क बनाई जाएगी। अभी स्टेट लेवल का साइबर क्राइम एसओजी के पास है, जबकि साइबर क्राइम का प्रशिक्षिण राजस्थान पुलिस अकादमी में दिया जाता है। इनके अलावा पुलिस विधि विज्ञान प्रयोगशाला में भी साइबर क्राइम से संबंधित जांच की जाती है। सूत्रों के अनुसार गृह विभाग चाहता है कि साइबर क्राइम की दुनिया को समझने और उससे संबंधित मामलों को समझने के लिए एक ही विभाग का पर्यवेक्षण हो।
दो महकमों में हो चुकी है गलतफहमी
प्रदेश में महिलाओं और बच्चों को साइबर अपराध से बचाने के लिए साइबर क्राइम प्रीवेकंशन अगेंस्ट वूमन एंड चिल्ड्रेन शुरू करने को लेकर राजस्थान पुलिस अकादमी और पुलिस विधि विज्ञान प्रयोगशाला के अफसरों के बीच गलतफहमी हो चुकी है। इन दोनों विभागों का यह विवाद गृह विभाग तक भी पहुंच गया। गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय को पत्र लिख कर सीसीपीडब्लूसी को एफएसएल को सौंपने को लिखा था, किन्तु पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर ने इस संबंध में पुनर्विचार करने के लिए गृह विभाग को अनुरोध किया। पीएचक्यू की मंशा है कि यह आरपीए के अधीन हो। साइबर क्राइम को लेकर शुक्रवार को बैठक बुलाई गई है। इस विचार किया जाएगा कि किस तरह साइबर क्राइम ब्रांच को मजबूत किया जाए।
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