पुरातत्व विभाग बनाएगा सिक्का संग्रहालय

टोंक से विभाग के पास लाए गए 212 गुप्तक़ालीन स्वर्ण मुद्राए

पुरातत्व विभाग बनाएगा सिक्का संग्रहालय

पुरातत्व विभाग ने ग्राम जानकीपुरा, तहसील मालपुरा, ज़िला टोंक से प्राप्त कुषाणक़ालीन एवं गुप्तक़ालीन 212 स्वर्ण मुद्राओं के साथ ही ग्राम पचेवर, तहसील मालपुरा, टोंक से प्राप्त 120 ब्रिटिशक़ालीन रजत मुद्राओं को लेने का कार्य पूरा

जयपुर। पुरातत्व विभाग ने ग्राम जानकीपुरा, तहसील मालपुरा, ज़िला टोंक से प्राप्त कुषाणक़ालीन एवं गुप्तक़ालीन 212 स्वर्ण मुद्राओं के साथ ही ग्राम पचेवर, तहसील मालपुरा, टोंक से प्राप्त 120 ब्रिटिशक़ालीन रजत मुद्राओं को लेने का कार्य पूरा कर लिया है। इन सिक्कों में कुषाणक़ालीन एवं गुप्तक़ालीन शासको के सिक्के हैं। गुप्तक़ालीन शासको में समुद्रगुप्त (315 ई.- 375 ई), चंद्रगुप्त द्वितीय ( 380 ई. - 415 ई.) एवं कुमारगुप्त प्रथम ( 415 ई. - 455 ई.) के सिक्के मुख्य है। कुषाणक़ालीन सिक्कों का वजन लगभग 8 ग्राम एवं व्यास 20-22 मि.मी. है जबकि गुप्तक़ालीन स्वर्ण सिक्कों का वजन 7.5 ग्राम से लेकर 8.25 ग्राम है। पुरातत्व विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इससे पूर्व राजस्थान के बयाना (भरतपुर) से गुप्तक़ालीन स्वर्ण मुद्राओं का सबसे बड़ा दफीना 17 फ़रवरी, 1946 को प्राप्त हुआ था, जिसमें कुल 1821 स्वर्ण मुद्राए प्राप्त हुई थी।

इनका ये है कहना……

वर्तमान में पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के विभिन्न राजकीय संग्रहालयों में विभिन्न कालो के धातु से निर्मित दो लाख से भी अधिक सिक्के संग्रहित हैं। इस दुर्लभ सिक्कों एवं उनसे सम्बंधित मुद्रा सामग्री से एक सिंगल थीम आधरित सिक्का संग्रहालय बनाने जाने पर विचार किया जा रहा है। जो पर्यटकों, इतिहासकारों एवं शोधार्थियों के लिए लाभकारी  रहेगा।- डॉ.महेंद्र खड़गावत, निदेशक, पुरातत्व विभाग

ग्राम जानकीपुरा ज़िला टोंक से प्राप्त कुषाणक़ालीन एवं गुप्तक़ालीन सिक्कों की प्राप्ति विभाग ने की है। लगभग 1800 साल पुराने ये सिक्के इतिहासकारों, पुरातत्वविज्ञानियो, शोधार्थियों के अध्ययन, अध्यापन के साथ ही इतिहास की कड़ियों को जोड़ने में सहायक सिद्ध होंगे।- प्रिंस कुमार उप्पल, मुद्राशास्त्री, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग

 

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